107 एकड़ में रोपे गए थे सवा दो लाख गांजे के पौधे, कीमत 11करोड़

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भुवनेश्वर.

उड़ीसा को गांजा उत्पादित करने वाला राज्य ऐसे ही नहीं माना जाता. तकरीबन 107 एकड़ में सवा दो लाख गांजे के पौधे रोपे गए थे. बाजार में इसकी कीमत तकरीबन 11 करोड़ रूपए होती है.

उड़ीसा की छवि गांजा तस्कर राज्य के रूप में बनती जा रही है. अकेले उड़ीसा में ही करोड़ों रूपए का गांजा उत्पादित होता है. यहां से गांजा देशभर के विभिन्न राज्यों में तस्करों द्वारा ले जाया जाता है.

ज्यादातर गांजा पड़ोसी राज्यों छत्तीसगढ, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, झारखंड, बिहार, उत्तरप्रदेश, दिल्ली, राजस्थान जैसे स्थानों पर आए दिन तस्करों द्वारा ले जाया जाता है.

अब नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सबस्टेंस एक्ट 1985 के अनुसार गांजे की खेती को गैरकानूनी घोषित किया गया है. इस एक्ट का परिपालन सुनिश्चित करने उड़ीसा का सरकारी अमला भले ही जी जान से लगा रहे लेकिन इसका उत्पादन व तस्करी बदस्तूर जारी है.

बताया जाता है कि आबकारी अमले सहित राजस्व विभाग व वन विभाग की टीम ने एक साथ छापा मारकर तकरीबन 11 करोड़ रूपए के गांजे के अवैध पौधे नष्ट किए हैं.

यह कार्यवाही बौद्ध जिला अंतर्गत मनमुंडा थाना में शामिल थाटीपाली मौजा गांव के समीप जंगल व गोचर भूमि पर की गई है.

गांव की 107 एकड़ भूमि पर ये पौधे रोपे गए थे. विभागीय अमले की आंख तब खुली की खुली रह गई जब 2 लाख 15 हजार गांजे के पौधे मिले.ये कार्यवाही जिले के एसपी के निर्देश पर बौद्ध जिले में संयुक्त रूप से की गई है.

आबकारी विभाग के सचिव सुशील लोहानी कहते हैं कि प्रदेश में गांजा की खेती को प्रोत्साहन नहीं दिया जा सकता है. यह गैरकानूनी है. किसी भी संस्था को अनुमति नहीं दी जा सकती और न ही दी गई है.

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