पलटवार: शिवराज के ई टेंडर घोटाले पर एफआईआर

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भोपाल.

मध्यप्रदेश की कांग्रेस सरकार व देश की भाजपा सरकार के बीच लगता है शह और मात का खेल तेजी से चल रहा है. तभी तो मुख्यमंत्री कमलनाथ के नजदीकी लोगों पर आयकर के छापे के तुरंत बाद पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पर हजारों करोड़ों रूपए के ई-टेंडरिंग घोटाले में एफआईआर दर्ज की गई है. यह एफआईआर आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) में दर्ज हुई है.

प्रदेश में भाजपा को हराकर कांग्रेस सरकार जब से काबिज हुई थी तब से अब तक शिवराज सिंह शासनकाल में हुए घोटालों पर चुप्पी साधे बैठी थी. सीएम के स्टॉफ के लोगों पर जैसे ही आयकर ने छापा मारा वैसे ही शिवराज सिंह चौहान मुसीबत में घिर गए हैं.

मंगलवार दोपहर को दर्ज हुई

बताया जाता है कि मंगलवार दोपहर को ईओडब्ल्यू में प्राथमिकी दर्ज की गई है. एडीजी ईओडब्ल्यू एन तिवारी ने इसकी पुष्टि की है.

अधिकारिक सूत्र बताते हैं कि पांच विभागों सहित अज्ञात नौकरशाहों, राजनेताओं के अलावा सात कंपनियों को आरोपी बनाया गया है.

इस डिजिटल घोटाले पर भारतीय कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम (सीईआरटी) से पॉजीटिव रिपोर्ट भेजे जाने के बाद एफआईआर दर्ज करने ईओडब्ल्यू अब तक मुख्यमंत्री की मंजूरी के इंतजार में बैठा था.

80 हजार करोड़ का है घोटाला

बताया जाता है कि प्रदेश में ई-टेंडर घोटाला तकरीबन 80 हजार करोड़ रूपए का है. बीते साल जून में ईओडब्ल्यू ने प्राथमिकी दर्ज की थी. आईएएस राधेश्याम जुलानिया और हरिरंजन राव इस मामले में शक के दायरे में है.

मैप-आईटी के तत्कालीन प्रमुख सचिव मनीष रस्तोगी ने यह ई-टेंडर घोटाला पकड़ा था. तब जल निगम के तीन हजार करोड़ के तीन टेंडर में अपनी पसंद की कंपनी को काम देने के लिए टेंपरिंग की गई थी.

उस समय ईओडब्ल्यू ने कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम (सीईआरटी) को एनालिसिस रिपोर्ट के लिए 13 हार्ड डिस्क भेजी थी.

इन्ही 13 में से 3 हार्ड डिस्क में टेंपरिंग की पुष्टि की जा चुकी है. अब मामला 3 हजार करोड़ से बढ़कर 80 हजार करोड़ के टेंडर तक पहुंच चुका है.

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