खनन व सीमेंट फैक्ट्री विरोधी आंदोलन की कमान महिलाओं के हाथ, बना किसान अधिकार संघर्ष समिति
छुईखदान। दनिया-अतरिया-उदयपुर-हनईबन क्षेत्र में प्रस्तावित चुना पत्थर खदान और श्री सीमेंट फैक्ट्री के विरोध में चल रहा किसान आंदोलन अब निर्णायक मोड़ पर पहुंच गया है। आंदोलन की कमान महिलाओं के हाथों में सौंपे जाने के साथ ही यह संघर्ष जन आंदोलन का रूप लेने लगा है। इसी क्रम में किसानों और ग्रामीणों के अधिकारों की रक्षा के लिए किसान अधिकार संघर्ष समिति का गठन किया गया है।
किसान अधिकार संघर्ष समिति की अध्यक्ष लुकेश्वरी जंघेल को बनाया गया है, जबकि प्रियंका जंघेल को सचिव की जिम्मेदारी सौंपी गई है। आंदोलन को मार्गदर्शन देने के लिए गिरवर जंघेल और मोतीलाल जंघेल को संरक्षक नियुक्त किया गया है। समिति के संयोजक सुधीर गोलछा बनाए गए हैं। वहीं डोमर सिंह भेड़िया और कुसुम जंघेल को सह संयोजक की जिम्मेदारी दी गई है।
आंदोलन में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी से क्षेत्र में खासा उत्साह देखा जा रहा है। प्रारंभिक कार्यकारिणी में विभिन्न गांवों से 180 महिला और 170 पुरुष सदस्यों को शामिल किया गया है। समिति ने गांव-गांव जाकर बैठकें कर कार्यकारिणी का विस्तार करने का निर्णय लिया है।
समिति की कार्यकारिणी में कामदेव जंघेल, बीरेंद्र जंघेल, राजकुमार जंघेल, प्रमोद सिंह और छोटू यादव को उपाध्यक्ष बनाया गया है। मुकेश पटेल और विक्रम यादव सह सचिव होंगे। मीडिया प्रभारी की जिम्मेदारी सौरभ जंघेल, एमन जंघेल, ज्ञानेंद्र जंघेल, प्रियंका चंदेलए, होमेश्वर जंघेल और लक्की जंघेल को सौंपी गई है।
आंदोलनकारियों की आस्था और एकजुटता को मजबूत करने के लिए आंदोलन स्थल पर दक्षिण मुखी मंदिर के निर्माण का भी निर्णय लिया गया है। समिति का कहना है कि इससे आंदोलन को आध्यात्मिक संबल मिलेगा।
समिति की अध्यक्ष लुकेश्वरी जंघेल ने कहा कि जब तक खनन परियोजना और सीमेंट फैक्ट्री की स्थापना पूरी तरह रद्द नहीं होती, तब तक आंदोलन जारी रहेगा। उन्होंने बताया कि यह क्षेत्र कृषि प्रधान है, जहां त्रिफसली खेती होती है। खनन से भूमि, जलस्तर और पर्यावरण को गंभीर नुकसान पहुंचेगा।
सचिव प्रियंका जंघेल ने बताया कि गांव-गांव जाकर ग्रामीणों को खनन और फैक्ट्री से होने वाले पर्यावरणीय नुकसान, जल संकट और खेती पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों की जानकारी दी जाएगी।
हाल ही में आयोजित किसान महापंचायत में बड़ी संख्या में किसानों और ग्रामीणों की मौजूदगी ने आंदोलन को मिल रहे जनसमर्थन को स्पष्ट किया।
संयोजक एवं जनपद सभापति सुधीर गोलछा ने कहा कि महिलाओं के नेतृत्व और किसानों की एकता से यह आंदोलन अब पूरी तरह जन आंदोलन बन चुका है। आने वाले दिनों में इसे और व्यापक रूप देकर परियोजना को बंद कराने के लिए निर्णायक संघर्ष किया जाएगा।

