नेशन अलर्ट/धमतरी.
जिले में हुई भाजपा के आला नेताओं की बैठक से विष्णुदेव साय की अनुपस्थिति अब चर्चा का विषय बन गई है। आदिवासी दिवस के दिन प्रदेश भाजपा अध्यक्ष पद से हटा दिए गए साय पार्टी से क्या सचमुच नाराज हैं ? यदि नाराजगी नहीं है तो आमंत्रित होने के बावजूद विष्णुदेव साय बैठक में क्यूं उपस्थित नहीं हुए ?
धमतरी जिले सहित पूरे प्रदेश में अपनी विशिष्ट पहचान रखने वाले गंगरेल बांध के किनारे भाजपा के आला नेताओं की बैठक गुरूवार को हुई थी। बैठक को गोपनीय बताया जा रहा था। अब जबकि बैठक की खबरें छनकर बाहर आ रही हैं तो नफा नुकसान की भी बातें होने लगी है।
बस्तर को लेकर हुआ मंथन
बताया जाता है कि बैठक में बस्तर को लेकर विशेष तौर पर मंथन हुआ। बस्तर संभाग में विधानसभा की कुल 12 सीटें आती है। दिवंगत भीमा मंडावी को छोड़कर 12 में से 11 सीट कांग्रेस के हाथों भाजपा हार चुकी थी। भीमा मंडावी के निधन से खाली हुई दंतेवाड़ा सीट के उपचुनाव में कांग्रेस की देवती कर्मा ने जीत हासिल कर भाजपा का पूरे बस्तर से सुपड़ा साफ कर दिया था।
पार्टी के अधिकारिक सूत्र बताते हैं कि राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री शिवप्रकाश, क्षेत्रीय संगठन महामंत्री अजय जामवाल, प्रदेश सह प्रभारी नितिन नवीन की मौजूदगी में प्रदेश के तकरीबन दो दर्जन नेताओं ने बस्तर को पुन: भाजपा के पक्ष में करने की रणनीति पर विचार विमर्श किया। इसके लिए भाजपा ने आदिवासी आरक्षण के विषय पर बस्तर के सभी जिलों में आंदोलन करने की रणनीति तैयार की है।
प्रदेश अध्यक्ष अरूण साव, नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल, संगठन महामंत्री पवन साय, केंद्रीय मंत्री रेणुका सिंह, केदार कश्यप, धरमलाल कौशिक, सरोज पांडे, अजय चंद्राकर, बृजमोहन अग्रवाल की मौजूदगी में पूर्व प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदेव साय की अनुपस्थ्िाति गौर करने वाली बात रही। डॉ.रमन सिंह स्वास्थ्य संबंधी कारणों के चलते बैठक में नहीं आ पाए लेकिन प्रेमप्रकाश पांडे, अमर अग्रवाल, राजेश मूणत जैसे बड़े नेताओं को बैठक के लिए आमंत्रित ही नहीं किया गया था।