रिकॉर्ड रूम से दस्तावेज गायब कर जमीन की हो गई खरीदी बिक्री
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रांची.
जमीन से जुड़े असली दस्तावेज रिकॉर्ड रूम से गायब कर नकली दस्तावेजों के आधार पर इसकी खरीदी बिक्री हो गई. इसकी पुष्टि सेंट्रल फोरेंसिक लैब कोलकाता ने की है.
यह जमीन हेहल अंचल में स्थित है. जिला अवर निबंधक रांची ने फोरेंसिक जांच में शिकायत सहीं पाए जाने की पुष्टि संबंधी पत्र लिखा था. यह पत्र 12 जुलाई को हेहल के अंचलाधिकारी को प्रेषित किया गया था.
पत्र में जिन दो मामलों का उल्लेख है सिर्फ उसी में 93 एकड़ जमीन की हेराफेरी कर खरीदी बिक्री करने का मामला शामिल है. इसकी शिकायत कोतवाली थाने में पूर्व में दर्ज कराई जा चुकी है.
2017 का मामला
उल्लेखनीय है कि मामला 2017 का है. तब रांची के जिला अवर निबंधक द्वारा कागजातों में हेराफेरी करने का आरोप लगाया गया था. उनकी ओर से प्राथमिकी भी दर्ज कराई गई थी.
जिला प्रशासन को भी एक शिकायत मिली थी. वॉल्यूम नंबर 25/166 में गड़बड़ी के संबंध में यह शिकायत थी. इसके बाद हरकत में आए जिला प्रशासन ने कोलकाता स्थित सेंट्रल फोरेंसिक लैब को जांच के लिए लिखा था.
उस समय वर्ष 1936 और वर्ष 1966 में तैयार की गई जमीन संबंधित दो दो डीड प्रेषित की गई थी. वर्ष 1966 में तैयार हुई दोनों डीड में छेडख़ानी की जाने की कोलकाता में हुई जांच में पुष्ट हुई है.
ज्ञात हो कि वॉल्यूम नंबर 25/166 के दस्तावेज संख्या 397 और दस्तावेज संख्या 415 में छेडख़ानी किए जाने की रपट प्राप्त हुई है. दस्तावेज संख्या 397 मूलत: महादेव घासी के नाम से था. इसमें छेडख़ानी कर दिखाया गया कि पंडित देवकीनंदन ने अपनी जमीन दशरथ साहू को बेच दी है.
इसी तरह दस्तावेज संख्या 415 को परमेश्वर सिंह के नाम से बताया जाता है. जबकि इसमें हेराफेरी कर यह जमीन गणेश साहू के नाम से दर्शाई गई है. जालसाजों ने देवकीनंदन की जमीन की खरीदी बिक्री के लिए वॉल्यूम 25 से मूल दस्तावेज हटा दिए थे.
मूल दस्तावेजों के स्थान पर नकली दस्तावेजों में इन्होंने महादेव घासी और परमेश्वर सिंह के नाम का बेजा उपयोग करते हुए उनके असली दस्तावेज के नंबर इस्तेमाल में लिए थे.
अब जबकि वॉल्यूम नंबर 25/166 को लेकर सरकार द्वारा कोलकाता स्थित सेंट्रल फोरेंसिक लैब में कराई गई जांच में छेडख़नी की जाने की पुष्टि हो जाती है तो सवाल यह उठ रहा है कि कितनी जमीन की खरीदी बिक्री में इस तरह की जालसाजी की होगी.
इस संबंध में आशंका जताई जा रही है कि करीब 200 एकड़ जमीन की खरीदी बिक्री में इस तरह का हथकंडा अपनाया गया है.