साक्षरता में आगे लेकिन लिंगानुपात में पीछे है कोटा
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जयपुर.
साक्षरता के मामले में भले ही प्रदेश का कोटा जिला वाहवाही लूटता हो लेकिन यह लिंगानुपात के मामले में बेहद पीछे है. कोटा जिले का साक्षरता प्रतिशत 76.6 फीसद होता है जबकि लिंगानुपात 906 है.
याने कि प्रदेश में सबसे कम बेटी का जन्म इसी कोटा जिले में होता है. गत वर्ष लिंगानुपात 896 हुआ करता था जिसे सुधारने का प्रयास कर इस साल 906 तक लाया गया है.
पढ़े लिखे लोगों पर तमाचा है लिंगानुपात
प्रदेश का लिंगानुपात बताता है कि यह राज्य के पढ़े लिखे लोगों पर एक तरह से तमाचा है. दरअसल मामला कुछ ऐसा है कि जो जिले ज्यादा पढ़े लिखे हैं वहां बेटियों की संख्या कम निकली है.
कोटा के बाद सर्वाधिक साक्षरता के मामले में अलवर को पांचवा स्थान प्राप्त है. अलवर का साक्षरता प्रतिशत 70.7 होता है लेकिन लिंगानुपात के मामले में यह नीचे से दूसरे स्थान पर कायम है. एक हजार बेटों पर महज 929 बेटियां अलवर में जन्म ले रही है.
झुंझूनुं को साक्षरता के मामले में 74.1 फीसदी पढ़े लिखे लोग राज्य में तीसरा स्थान दिलाते हैं. पुरूष साक्षरता 86.9 फीसदी के मामले में यह राज्य में पहले नंबर पर कायम है. चौंकाने वाली बात यह है कि बेटी के जन्म अनुपात के मामले में आंकड़े चिंताजनक हैं.
यह वही झुंझूनुं है जहां गत वर्ष 8 मार्च को प्रधानमंत्री मोदी ने बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओ अभियान को लेकर इस जिले की जमकर तारीफ की थी. प्रधानमंत्री की तारीफ के बावजूद झुंझूनुं का लिंगानुपात एक वर्ष के भीतर 948 से 930 हो गया है.
लिंगानुपात के मामले में प्रदेश के 12 बदनाम जिलों में झुंझूनुं को दूसरा स्थान प्राप्त है. सीकर, चुरू, जयपुर के साथ झुंझूनुं जिले में खतरनाक तरीके से बेटा-बेटी के जन्म का अंतर तेजी से घट रहा है.
अकेले सीकर जिले में एक हजार बेटों के पीछे महज 945 बेटियां इस दुनिया को देख पा रही है. सीकर का भी साक्षरता प्रतिशत उसे राज्य के पांच श्रेष्ठ जिलों में स्थान दिलाता है.
सीकर में सर्वाधिक पुरूष साक्षरता 85.1 फीसदी बताई जाती है. महिला साक्षरता दर यहां पर 58.2 प्रतिशत होती है. इसके बावजूद बेटियों के जन्म के मामले में सीकर बेहद पीछे है.
अब बात प्रदेश की राजधानी जयपुर की हो जाए. यह प्रदेश में साक्षरता के मामले में दूसरे स्थान पर आता है. जयपुर जिले का साक्षरता प्रतिशत 77.5 बताया जाता है. जबकि यहां जन्म अनुपात के मामले में स्थिति चिंताजनक है. 941 से घटकर 934 का लिंगानुपात जयपुर के संदर्भ में निकलता है.
तो क्या प्रदेश में पढ़े लिखे लोग लिंगानुपात को बिगाडऩे का कार्य कर रहे हैं? ऐसा सवाल इसलिए किया गया है क्योंकि जहां साक्षरता दर ज्यादा है उन्ही जिलों में कम बेटियां पैदा हो रही है.