न्यायालय में राज्य सरकार की एक और हार
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बिलासपुर.
न्यायालय में राज्य सरकार की एक और हार हो गई. इस बार फैसला पदोन्नति में आरक्षण को लेकर आया है. राज्य सरकार की ओर से जारी की गई अधिसूचना पर छत्तीसगढ़ के उच्च न्यायालय ने अंतत: रोक लगा दी है.
दरअसल, मामला शासकीय सेवा में कार्यरत कर्मचारियों को पदोन्नति में आरक्षण देने को लेकर राज्य सरकार के एक आदेश से जुड़ा हुआ था. इस संदर्भ में जहां एक ओर जनहित याचिका दायर की गई थी वहीं रिट याचिका भी दायर हुई थी.
गलतियों को सुधारने मांगा था समय
अधिवक्ता योगेश्वर शर्मा के माध्यम से एस संतोष कुमार ने इस मामले में जनहित याचिका दायर की थी. संतोष मूलत: रायपुर के रहने वाले बताए जाते हैं.
इसी तरह अधिवक्ता विवेक शर्मा व प्रफुल्ल भारत के माध्यम से बिजली विभाग में पदस्थ सर्किल इंजीनियर विष्णुप्रसाद तिवारी व गोपाल सोनी ने शासन के आदेश को चुनौती देते हुए याचिका दायर की थी.
29 नवंबर को ही सुनवाई में बिलासपुर हाईकोर्ट ने कहा था कि हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के पुराने निर्णय का पालन किए बिना ही प्रमोशन से जुड़े नियम बनाए गए हैं. इसलिए पहली नजर में यह मामला स्टे के लायक लगता है.
तब शासकीय अधिवक्ता ने गलतियों को सुधारने के लिए पहले 2 दिसंबर तक का समय मांगा था. हालांकि 2 दिसंबर तक संभवत: सुधार नहीं हो पाया इसके चलते उन्होंने 9 दिसंबर तक का समय मांगा था. आज जब सुनवाई हुई तो सरकार के खिलाफ फैसला आया.
बिलासपुर हाईकोर्ट ने सरकार की तरफ से जारी अधिसूचना पर रोक लगाने का आदेश जारी किया है. गलतियों को सुधारने के लिए न्यायालय द्वारा दी गई मोहलत के भीतर कोई खास अमल नहीं हो पाने के चलते चीफ जस्टिस पी आर रामचंद्र मेनन, जस्टिस पीपी साहू की खंडपीठ ने अधिसूचना पर रोक लगा दी है. इसका असर प्रदेश में होने वाले तमाम तरह के पदोन्नति के आदेश पर पड़ेगा.
बहरहाल, यह सरकार का न्यायालिन प्रकरणों में कमजोर प्रदर्शन को एक बार फिर उजागर करता है. इसके पहले भी जातिगत आरक्षण सहित कई अन्य विषयों पर छत्तीसगढ़ सरकार को हाईकोर्ट में किरकिरी झेलनी पड़ी है. अब इस तरह का फैसला उस किरकिरी को बढ़ा रहा है.