बार कौंसिल की मांग : महाधिवक्ता की शर्मनाक करतूतों पर रोक लगाए सरकार
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बिलासपुर.
छत्तीसगढ़ का न्यायिक क्षेत्र इन दिनों गलत कारणों से चर्चा में है. विवादित विषय इस कदर गंभीर हो गए हैं कि उन्होंने महाधिवक्ता के सामने
स्टेट बार कौंसिल को ला खडा़ किया है. कौंसिल
के चेयरमैन प्रभाकर सिंह चंदेल ने महाधिवक्ता की करतूतों को शर्मनाक बताते हुए सरकार से इस पर रोक लगाने की मांग की है.
स्टेट बार कौंसिल के चेयरमैन प्रभाकर सिंह चंदेल ने छत्तीसगढ़ राज्य महाधिवक्ता सतीश वर्मा पर अपने पद और प्रभाव का दुरूपयोग करने का आरोप लगाया है.
उन्होंने कहा कि बार कौंसिल को उनके बारे में व्यावसायिक कदाचरण की शिकायत प्राप्त हुई है, जिस पर सुनवाई की निर्धारित प्रक्रिया को रोकने और किसी भी संभावित कार्यवाही से बचने के लिए बदले की भावना से वे बार कौंसिल चुनाव के ऐसे विवाद उठा रहे हैं, जिस पर पुलिस कार्यवाही को पहले हाई कोर्ट और बाद में सुप्रीम कोर्ट ने निरस्त कर दिया है.
आज यहां जारी एक बयान में स्टेट बार कौंसिल के चेयरमैन चंदेल ने बताया कि 2015 में कौंसिल के हुए चुनावों में मतपत्रों से छेड़छाड़ करने का विवाद पुराना है. इस प्रकरण पर सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय ने आदेश पारित किया था कि कौंसिल के चुनाव के संबंध में तमाम विवादों का निपटारा करने का अधिकार केवल चुनाव प्राधिकरण को है.
चुनाव प्राधिकरण के फैसले से अलग हटकर पुलिस को किसी भी प्रकार की कार्यवाही का अधिकार नहीं है. उनके मुताबिक चुनाव प्राधिकरण की रिपोर्ट के आधार पर ही पुलिस को कार्यवाही करने का अधिकार होगा.
वे कहते हैं कि हाई कोर्ट के इस निर्णय की पुष्टि करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने भी बाद में शिकायतकर्ता के आरोपों को निराधार और औचित्यहीन माना था.
चंदेल ने बताया कि चुनाव प्राधिकरण ने 17 नवम्बर 2019 को सभी याचिकाओं को निरस्त करते हुए चुनाव में किसी भी प्रकार की अनियमितता की शिकायत को प्रमाणित नहीं पाया. चुनाव प्राधिकरण के इस निर्णय के बाद इस विवाद का पटाक्षेप हो गया.
बकौल चंदेल लेकिन आज तक पुलिस प्रशासन ने इस बारे में उसके पास लंबित शिकायतों के खात्मे की कार्यवाही नहीं की.
अवमानना का आरोप
उन्होंने कहा कि यह शर्मनाक है कि राज्य महाधिवक्ता जैसे सम्मानित पद पर विराजमान व्यक्ति ने अपने पद और प्रभाव का दुरूपयोग किया है.
उनके अनुसार सुप्रीम कोर्ट के निर्णयों की अवमानना करते हुए कौंसिल चुनाव के मृतप्राय विवाद को हवा देने की कोशिश की है. आधारहीन एफआईआर को हथियार बनाया गया है.
चंदेल के शब्दों में आधारहीन एफआईआर पर कौंसिल की पूर्व सचिव मल्लिका बल को गिरफ्तार किया गया. कौंसिल कार्यालय के भृत्य को पुलिस द्वारा प्रताड़ित करवाया है.
इसकी निंदा करते हुए उन्होंने कहा कि महाधिवक्ता के खिलाफ प्राप्त शिकायतों का स्टेट बार कौंसिल कौंसिल उसे प्राप्त अधिकारों के दायरे में संज्ञान लेकर निपटारा करेगा और महाधिवक्ता के किसी भी दबाव में नहीं आएगा.
चंदेल ने राज्य सरकार से अपने महाधिवक्ता की शर्मनाक करतूतों पर रोक लगाने की मांग की है. उनके बारे में व्यावसायिक कदाचरण की शिकायतों का संज्ञान लेकर कार्यवाही करने का आग्रह किया है.
चंदेल के मुताबिक ऐसा कर ही राज्य सरकार की छवि को धूमिल होने से बचाया जा सकेगा. उन्होंने कहा कि महाधिवक्ता के कृत्य से पूरे प्रदेश के अधिवक्ताओं में रोष व्याप्त है।