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राजनांदगांव.
पत्रकारों को सस्ती दर पर जमीन देने का मसला फिर राजनांदगांव में उठ खड़ा हुआ है. इस बार यह जिन्न तब बोतल से बाहर निकल आया जब पत्रकारों के एक समूह ने मुख्यमंत्री के कार्यक्रम में कांग्रेस व जिला प्रशासन द्वारा स्वयं के साथ भेदभाव किए जाने का आरोप लगाते हुए मुख्यमंत्री के कार्यक्रम का बहिष्कार किया था.
इस मसले पर राजनांदगांव के पत्रकार जगत में दो फाड़ देखी जा रही है. दरअसल एक पक्ष मुख्यमंत्री के कार्यक्रम के विरोध की बात करता है तो दूसरी ओर से यह सवाल किया जाता है कि पत्रकारों की जमीन के विषय में कोई बात हुई क्या.
वाट्सप में जारी है तूतू-मैमै
इस विषय पर पत्रकारों में तूतू-मैमै देखी जा रही है. मामला तब बिगड़ गया जब व्यक्तिगत आरोप लगने लगे. गौरतलब तथ्य यह है कि किसी ने भी इसमें हस्तक्षेप करने की नहीं सोची है.
राजनांदगांव के पत्रकारों के एक वाट्सप ग्रुप में विगत दिनों से मामला गरमाया हुआ है. जमीन से शुरू हुआ मसला अब किंतु-परंतु होते हुए देखने और दिखाने पर उतर आया है.
कोई पत्रकार किसी को कुछ कह रहा है तो कोई कुछ और… किसी ने किसी पत्रकार पर अधिकारियों द्वारा अपमानित किए जाने का आरोप मड़ दिया तो किसी ने रवीश कुमार के नाम का उल्लेख किया.
बहरहाल, मामला यदि इसी तरह से चलता रहा तो पत्रकारों की जमीन का वह मसला पीछे छूट जाएगा जिसके लिए आज दिनांक तक पत्रकारों ने कई पापड़ बेले हैं.
पहले भाजपा की सरकार ने ठगा था और अब कांग्रेस की सरकार मसले को अटकाए बैठी है. अब देखना यह है कि इस मसले का आखिर में क्या हल निकलता है.( तस्वीर प्रतिकात्मक )