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राजनांदगांव. जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक के अध्यक्ष रह चुके नवाज खान की कारगुजारियां अब कांग्रेस को महंगी पड़ने लगी है। छिपा सोसायटी के सहायक प्रबंधक गोवर्धन वर्मा (45) की बीते दिनों हुई आत्महत्या में पुलिस से नोटिस मिलते ही नवाज खान अचानक फरार हो गए हैं। इस बीच पूर्व मुख्यमंत्री और राजनांदगांव संसदीय क्षेत्र से कांग्रेस प्रत्याशी भूपेश बघेल के लिए मोर्चा संभाल रहे गिरीश देवांगन-विनोद वर्मा की मदद के लिए सोमवार को अचानक अमरजीत भगत को राजनांदगांव के मैदान में उतरना पड़ा।
उल्लेखनीय है कि छिपा सोसायटी में धान खरीदी में 28 लाख रूपए की आर्थिक गड़बड़ी उभरकर सामने आई थी। और तो और कुछ किसान अनियमित लोन भी प्राप्त कर चुके थे। इन सभी मामलों में सहायक प्रबंधक रहे गोवर्धन वर्मा को नवाज खान से मिली भगत करने का आरोपी ठहराया जा रहा था।
मार्च की 24 तारीख को गोवर्धन वर्मा ने अचानक आत्महत्या कर ली। इसी आत्महत्या पर पुलिस मर्ग कायम कर जांच प्रारंभ की थी। जांच धीरे-धीरे नवाज खान तक पहुंचनी चालु हुई। पुलिस ने बकायदा नोटिस जारी कर नवाज को पूछताछ के लिए थाने में तलब किया था। तब नवाज ने कहा था कि कल (रविवार) 11 बजे थाने पहुंचता हूं लेकिन न तो वह स्वयं थाने पहुंचे और न ही उन्होंने किसी तरह का अभ्यावेदन पुलिस के समक्ष प्रस्तुत किया।
बताया तो यह तक जाता है कि नवाज खान ने इसके तुरंत बाद अपना मोबाईल भी बंद कर रखा है। एक तरह से नवाज फरार हैं और पुलिस उन्हें दर-दर तलाश रही है। इसका खामियाजा सीधे तौर पर कांग्रेस और उसके प्रत्याशी को भुगतना पड़ सकता है। चूंकि नवाज कांग्रेस प्रत्याशी के गुडबुक में शामिल रहे हैं इस कारण उन्हें रायपुर से आए गिरीश देवांगन और विनोद वर्मा के साथ कांग्रेस ने ‘‘महत्वपूर्ण चुनावी जिम्मेदारी’’ सौंपी थी।
नवाज के अचानक पुलिस केस में उलझने और फरार हो जाने के बाद अब कांग्रेस को ऐन चुनाव के समय तीखे सवालों का सामना करना पड़ रहा है। कांग्रेसी पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को सबसे बड़ा किसान हितैषी नेता बताते रहे हैं। ऐसा ही कुछ नवाज के साथ था। जिले में किसान हितैषी नेता नवाज खान को कहा जाने लगा था।
मतदान के ठीक पहले अब जब नवाज लापता हैं तब उनके सहित भूपेश बघेल के किसान हितैषी होने पर सवाल जवाब हो रहे हैं। दरअसल, जिस आत्महत्या के मामले में पुलिस जांच कर रही है वह आत्महत्या सीधे तौर पर धान खरीदी और किसानों से जुड़ी हुई है। इसके चलते कांग्रेस की स्थिति विकट हो चली है।
नवाज उस टीम में शामिल थे जिस टीम में गिरीश देवांगन और विनोद वर्मा जैसे भूपेश बघेल के नजदीकी कहे जाने वाले नेता शामिल हैं। गिरीश और विनोद के साथ भूपेश बघेल के लिए नवाज लोकसभा चुनाव की तमाम तरह की उठा पटक जिले में देख रहे थे। अब जब वह पुलिस से बचते फिर रहे हैं तब गिरीश और विनोद को एक तरह से अकेला पड़ते देखकर सोमवार से अमरजीत भगत मैदान में उतरे हैं।
बहरहाल, अमरजीत भगत कांग्रेसी सरकार के समय जिले के प्रभारी मंत्री रह चुके हैं। और तो और उन्हें खाद्य विभाग का भी दायित्व सौंपा गया था। अब यही खाद्य विभाग इस सरकार के समय मुख्य तौर पर निशाने पर रहा है। इन सबके बावजूद अमरजीत भगत ने सोमवार को गिरीश देवांगन का साथ देने जिले के कांग्रेसियों के साथ बैठक की थी। अब देखना यह है कि बैठक किस हद तक प्रभावी होती है।