रायपुर।
महुआ पुन: आबकारी एक्ट के अधीन ला दिया गया है. मतलब साफ है कि पांच किलो से ज्यादा की खरीदी बिक्री के साथ ही बगैर अनुमति परिवहन करने के मामले में आबकारी अधिनियम के तहत कार्रवाई होगी. दरअसल राज्य सरकार ने 21 साल पुराने कानून को पुन: अपनाया है. इसमें महुआ के लिए लाईसेंस लेेने का प्रावधान किया गया है. एक तरह से राज्य में महुआ प्रतिबंधित हो गया है.
जिन व्यक्तियों को महुआ आदि का आयात अथवा निर्यात करना होगा, उन्हें इसके लिए कलेक्टर अथवा सक्षम अधिकारी के समक्ष आवेदन प्रस्तुत करना होगा, जिसमें स्थान, भण्डारण की कुल मात्रा, आवेदक के व्यापारी होने या महुआ वृ़क्षों के स्वामी होने आदि का विवरण देते हुए निर्धारित शुल्क भी जमा करना होगा. लायसेंस के लिए शुल्क की दरें व्यावसायिक प्रयोजनों में एक हजार रूपए, कृषि, शैक्षणिक या औषधीय प्रयोजनों के लिए 500 रूपए, घरेलू उपयोग के लिए 1000 रूपए निर्धारित की गई है.
एक साल के लिए मिलेगा लाईसेंस
इसके अलावा कानूनी रीति से एकत्रित या खरीदे गए महुए के बिक्री के लिए वार्षिक शुल्क निर्धारित किया गया है, जो दस हजार रूपए होगा. लायसेंस एक साल के लिए दिया जाएगा, जिसका नवीनीकरण किया जा सकेगा. नई महुआ नीति के अनुसार लायसेंस धारक को भण्डारण सहित उपयोग आदि की जानकारी कलेक्टर या अधिकृत अधिकारी को देनी होगी और भण्डारण स्थल के आस-पास की जगह को स्वच्छ रखना होगा. नई महुआ नीति में इन प्रयोजनों के लिए आवेदन पत्रों के प्रारूपों का भी प्रकाशन किया गया है.
आबकारी विभाग ने अपने सभी अधिकारियों को राज्य में नई महुआ नीति के नियमों का कठोरता से पालन करने के निर्देश दिए हैं. विभाग ने महुआ आयात-निर्यात, भण्डारण और उपयोग आदि से जुड़े हुए सभी पक्षों से नई नीति के पालन का अनुरोध किया है.
तो नहीं होगी किसी भी लाईसेंस की जरुरत
हालांकि राज्य सरकार ने 15 फरवरी से 15 जून तक आदिवासियों को इसमें छूट दी है. उन्हें इस दौरान किसी भी तरह के लाइसेंस की जरुरत नहीं होगी. राज्य में सरकार द्वारा शराब बिक्री की शुरुआत के बाद से ही अवैध शराब निर्माण की आशंका बढ़ गई है, जिसके मद्देनजऱ यह फैसला लिया गया है. राज्य में आदिवासियों के लिये महुआ का संग्रहण और उसकी बिक्री आय का एक बड़ा साधन रहा है.