पुलिस-किसान विवाद सरकार की हठधर्मिता का परिणाम : रूपेश दुबे
राजनांदगांव। छुईखदान में पुलिस और किसानों के बीच हुई झड़प को प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता रूपेश दुबे ने सरकार की हठधर्मिता और पूंजीवादी मानसिकता का प्रत्यक्ष परिणाम बताया है। उन्होंने कहा कि जब 39 गांवों की ग्रामसभाएं कृषि भूमि बचाने और प्रस्तावित सीमेंट फैक्ट्री के खिलाफ एकमत हैं, तब सरकार का सीमित संख्या वाले गांवों से प्राप्त संदिग्ध हस्ताक्षरों के आधार पर 11 दिसंबर को जनसुनवाई आयोजित करना सरासर जनहित विरोधी कदम है। इसी कारण इस जनसुनवाई को तत्काल रद्द किया जाना आवश्यक है।
दुबे ने कहा कि प्रदेश की भाजपा सरकार एक ओर किसानों के धान खरीद में कठोर और उलझाऊ प्रावधान लागू कर अन्नदाताओं को परेशान कर रही है, वहीं दूसरी ओर कृषि भूमि पर उद्योग स्थापित करने के लिए अपने चहेते पूंजीपति मित्रों को खुला संरक्षण दे रही है। न्यू बायोलुक फैक्ट्री को बिना विधिवत प्रक्रिया जलापूर्ति जैसी सुविधाएं देना और कल्याणी इस्पात की जनसुनवाई में जनता की आपत्तियों को नजरअंदाज कर उद्योग शुरू करा देना इसी सोच का उदाहरण है। इन कदमों से स्पष्ट है कि वर्तमान सरकार जनता के हितों से अधिक उद्योग घरानों के हितों को प्राथमिकता दे रही है।
उन्होंने कहा कि पुलिस और किसान न तो एक-दूसरे के विरोधी हैं और न ही दोषी। यह टकराव सरकार की अनसुनी और जिद के कारण उत्पन्न हुआ है। किसान अपनी जायज मांगों और कृषि भूमि की रक्षा के लिए शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे थे, जिस पर अनावश्यक दबाव बनाया गया।
अंत में दुबे ने मांग की कि सरकार 11 दिसंबर की जनसुनवाई तत्काल रद्द करें, किसानों और ग्रामसभाओं के निर्णय का सम्मान करें तथा छत्तीसगढ़ की पहचान धान का कटोरा बनाए रखने के लिए जनभावना को सर्वोपरि रखें।

