आईपीएस गुप्ता विरूद्ध आईपीएस गुप्ता…!
नेशन अलर्ट/जनचर्चा.
गुप्ता बनाम गुप्ता… ये यूं ही नहीं है. दरअसल, पुलिस विभाग में माहौल कुछ ऐसा ही है. इनमें से एक के खिलाफ राज्य की सरकार ने मोर्चा खोल रखा है तो दूसरे को उसके खिलाफ ही कार्रवाई का जिम्मा सौंप दिया गया है.
यहां बात जिन दो अफसरों की हो रही है उन दोनों में सरनेम, विभाग के साथ-साथ ही और भी बहुत कुछ है जो एक जैसा है. मसलन… दोनों ही गंभीर आरोपों से घिरे रहे हैं.
जनचर्चा के अनुसार आईपीएस मुकेश गुप्ता की गिरफ्तारी के पीछे दुर्ग रेंज के आईजी आईपीएस डॉ. हिमांशु गुप्ता लगे हुए हैं. अब इस मामले में किसकी जीत होती है यह तो आने वाला समय ही बताएगा.
आईपीएस मुकेश गुप्ता को हाल फिलहाल के विवादों से पहले छत्तीसगढ़ में बेहद दमदार, निष्पक्ष, निडर व ईमानदार अफसर माना जाते रहा है. वह 1988 बैच का प्रतिनिधित्व करते हैं.
सीनियर आईपीएस होने के बावजूद उन्हें वर्तमान सरकार ने स्पेशल डीजी के पद से तब निलंबित कर दिया था जब वह कई तरह के मामलों में फंसे हुए थे.
जनचर्चा इस बात की हो रही है कि दोनों गुप्ता में कौन किसे पछाड़ता है? दरअसल दोनों गुप्ता के साथ बहुत से ऐसे मामले हैं जो कि उन्हें विवादित किए हुए हैं. इसमें कई तरह के सवाल जवाब होते रहे हैं.
अब देखिए न, आईपीएस मुकेश गुप्ता को रमन सरकार के समय तक छत्तीसगढ़ का बेहद ताकतवर अफसर माना जाता था… लेकिन जैसे ही भूपेश बघेल के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार छत्तीसगढ़ में बैठी वैसे ही मुकेश गुप्ता की उल्टी गिनती चालू हो गई.
मुकेश गुप्ता पर जो आरोप हैं वह गंभीर श्रेणी के हैं. आरोप के मुताबिक मुकेश गुप्ता ने पहली पत्नी के जीवित रहते हुए दूसरी महिला से शादी कर ली थी. यह शासकीय नियमों के विपरित है.
उसी दूसरी महिला के परिजन मुकेश गुप्ता पर मिक्की मेहता की हत्या का आरोप लगाते रहे हैं. अब मामला धीरे धीरे खुल रहा है.
दूसरा आरोप दुर्ग रेंज के आईजी रहते हुए राजनांदगांव के पुलिस अधीक्षक रहे विनोद चौबे की शहादत से जुड़ा हुआ है. बताया जाता है कि मुकेश गुप्ता ने पूरी तैयारी किए बिना मदनवाड़ा में जो कैंप खोला उसके विरोध में नक्सलियों ने तांडव मचाया.
एसपी विनोद चौबे सहित कई पुलिसकर्मियों को अपनी जान गंवा कर इसकी कीमत चुकानी पड़ी. बावजूद इसके सरकार ने गुप्ता को पुरस्कार से नवाजा.
तीसरा आरोप मुकेश गुप्ता पर ईओडब्ल्यू-एसीबी के चीफ रहते हुए नान घोटाले के अलावा अवैध फोन टेपिंग से जुड़ा हुआ है.
इंटेलिजेंस जैसी महत्वपूर्ण विंग की कमान संभालते ही आईपीएस मुकेश गुप्ता ने प्रदेश में दहशतगर्दी मचा दी. अवैधानिक तरीके से मुकेश गुप्ता की निगरानी में कॉल रिकॉर्डस किए जाने लगे.
