पांडे,अवस्थी,मनोज के बाद क्या नरोत्तम मिश्रा होंगे गिरफ्तार ?
भोपाल। ‘खेल उन्होंने शुरू किया है, खत्म हम करेंगे.’ डॉयलॉग नरोत्तम मिश्रा पर भारी पड़ता नजर आ रहा है. आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो ( EOW ) उन्हें चारों तरफ से घेरने की कोशिश कर रही है.
निजी सहायक वीरेंद्र पांडे और कंप्यूटर आपरेटर निर्मल अवस्थी की गिरफ्तारी के बाद अब इंदौर के कारोबारी मुकेश शर्मा को हिरासत में ले लिया गया है. ई टेंडर घोटाला में मुकेश शर्मा भी संदिग्ध हैं.
बताया जा रहा है कि मुकेश शर्मा इंदौर के कारोबारी हैं. वो प्रेम प्रकाश ट्यूब्स लिमिटेड के एमडी हैं. आरोप है कि वो वीरेंद्र और निर्मल के टच में थे.
अनुमान लगाया जा रहा है कि मुकेश शर्मा के बारे में वीरेंद्र और निर्मल के पास से ईओडब्ल्यू को कोई महत्वपूर्ण जानकारी हाथ लगी है. शुक्रवार को मुकेश से दिनभर पूछताछ चली.
अब तक की छानबीन में पता चला है कि मुकेश ने हैदराबाद की जीवीपीआर व जेएमसी प्रोजेक्ट्स लि के लिए नरोत्तम, निर्मल व वीरेंद्र के प्रतिनिधि के तौर पर काम किया और ई-टेंडर घोटाले में साथ दिया है.
ईओडब्ल्यू को वीरेंद्र और अवस्थी के यहां छापे में मुकेश शर्मा व नरोत्तम मिश्रा से जुड़े कागजात भी हाथ लगे हैं . इसके आधार पर मुकेश से पूछताछ की जा रही है . मुकेश के एक अन्य साथी धवन को भी ईओडब्ल्यू जल्द ही हिरासत में लेकर पूछताछ कर सकती है .
मुकेश शर्मा को मई-जून में ईओडब्ल्यू ने दो बार नोटिस देकर तलब किया था, लेकिन वह बयान देने नहीं पहुंचे. इसके बाद भी नोटिस दिया गया और इंदौर स्थित शालीमार टाउनशिप, विजय नगर स्थित निवास पर दबिश भी दी गई थी.
मुकेश शर्मा के इंदौर स्थित ठिकाने पर आयकर विभाग ने 21 जुलाई, 2008 को छापा मारा था . इस दौरान कई अहम दस्तावेज मिले थे. नरोत्तम मिश्रा जब नगरीय प्रशासन मंत्री थे, तब के इन दस्तावेजों में आयकर विभाग को पता चला था कि इंदौर में सीवेज प्रोजेक्ट के ठेके में मुकेश ने लाइजनिंग एजेंट का काम किया था. उस समय नागार्जुन कंस्ट्रक्शन कंपनी लि और मेसर्स सिम्प्लैक्स इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड को काम दिया गया था.
आयकर छापे के बाद आयकर विभाग ने दावा किया था कि तत्कालीन नगरीय प्रशासन मंत्री नरोत्तम को 26 करोड़ 70 लाख रुपए इन कंपनियों से मिले थे. हालांकि बाद में यह बात प्रमाणित नहीं हो पाई थी ..इसमें भी मुकेश का नाम सामने आया था.
जब नरोत्तम स्वास्थ्य मंत्री बनें, तब भी मुकेश और मिश्रा की नजदीकियां राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बनीं रही. बाद में जब नरोत्तम जल संसाधन विभाग मंत्री बने तो मुकेश ने हैदराबाद व गुजरात की कंपनियों को ठेके दिलाने में अहम भूमिका निभाई थी.