मध्य प्रदेश ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन ने चक्काजाम किया
• पेट्रोल – डीजल के बेतहाशा दामों के खिलाफ अंतत: शुरु हुआ आंदोलन
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भोपाल.
मध्य प्रदेश सरकार द्वारा पेट्रोल-डीजल पर लगाए गए बेतहाशा टैक्स के खिलाफ अंततः आंदोलन शुरू हो ही गया. मध्य प्रदेश ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन ने चक्का जाम कर दिया है.
इसके अलावा पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र और गुजरात के ट्रांसपोर्टर्स में भी मध्य प्रदेश की हड़ताल का समर्थन करते हुए ऐलान किया है कि आने वाले 3 दिनों में देश का कोई भी ट्रांसपोर्टर मध्यप्रदेश में माल नहीं भेजेगा.
दूध और दवाइयों की सप्लाई भी बंद हो जाएगी
मध्यप्रदेश में यदि बाहरी राज्यों के कमर्शियल व्हीकल नहीं आए तो तीन दिनों के दौरान दवाईयों से लेकर रोजमर्रा की चीजों की सप्लाई प्रभावित होगी. इसमें मुख्य रूप से सब्जी और डेयरी प्रोडक्ट हैं.
ऑल इंडिया मोटर्स ट्रांसपोर्ट कांग्रेस के डिस्ट्रिक प्रेसीडेंट विनोद जैन ने बताया कि प्रदेश से लगे राज्यों के ट्रांसपोर्टरों से बात हो गई है. उन्होंने भी हड़ताल का समर्थन किया है.
प्रदेश में इन राज्यों के रोजाना करीब 50 हजार कमर्शियल वाहन गुजरते हैं. वह भी अब तीन दिन तक प्रदेश से होकर नहीं जाएंगे..हड़ताल के दौरान रोजमर्रा की चीजों की सप्लाई पर प्रभाव जरूर पड़ेगा, लेकिन हड़ताल ज्यादा नहीं होने के कारण बाद में सब ठीक हो जाएगा.
11 को बैरियर पर प्रदर्शन किया जाएगा
जैन ने बताया कि 11 अगस्त को प्रदेश के चार आरटीओ बैरियर पर प्रदर्शन करेंगे. यह बैरियर हैं- सेंधवा, मुरैना, मालथौन, और मुलताई हैं. यहां पर हर गाड़ी से 500 रुपए निकलने का लिया जाता है. इसे भी कम करने की मांग कर रहे हैं.
दूसरे राज्यों में भरवाते हैं डीजल
दूसरे राज्यों जैसे दिल्ली और महाराष्ट्र में डीजल के रेट कम होने के कारण मध्यप्रदेश के अधिकांश ट्रांसपोर्टर दूसरे राज्यों में डीजल भरवाते हैं. एक जानकारी के अनुसार भोपाल से रोजाना 200 कमर्शियल वाहन दिल्ली जाते हैं..वहां पर डीजल 10 रुपए कम है..इसके कारण सभी ड्राइवर वहीं पर डीजल भरवाते हैं.
पेट्रोल पंप एसोसिएशन ने भी समर्थन किया
मध्यप्रदेश पेट्रोल पंप एसोसिएशन ने भी ट्रांसपोर्टरों की हड़ताल का समर्थन किया है. अध्यक्ष अजय सिंह ने बताया कि ट्रांसपोर्टरों की मांग सही है. वैट बहुत ज्यादा है.
अभी पेट्रोल पर कर समेत कुल मिलाकर करीब 36% और डीजल पर 30% तक है.वर्तमान में पेट्रोल और डीजल के रेट अधिकतम स्तर पर हैं. हम उनकी हड़ताल का समर्थन करते हैं.