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जयपुर। भाजपा की कद्दावर नेता व राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया इन दिनों पार्टी से खिंची खिंची नजर आ रही है। भाजपा भी उन्हें भाव देती नजर नहीं आती। ऐसे में सिंधिया समर्थकों के बीच एक सवाल तैर रहा है कि वसुंधरा राजे के मन में क्या है ?
आने वाले कुछ दिनों में राजस्थान को विधानसभा चुनाव का सामना करना पड़ेगा। चुनाव के लिए राजनीतिक दलों ने अपनी तैयारी शुरू कर भी दी है। चुनाव प्रबंध समिति व संकल्प पत्र समिति की घोषणा कर भाजपा ने एक तरह से वसुंधरा राजे सिंधिया को एक बार फिर से चर्चा का विषय बना दिया है। दोनों ही समितियों में वसुंधरा राजे का नाम नहीं है।
इस बारे में सवाल जवाब हो रहे हैं। केंद्रीय मंत्री प्रहलाद जोशी से लेकर प्रदेश प्रभारी अरूण सिंह से सवाल किया जा चुका है। दोनों ही नेताओं ने सवालों का जवाब देने के स्थान पर उन्हें टालने की प्रवृत्ति प्रदर्शित की है।
घोषणा पत्र समिति की कमान केंद्रीय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल को सौंपी गई है। इसी तरह भाजपा ने चुनाव प्रबंधन समिति की जिम्मेदारी राजस्थान में पूर्व सांसद नारायण पंचारिया को दी है। दोनों ही समिति में अपने नाम न होने के बाद वसुंधरा राजे ने मौन साध लिया है।
वसुंधरा के समर्थक भी उनके मौन से परेशान हैं। वे जानना चाह रहे हैं कि अब उनका रूख क्या है और समर्थकों को किस दिशा में आगे बढ़ना है। हालांकि वसुंधरा राजे बीते कुछ समय से कांग्रेस के निशाने पर भी रही हैं। खास करके पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट उन्हें अपने निशाने पर लेते रहे हैं।
तमाम तरह के प्रयास के बावजूद भी अब तक भाजपा ने वसुंधरा राजे को विधानसभा चुनाव में सीएम फेस नहीं बनाया है। पार्टी की मंशा इस बार भावी मुख्यमंत्री के चेहरे के बगैर चुनाव लड़ने की नजर आती है। यह भी राष्ट्रीय उपाध्यक्ष वसुंधरा के लिए परेशानी वाली बात है।
इन सब के बीच वसुंधरा राजे का राजस्थान में अपना जनसंपर्क लगातार जारी है। पार्टी की परिवर्तन यात्रा के पूर्व ही उन्होंने लोगों से मिलने जुलने के लिए यात्रा निकाल दी थी। इसे लेकर भी वसुंधरा और भाजपा समर्थकों में किंतु परंतु की स्थिति निर्मित हुई। यदि यही हाल रहा तो भाजपा का चुनाव अभियान प्रभावित भी हो सकता है।