मां पाताल भैरवी सिद्धपीठ में शरद पूर्णिमा पर हजारों श्रद्धालुओं ने ग्रहण की जड़ी बुटी युक्त खीर प्रसाद
राजनांदगांव। मानव सेवा व जनकल्याण के लिए अंचल सहित देशभर में पहचान बना चुकी बर्फानी सेवाश्रम समिति द्वारा अपने आशीर्वादक राष्ट्रीय संत श्री श्री 1011 योगाधिराज ब्रम्हर्षि बर्फानी दादा जी के आशीर्वाद से संस्था द्वारा संचालित गर्भगृह में विराजमान मां पाताल भैरवी राज राजेश्वरी त्रिपुर सुंदरी दश महाविद्या द्वादश ज्योर्तिलिंग शिव शक्ति सिद्धपीठ बर्फानी आश्रम परिसर में शरद पूर्णिमा 16 अक्टूबर बुधवार की रात्रि में हजारों स्वांस, दमा व अस्थमा पीड़ितों को जड़ी बुटीयुक्त खीर प्रसाद का नि:शुल्क वितरण किया गया। जिसमें अंचल सहित देशभर से हजारों की संख्या में पीड़ित यहां पहुंचे थे। इसके अलावा लोक कलाकारों को प्रोत्साहित करने की दृष्टिकोण से छत्तीसगढ़ का प्रसिद्ध लोक कलामंच स्वरधारा ने अपनी प्रस्तुति से लोगों का मन मोह लिया।
पौराणिक मान्यताओं का अनुशरण
संस्था के सचिव गणेश प्रसाद शर्मा ‘गन्नू’ ने बताया कि बर्फानी आश्रम स्थित मां पाताल भैरवी राज राजेश्वरी त्रिपुर सुंदरी दश महाविद्या द्वादश ज्योर्तिलिंग शिव शक्ति सिद्धपीठ में संस्था द्वारा जनकल्याण के तहत स्वांस, दमा व अस्थमा पीड़ितों को पिछले 28 वर्षों से दुर्लभ जड़ी बुटियां एकत्रित कर पौराणिक मान्यताओं अनुसार जड़ी बुटी युक्त खीर प्रसादी तैयार कर स्वांस, दमा व अस्थमा पीड़ितों को ब्रम्हमुहूर्त में वितरीत की जाती है। इस वर्ष भी संस्था द्वारा कल रात्रि 16 अक्टूबर बुधवार को अश्विन शुक्ल शरद पूर्णिमा पर खीर प्रसाद तैयार करवाया गया था। जिसे शरद पूर्णिमा की रात्रि 16 कलाओं से युक्त चन्द्रमा की चन्द्रकला से प्राप्त होने वाली अमृतरूपी बुंदों से प्रसाद तैयार कर श्रद्धालुओं को प्रात: ब्रम्हमुहुर्त पर मां पाताल भैरवी सहित परमपुज्य गुरुदेव श्री बर्फानी दादा जी की पूजन आरती पश्चात नि:शुल्क वितरीत किया गया। जो सूर्योदय पश्चात तक चलता रहा।
अंचल सहित पड़ोसी राज्यों से भी आए थे पीड़ित
इस बार भी छत्तीसगढ़ सहित पड़ोसी राज्य मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, बंगाल, उड़ीसा, राजस्थान, आंध्रप्रदेश, बिहार, उत्तरप्रदेश, झारखंड सहित देश के अन्य हिस्सों से भी पीड़ितजन जड़ीबुटीयुक्त प्रसाद ग्रहण करने संध्या से ही पहुंचे थे। इसके लिए संस्था ने व्यापक पैमाने पर तैयारी की थी। जिससे पीड़ितों को प्रसाद वितरण में कठिनाईयों का सामना करना नहीं पड़ा और आयोजन व्यवस्थित रूप से संपन्न हो सके। संध्या से ही हलवाईयों द्वारा खीर प्रसाद तैयार करना प्रारंभ कर दिया गया था। जिसे मध्य रात्रि के पूर्व खुले आसमान के नीचे रखा गया और ब्रम्हमुहूर्त पर माता को प्रसाद अर्पित कर पीड़ितों को वितरीत करने का क्रम प्रारंभ हुआ। जो सूर्योदय पश्चात तक चलता रहा। संस्था द्वारा 30 हजार से भी अधिक स्वांस, दमा व अस्थमा पीड़ितों को जडी बुटी युक्त खीर प्रसाद का वितरण किया गया।
लोक कलामंच स्वरधारा ने बांधा समां
लोक कलाकारों को प्रोत्साहित करने की दृष्टिकोण से इस वर्ष भी मनोरंजन के भरपूर रहने वाली एवं कर्मा, ददरिया, सुआ, पंथी के साथ ही हास्य व्यंग्य के प्रहसन प्रस्तुत करने वाली छत्तीसगढ़ की प्रसिद्ध लोककला संस्था स्वरधारा द्वारा संचालक विष्णु कश्यप के निर्देशन में एक से बढ़कर एक प्रस्तुति देकर रात भर दर्शकों को मंत्रमुग्ध करते रहे। कलाकारों ने अपनी प्रस्तुति के तहत छत्तीसगढ़ महतारी व राष्ट्र प्रेम से ओतप्रोत भारत माता के ऊपर शानदार प्रस्तुति से लोगों को अपने ओर आकर्षिक किया।
प्रशासन, पुलिस व निगम का भी मिला सहयोग
संस्था द्वारा सन 1997 से प्रारंभ किए गए मानव सेवा एवं जनकल्याण के तहत शरद पूर्णिमा पर आयोजित आयोजन में जिला प्रशासन, पुलिस प्रशासन व नगर निगम से भी सहयोग प्राप्त हुआ। पुलिस विभाग के द्वारा रात्रि भर सुरक्षा की दृष्टिकोण से विशेष दल लगाकर आयोजन स्थल व मार्ग पर विशेष निगरानी भी रखी गई थी।
आयोजन को इनका भी मिला सहयोग
इस बार आयोजित होने वाले शरद पूर्णिमा आयोजन को लेकर संस्था के अध्यक्ष राजेश मारु, उपाध्यक्ष दीपक जोशी, कोषाध्यक्ष नीलम जैन, महंत गोविंद दास, महेन्द्र लुनिया, कमलेश सिमनकर, संतोष खंडेलवाल, सूरज जोशी, आलोक जोशी, लीलाधर सिंह, बलविंदर सिंह भाटिया, कुलबीर छाबड़ा, संजय खंडेलवाल, योगेन्द्र पांडे, मनीष परमार, कुमार स्वामी, संतोष साहू, शुभम शर्मा, मौलेश तिवारी, विवेक रंजन सोनी, सत्यम शर्मा, दीपक यादव (महावीर हलवाई) का निरंतर सहयोग प्राप्त होते रहा। इसके अलावा आयोजन को श्रद्धालुओं व पीड़ितजनों ने भी स्वस्फूर्त सहयोग प्रदान करते हुए शांतिपूर्वक ढंग से सफल बनाया।