क्यों डीजी जेल के पद पर नियुक्ति नहीं हो पा रही ?
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रायपुर.
राज्य पुलिस की जेल और होमगार्ड शाखा इन दिनों बगैर पुलिस महानिदेशक के काम कर रही हैं. दरअसल, डीजी जेल-होमगार्ड के पद पर वीके सिंह के सेवानिवृत्त होने के बावजूद तीन दिनों तक नियुक्ति नहीं की जा सकी है. ऐसा आखिर क्यूं हो रहा है ?
उल्लेखनीय है कि वरिष्ठ आईपीएस वीके सिंह 30 नवंबर को सेवानिवृत्त हो गए हैं. उनके स्थान पर अब जिसे भी डीजी जेल के पद पर बैठाया जाएगा वह अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (एडीजी) स्तर का ही अधिकारी होगा.
इसका भी एक कारण है. राज्य में डीजी के पद पर आज की तारीख में पुलिस महानिदेशक डीएम अवस्थी के अलावा कोई और नहीं है. हालांकि पूर्व में आईपीएस संजय पिल्ले, आईपीएस आरके विज सहित आईपीएस मुकेश गुप्ता तत्कालीन भाजपा सरकार के समय डीजी की पोस्ट पर पदोन्नत कर दिए गए थे.
राज्य में चूंकि भाजपा को हराकर कांग्रेस सरकार में आ गई इसकारण तीनों की पदोन्नति खटाई में पड़ गई. चूंकि पदोन्नति पूर्व केंद्रीय गृह मंत्रालय से अनुमति भी नहीं ली गई थी इसकारण पिल्ले-विज-गुप्ता स्पेशल डीजी से वापस एडीजी बना दिए गए.
अब यही सरकार के लिए परेशानी का कारण हैं. राज्य में डीजी स्तर पर अफसरों की कमी तब दूर हो पाएगी जब विभागीय पदोन्नति समिति (डीपीसी) की दोबारा बैठक होगी. फिलहाल इसकी दूर दूर तक संभावना नजर नहीं आती है.
अब चूंकि एडीजी स्तर के ही अफसर को डीजी जेल-होमगार्ड का प्रभार दिया जाना है तो उसमें भी मारामारी नजर आ रही है. आईपीएस संजय पिल्ले अभी फिलहाल ही खुफिया शाखा से हटाकर लोक अभियोजन, वैज्ञानिक अनुसंधान शाखा भेजे गए हैं इसकारण उनका डीजी जेल-होमगार्ड पद पर जाना संभव नजर नहीं आता है.
यही स्थिति आईपीएस पवन देव की बताई जाती है. वह लोक अभियोजन जैसी शाखा से पुलिस हाऊसिंग कॉर्पोरेशन के चेयरमैन कम मैनेजिंग डायरेक्टर बनाकर भेज दिए गए. उन्हें भी फिर परिवर्तित किया जाएगा इसकी संभावना तकरीबन नहीं के बराबर है.
एक और आईपीएस हैं जिन्हें एडीजी स्तर की रैंक मिली हुई है लेकिन इनका भी नाम सरकार की सकारात्मक सूची में नजर नहीं आता है. ये अफसर एसआरपी कल्लूरी हैं जो कि परिवहन विभाग से वापस पुलिस मुख्यालय ला लिए गए.
अब बचे आईपीएस आरके विज, आईपीएस अशोक जुनेजा जैसे अधिकारी जिन पर पहले से ही काम का दबाव बना हुआ है. लेकिन फिर भी इनमें से कोई अफसर उक्त पद पर भेजा जा सकता है. अब देखना यह है कि सरकार कब तक डीजी जेल-होमगार्ड के रिक्त पद को भर पाती है.
बहरहाल, इतना तय है कि सरकार के सामने कई तरह की दिक्कत है. यदि समय रहते डीपीसी नहीं हो पाई तो एडीजी स्तर के अफसर को डीजी लेबल की पोस्ट देनी पड़ सकती है जबकि काम का बोझ भी उसे देखना पड़ेगा.