पदोन्नति ही नहीं तबादलों में भी है गड़बड़ी
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रायपुर.
छत्तीसगढ़ पुलिस की पदोन्नति ही नहीं बल्कि तबादलों में भी बहुत बड़ा झोल है. वर्षों से यहां न केवल नियम विरूद्ध तरीके से पदोन्नति दी जा रही है बल्कि तबादले भी किए जा रहे हैं.
फिलहाल मामला गर्म है. छत्तीसगढ़ के पुलिस महानिदेशक ने एक कमेटी बनाकर बर्रे के छत्ते में हाथ डाल दिया है ऐसा प्रतीत हो रहा है.
अब यदि पदोन्नति की जांच होगी तो नियम विरूद्ध तरीके से किए गए तबादले के पीडि़त प्रताडि़त भी सामने आएंगे. उस समय इतना दबाव बनाया जाएगा कि पुलिस मुख्यालय को जांच करानी ही पड़ेगी.
तब न पुलिस मुख्यालय (पीएचक्यू) कुछ कर पाएगा और न ही सरकार कुछ कर पाएगी. वैसे भी ज्यादातर मामले पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के समय के हैं. उस समय तत्कालीन पुलिस महानिदेशक ने नियम विरूद्ध तबादले बड़ी संख्या में किए थे.
हो सकता है उस दौरान तत्कालीन पुलिस महानिदेशक पर कोई दबाव रहा हो लेकिन चूंकि उनके हस्ताक्षर से आदेश जारी हुए इस कारण दोषी तो वही कहलाएंगे.
यह भी हो सकता है कि उस समय तत्कालीन पुलिस महानिदेशक ने प्रदेश पर राज करने वाली भाजपा और उसके नेताओं को संतुष्ट करने तबादले किए हो लेकिन चूंकि उनके हस्ताक्षर से आदेश जारी हुए इस करण दोषी वही कहलाएंगे.
ऐसा भी नहीं है कि सब कुछ उसी समय का है. इस सरकार में भी वही खेल खेला जा रहा है जिस खेल को लेकर कांग्रेस तब बड़ी तेज आवाज में आपत्ति उठाया करती थी जब वह विपक्ष में हुआ करती थी.
तब कांग्रेस विपक्ष में थी… भाजपा छत्तीसगढ़ की सत्ता पर काबिज थी. आज तस्वीर दूसरी हो गई है. आज वह भाजपा प्रदेश की सत्ता से बाहर है जो कि सत्ताधारी दल द्वारा की जाने वाली एक छोटी सी गलती पर भी हंगामा खड़ा कर अपने विपक्ष के रोल के साथ पूरी तरह न्याय करती है.
वही कांग्रेस आज प्रदेश की सत्ता पर बैठी है जो कि राष्ट्र की राजनीति में विपक्ष की भूमिका में थकी हारी नजर आती है. वह तब भी आंदोलन नहीं खड़ा कर पाती है जब रसोई गैस के दाम बढ़ाए जाते हैं अथवा पेट्रोलियम पदार्थों की कीमत सरपट भागने लगती है.
लेकिन कांग्रेस को यह भी समझ लेना चाहिए कि अब भाजपा प्रदेश की राजनीति में विपक्ष की भूमिका में है. साथ ही साथ अधिकारियों को भी यह समझ लेना चाहिए कि वह यदि नियम विरूद्ध तरीके से कार्य करेंगे तो उसका प्रबल विरोध होगा.
ऐसा नहीं है कि आज छत्तीसगढ़ पुलिस में ही सब कुछ सही हो. गलतियां तो कल भी थी आज भी है. नियमों से परे जाकर तब भी काम किए जाते थे और आज भी किए जाते हैं.
इसलिए राज्य के पुलिस महानिदेशक ने एक तरह से बर्रे के छत्ते में हाथ डालने का कार्य किया है. अब इस बात का पता लगाया जा रहा है कि वर्तमान पुलिस महानिदेशक के कार्यकाल के दौरान कहां क्या कुछ गलत हुआ?
जैसे ही इसकी पुख्ता जानकारी मिल जाएगी तो छत्तीसगढ़ की राजनीति में एक नए तरह का विवाद पैदा होगा. तब पदोन्नति के साथ ही तबादलों पर भी चर्चा होगी. उस वक्त न्यायालय का दरवाजा खटखटाने वाले लोग चीख चीख कर कहेंगे कि हमारे साथ यहां पर ऐसे गलत हुआ.
बहरहाल; बात नए पुलिस महानिदेशक द्वारा बनाई गई उस कमेटी की जिस पर पदोन्नति में हुई गड़बडिय़ों की जांच करने की जिम्मेदारी आई है. इस कमेटी में प्रशासन संभाल रहे अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक अशोक जुनेजा टीम लीडर बनाए गए हैं.
उनके अधीन एसआईबी के डीआईजी सुंदरराज पी, प्रशासन के डीआईजी ओपी पाल, एससी द्विवेदी और खुफिया पुलिस में डीआईजी का दायित्व संभाल रहे अजय यादव रखे गए हैं.
भले ही पुलिस में समय से पूर्व पदोन्नति के मामले में जांच यह समिति करे लेकिन चूंकि इसका आदेश पुलिस महानिदेशक ने दिया है इसलिए अच्छे बुरे का स्वाद भी उन्हें ही चखना पड़ेगा.