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रायपुर.
तमाम तरह की आशंकाओं, किंतु परंतु, साम दाम दंड भेद के बावजूद पत्रकार राजधानी की सड़क पर शांति मार्च करते नज़र आए. हालांकि पुलिस ने इनका रास्ता रोक दिया तो पत्रकार सड़क पर ही धरने पर बैठ गए. पत्रकारों की रैली के दौरान रास्ता रोके जाने की बात पर पुलिस से झड़प भी हुई.
सारे फसाद की जड़ में वह कांकेर कांड है जिसमें कांकेर के पत्रकार सतीश यादव और कमल शुक्ला के साथ कुछेक कांग्रेसियों ने मारपीट की थी. यादव और शुक्ला का तो यह आरोप भी रहा है कि उनकी जान लेने की कोशिश की गई थी.
यह घटना 26 सितंबर को घटित हुई थी. उस दिन कांकेर के बीच बाजार में कांग्रेस के स्थानीय नेताओं ने इनके साथ मारपीट की थी. तब से बस्तर सहित सरगुजा, बिलासपुर, दुर्ग, रायपुर संभाग के पत्रकार खुलकर गुंडागर्दी करने वाले कांग्रेसियों के साथ साथ राज्य सरकार के खिलाफ अपने आक्रोश का इजहार कर रहे थे.
शुक्रवार को रायपुर में इसी मसले पर पत्रकारों ने प्रदर्शन किया. इस दौरान मुख्यमंत्री आवास तक रैली निकाल रहे पत्रकारों को पुलिस ने बीच रास्ते में रोक लिया. इसके बाद पत्रकार वहीं धरने पर बैठ गए. मुख्यमंत्री के खिलाफ नारेबाजी करने लगे. इस दौरान पत्रकारों ने ज्ञापन की प्रतियां भी जला दीं.
दरअसल, पत्रकार सरकार की जांच समितियों से खुश नहीं हैं. वह लगातार कार्रवाई किए जाने की मांग कर रहे हैं. इस बीच मुख्यमंत्री ने पत्रकारों की ही जांच समिति बना दी तो वे उग्र हो गए.
हटाए जाए कलेक्टर – एसपी
कांकेर कलेक्टर व एसपी को हटाने और दोषी कांग्रेस नेता को जिला बदर करने की मांग को लेकर पत्रकार रायपुर में प्रदर्शन करने जुटे थे. इस दौरान पत्रकारों ने नारे लिखे बैनर और तख्ती लेकर गांधी मैदान से मुख्यमंत्री आवास तक रैली लेकर चल पड़े.
वे मुख्यमंत्री को कार्रवाई के लिए ज्ञापन सौंपना चाहते थे, लेकिन पुलिस ने उन्हें काली बाड़ी चौक पर ही रोक लिया. इस दौरान दोनों पक्षों में धक्का-मुक्की और हल्की झड़प भी हुई.
सीएम से मिलने की मांग पर पत्रकार अड़े थे जोकि तीन घंटे बाद भी पूरी नहीं हो पाई तो पत्रकारों ने सीएम को सौंपे जाने वाले ज्ञापन की प्रतियों को वहीं पर आग के हवाले कर दिया.
. . . जब कमल शुक्ला को माफी मांगनी पडी़
देश-प्रदेश में अपनी जागरूक पत्रकारिता के लिए प्रसिद्ध वरिष्ठ पत्रकार कमल शुक्ला को आज पत्रकारों से माफी भी मांगनी पडी़. दरअसल, शुक्ला ने प्रेस क्लब के कुछेक लोगों पर टिप्पणी की थी जिस पर रैली के दौरान प्रफुल्ल ठाकुर सरीखे वरिष्ठ सदस्यों ने आपत्ति की थी.
बकौल ठाकुर “मैंने उनके बयान को लेकर आपत्ति दर्ज कराई है. उन्होंने सार्वजनिक रूप से आंदोलन के मंच से इसके लिए माफी भी मांगी. उनका कहना था कि प्रेस क्लब के कुछ लोगों द्वारा उनके मामले में सीएम से डील कर लेने के कारण वे बहुत आहत थे. रायपुर प्रेस क्लब के प्रतिनिधि मंडल के सीएम से मिलने का कारण आंदोलन को खत्म करने की साजिश की गई और उन्हें नक्सली बोला गया. इससे वे मर्माहत थे और भावावेश में आकर उन्होंने टिप्पणी की. उन्होंने अपनी बात, सभी पत्रकारों के लिए नहीं कहीं, उन पत्रकारों के लिए है जो वास्तव में वैसे हैं.”