जिनके कॉल रिकॉर्ड हो रहे थे उनमें नेता, पत्रकार, उद्योगपति सभी शामिल थे. सत्ता बदलने के बाद अब आईपीएस गुप्ता अपनी कारगुजारियों को लेकर निलंबन झेल रहे हैं. नान घोटाला न्यायालय तक पहुंचा जबकि फोन टेपिंग मामले की जांच अभी चल रही है.
अब आते हैं हिमांशु गुप्ता पर… यह अफसर 1994 बैच का है. इस अफसर पर भी मुकेश गुप्ता सरीखे मिलते जुलते आरोप हैं.
यह भी उसी दुर्ग रेंज में आईजी हैं जहां कभी मुकेश गुप्ता हुआ करते थे. साथ ही साथ इस आईपीएस पर भी एक महिला के गंभीर आरोप हैं. उस महिला ने हिमांशु गुप्ता पर खुद के अपहरण करने तक का आरोप लगाया था.
उस महिला का नाम सविता खंडेलवाल था. उसके पति अखिलेश खंडेलवाल ने तो हिमांशु पर सविता के साथ अवैध संबंध रखने के आरोप लगाए थे. यह मामला चलता रहा और अंत में एक साल पहले उक्त महिला ने आत्महत्या कर ली.
इस मामले में धमतरी पुलिस अब भी जांच कर रही है. सविता ने अपने पीछे जो पत्र छोड़े हैं उन पत्रों में भी आईपीएस हिमांशु गुप्ता को जिम्मेदार बताते हुए उनकी चुप्पी पर सवाल उठाए गए हैं. मतलब यह अफसर सविता खंडेलवाल की आत्महत्या के मामले में जांच का सामना कर रहा है.
हिमांशु गुप्ता को किस शैली का अफसर समझा जाता है इसका एक उदाहरण बस्तर रेंज के उनके कार्यकाल के रूप में सामने आता है. बस्तर की झीरम घाटी में कांग्रेस की एक पीढ़ी नक्सली हमले में शहीद हो गई थी. तब हिमांशु बस्तर आईजी हुआ करते थे.
जनचर्चा बताती है कि हिमांशु गुप्ता ने तब इतनी हिम्मत नहीं दिखाई थी कि वह घटना स्थल तक जा पाते. घटना स्थल जाने से बचने उन्होंने अस्पताल पहुंचकर अपने कर्तव्यों की इतिश्री की थी. संभवत: इसी के चलते उन्हें बस्तर से हटाया गया.
एक और आरोप है… हालांकि यह आरोप दब गया अथवा दबा दिया गया लेकिन हिमांशु गुप्ता इस आरोप से पीछा नहीं छुड़ा सकते. तब बिलासपुर आईजी के पद पर राजीव श्रीवास्तव हुआ करते थे.
उस समय हिमांशु छग के सर्वाधिक कमाई वाले जिले कोरबा के पुलिस अधीक्षक पद पर बैठे थे. बताया तो यह तक जाता है कि उस समय हिमांशु गुप्ता ने सिपाहियों की भर्ती प्रक्रिया के दौरान नंबरों में हेराफेरी की थी. यह हेराफेरी तत्कालीन आईजी श्रीवास्तव ने पकड़ ली थी लेकिन बात आई और गई हो गई.
बहरहाल अब मुकेश गुप्ता के खिलाफ कार्यवाही का जिम्मा हिमांशु गुप्ता संभाल रहे हैं. जनचर्चा कहती है कि ‘दोनों मौसेरे भाईÓ एक दूसरे के खिलाफ खड़े नजर आ रहे हैं.
यक्ष प्रश्र..
किस राज्य पर क्यों और किसकी खुफिया नजर लगी हुई है?