चाईल्ड ट्रेफिकिंग के मामले की असलियत कुछ और ही निकली
राजनांदगांव।
चाईल्ड ट्रेफिकिंग के संदिग्ध मामले में ट्रेन से उतारे गए 38 बच्चे असल में मदरसा में दाखिले के लिए ले जाए रहे थे। पुलिस ने बताया कि उन्हें मदरसा के शिक्षक द्वारा बिहार के भागलपुर जिले से महाराष्ट्र के गुलदाना जिले में मदरसा दाखिले के लिए ले जाया जा रहा था। हालांकि जरुरी दस्तावेज न होने के चलते युवक से पूछताछ की गई है। वहीं बाल कल्याण समिति भी बच्चों की काउंसलिंग कर रही है।
हावड़ा-मुबई मेल से करीब 38 बच्चों की मानव तस्करी की खबर से हड़कंप मच गया था। इस मामले में राजनांदगांव सिविल पुलिस व रेलवे पुलिस बल ने संयुक्त कार्रवाई की थी। राजनांदगांव रेलवे स्टेशन में ट्रेन रोक हावड़ा मुंबई मेल की दो बोगियों से बच्चों को बरामद करने के बाद पुलिस ने उनके साथ के युवक को हिरासत में ले लिया था।
कार्रवाई के दौरान पता चला कि उक्त युवक मदरसे का हाफिज है और वह बच्चों को लेकर महाराष्ट्र के गुलदाना जिले के सहारा नगर लेकर जा रहा था जहां बच्चों को मदरसे में दाखिल किया जाना है। हालांकि इस मामले में पुलिस और बाल कल्याण समिति की कार्रवाई देर शाम तक जारी रही।
बच्चों के साथ मौजूद युवक मोहम्मद शकीर हुसैन (22) ने पुलिस को जानकारी दी कि वह मदरसे का शिक्षक है और बच्चों को महाराष्ट्र के मदरसे लेकर जा रहा है। पर, मामला संदिग्ध देखते हुए पुलिस ने आगे की कार्रवाई जारी रखी। रेलवे स्टेशन से बच्चों और हिरासत में ले लिए गए युवक को पुलिस लाईन ले जाया गया।
अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक यूबीएस चौहान ने बताया कि जो युवक बच्चों को लेकर जा रहा था उसके पास इससे संबंधित किसी भी प्रकार के दस्तावेज नहीं था। न ही उसके पास ही स्वयं के शिक्षक होने का कोई आईडी कार्ड था। मामला संदिग्ध था तो हमने कार्रवाई की। अभी हम वेरिफिकेशन में जुटे हुए हैं। महाराष्ट्र स्थित मदरसे से हमने संपर्क किया। उन्होंने तस्दीक की है कि बच्चे वहीं ले जाए जा रहे थे। लेकिन अभी आगे की प्रक्रिया जारी है।
पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार सभी 38 बच्चों की उम्र 8 से 10 वर्ष के बीच है। सभी भागलपुर जिले के निवासी हैं। बताया गया कि ये सभी बिहार के तिरपैती रेलवे स्टेशन से ट्रेन में बैठे थे।
0 बाल कल्याण समिति करेगी जांच
चाईल्ड लाईन के समन्वयक विपिन ठाकुर ने बताया कि बच्चे हमारे ही संरक्षण में हैं। बाल कल्याण समिति की काउंसलिंग की प्रक्रिया खत्म होते ही किशोर न्याय अधिनियम के तहत बच्चों को दुर्ग स्थित बाल गृह व खुला आश्रय गृह ले जाया जाएगा जहां वे रहेंगे। उन्होंने बताया कि जब तक बच्चों का होम वेरिफिकेशन नहीं हो जाता तब तक बच्चे यहीं रहेंगे। उन्होंने बताया कि भागलपुर की बाल कल्याण समिति की ईकाई को सूचित किया जाएगा और वे वहां सभी बच्चों से संबंधित जांच करेंगे।