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शहर में रहने वाले बच्चों को उनके गांव, उनकी संस्कृति और मिट्टी से जोड़ने वाला पर्व नुआखाई आज मनाया जा रहा है। आराध्य देवी को नया अनाज चढ़ाने के बाद एक साथ मिलकर इसी नए अन्न को उत्कलवासी ग्रहण करेंगे।
दरअसल, गणेश पर्व की शुरूआत होते ही अगले दिन नुआखाई का पर्व मनाया जाता है। गणेशोत्सव इस बार बुधवार से शुरू हुआ है इसकारण गुरूवार को नुआखाई का पर्व मनाया जा रहा है। पैसे कमाने के लिए भले ही शहर में रह रहे किसान परिवार के बेटे को तब तक नवान्न में शामिल नहीं किया जाता है जब तक वह अपने खेत की पूजा नहीं करता है।
इसी तरह कुम्हार, लोहार जैसे किसी भी परिवार के लोग चाहे वे किसी भी आर्थिक पेशे में हो सबसे पहले अपने आराध्य की पूजा करते हैं। इस पर्व के जरिए युवा पीढ़ी घर, परिवार एवं गांवों के संदर्भ में किताबों, शिक्षण संस्थाओं से परे ज्ञान अर्जित करती है।
छत्तीसगढ़ में भी धूम
उड़ीसा के प्रमुख लोकपर्व नुआखाई की धूम पश्चिमी सीमा पर बसे छत्तीसगढ़ में भी है। छत्तीसगढ़ के गरियाबंद, महासमुंद, रायगढ़, जशपुर, धमतरी के अलावा बस्तर संभाग के कुछ जिले धूमधाम से फसल पकने के पर्व नुआखाई को क्षेत्रीय उत्सव के रूप में मना रहे हैं।
यह पर्व भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की पंचमी को ग्रामदेवता अथवा ग्रामदेवी की पूजा कर मनाया जा रहा है। विशेष रूप से अरसा पीठा नामक व्यंजन तैयार कर देवी अन्नपूर्णा के स्वागत की तैयारी की गई है। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी हरियाली और खुशहाली के कृषि पर्व की बधाई दी है। उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ में आज ऐच्छिक अवकाश घोषित किया गया है।
राजधानी रायपुर में यह पर्व 7 सितंबर तक मनाया जाएगा। नुआखाई अमृत महोत्सव के नाम से मनाए जाने वाले इस पर्व को लेकर सामाजिक नेता भगवानू नायक, कार्यक्रम प्रभारी आशीष तांडी बताते हैं कि आजादी की 75वीं वर्षगांठ की तर्ज पर उत्कल बस्तियों में 7 दिवसीय आयोजन रखा गया है। कोटा, टिकरापारा, सुमीत नगर, संतोषी नगर, बीएसयूपी कॉलोनी सड्डू, कलिंग नगर गुढि़यारी जैसे स्थानों पर बड़े बुजूर्गों को नए वस्त्र भेंटकर उनका आशीर्वाद प्राप्त किया गया।