मुफ्त अनाज का वितरण किए बिना ही जनता का पेट भरने का चमत्कार कैसे कर रही कांग्रेस ?

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राज्य सरकार की सार्वजनिक वितरण प्रणाली विफल : माकपा

नेशन अलर्ट / 97706 56789

रायपुर.

मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने कांग्रेस सरकार पर राज्य के गरीबों और जरूरतमंदों को खाद्यान्न सुरक्षा से वंचित करने का आरोप लगाया है। पार्टी के राज्य सचिवमंडल का आरोप है कि सरकार दोहरे मापदंड अपना रही है।

इसे स्पष्ट करते हुए कहा गया कि एक ओर तो वह बगैर राशन कार्ड वाले परिवारों को खाद्यान्न देने की लफ्फाजी कर रही है, वहीं दूसरी ओर केंद्र सरकार द्वारा आबंटित मुफ्त चावल और दाल का पूरा कोटा बीपीएल परिवारों को भी वितरित नहीं कर रही है।

माकपा ने अपने इस आरोप के समर्थन में सरकार द्वारा पंचायतों में बांटे जा रहे एक पर्चे को मीडिया के लिए जारी किया है, जिसमें दर्शाया गया है कि तीन सदस्यों तक के बीपीएल परिवार वालों को कोई अतिरिक्त चावल आबंटित नहीं किया जाएगा, जबकि 6 या अधिक सदस्यों वाले परिवार को प्रति सदस्य 3 किलो ही अतिरिक्त चावल आबंटित किया जाएगा।

केंद्र ने दिया लेकिन वितरण में कटौती कर रहा राज्य

उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार ने कोरोना संकट के मद्देनजर देश के 80 करोड़ नागरिकों को नवंबर माह तक प्रति व्यक्ति प्रति माह 5 किलो चावल या गेहूं और प्रति परिवार एक किलो दाल मुफ्त देने की घोषणा की है।

माकपा ने केंद्र द्वारा आबंटित इस अतिरिक्त अनाज के राज्य में वितरण के मुद्दे को दृढ़तापूर्वक उठाया है। कहा है कि केंद्र द्वारा आबंटित अनाज को वितरित करना राज्य सरकार का दायित्व है। इसके वितरण में कटौती का उसे कोई अधिकार नहीं है।

माकपा राज्य सचिव संजय पराते ने कहा है कि 6 या अधिक सदस्यों के परिवार को केंद्र सरकार द्वारा आबंटित 5 किलो चावल को मिलाकर प्रति व्यक्ति 12 किलो चावल वितरित किया जाना चाहिए, लेकिन इसे प्रति व्यक्ति 10 किलो तक ही सीमित कर दिया गया है, जबकि तीन सदस्यों तक के परिवारों को तो इस अतिरिक्त अनाज से पूरी तरह वंचित ही किया जा रहा है।

उनका यह भी कहना है कि केंद्र की घोषणा के अनुरूप राज्य सरकार द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में कहीं भी प्रति कार्ड एक किलो दाल का मुफ्त वितरण नहीं किया जा रहा है। माकपा नेता ने सरकार से पूछा है कि मुफ्त अनाज का नागरिकों के बीच वितरण किये बिना ही वह जनता का पेट भरने का चमत्कार कैसे कर रही है?

आज जारी एक बयान में माकपा ने केंद्र सरकार के उपभोक्ता मंत्रालय की वेब साइट के आंकड़ों के हवाले से बताया है कि प्रवासी मजदूरों सहित राज्य के गरीब और जरूरतमंद लोगों को मुफ्त अनाज वितरण के लिए 20000 टन चावल का आबंटन किया गया है।

हालांकि केंद्र द्वारा यह आबंटन प्रदेश की जरूरतों से कम है, इसके बावजूद इस खाद्यान्न के केवल 5% का ही उठाव यह बताता है कि राज्य सरकार को जनता को पोषण-आहार देने की कोई चिंता नहीं है। यह सार्वजनिक वितरण प्रणाली को सुचारू रूप से संचालित करने में सरकार की विफलता को ही दिखाता है।

माकपा ने कहा है कि प्रदेश में दो-तिहाई से ज्यादा आबादी गरीब है। असंगठित क्षेत्र के लाखों मजदूरों और ग्रामीण गरीबों की आजीविका खत्म हो गई है। 7 लाख प्रवासी मजदूर अपने गांव-घरों में लौटकर भुखमरी का शिकार हो रहे हैं।

ऐसे में वहां जरूरतमंद और गरीब नागरिकों को मुफ्त  अनाज न देकर उन्हें खाद्यान्न सुरक्षा से वंचित करना आपराधिक कार्य है। वास्तव में इस सरकार ने आम जनता को अपनी खाद्यान्न जरूरतों को पूरा करने के लिए बाजार के रहमोकरम पर छोड़ दिया है।

उन्होंने कहा कि कोरोना संकट की आड़ में कालाबाजारियों ने रोजमर्रा की आवश्यक वस्तुओं का कृत्रिम अभाव पैदा किया है और पिछले चार महीनों में बाजार में अनाज की कीमतों में 50-60% तक की वृद्धि हुई है। इससे आम जनता को बचाने के लिए मुफ्त अनाज वितरण ही न्यूनतम सुरक्षा का उपाय है, जिसे पूरा करने से कांग्रेस सरकार इंकार कर रही है।

माकपा ने राज्य सरकार से मांग की है कि केंद्र द्वारा आबंटित अनाज का उठाव कर सभी जरूरतमंद लोगों को चावल और दाल मुफ्त उपलब्ध कराए।

पराते ने कहा है कि सरकार के हवा-हवाई विज्ञापनी दावों से आम जनता का पेट नहीं भरने वाला है। माकपा के देशव्यापी अभियान में राज्य में कांग्रेस सरकार की सार्वजनिक वितरण प्रणाली में विफलता को भी आंदोलन का मुद्दा बनाया जाएगा।

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