क्या आईपीएस गुप्ता ने की थी मिक्की की हत्या ?
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रायपुर.
आईपीएस मुकेश गुप्ता ने क्या डॉ. मिक्की मेहता की हत्या की थी? क्या आईपीएस गुप्ता पर भादंवि की धारा 302 के तहत दर्ज हो सकता है मामला ?
दरअसल ये सवाल इसलिए किए जा रहे हैं क्योंकि डीजी जेल गिरधारी नायक ने 1400 पन्नों की जो जांच रपट राज्य सरकार को सौंपी है उसमें कुछ इसी तरह का संकेत मिल रहे हैं.
इन दिनों स्पेशल डीजी के पद पर पदस्थ आईपीएस मुकेश गुप्ता निलंबित चल रहे हैं. 1988 बैच के आईपीएस मुकेश गुप्ता, मिक्की मेहता की संदिग्ध मौत के मामले में तब विवादों में आए थे जब मिक्की के परिजनों ने उसकी हत्या किए जाने का आरोप लगाते हुए मुकेश गुप्ता को जिम्मेदार ठहराया था.
सरकारी आवास में हुई थी मौत
जब मुकेश गुप्ता एसपी हुआ करते थे तब उनके सरकारी आवास में डॉ. मिक्की मेहता ने दम तोड़ा था. तभी से यह विवाद चले आ रहा है कि मिक्की मरी है या मार दी गई है.
वर्षों पुराने इस मामले की जांच तब हुई जब प्रदेश में सरकार बदल गई. रमन सरकार की जगह भूपेश सरकार ने जैसे ही प्रदेश की बागडोर संभाली वैसे ही आईपीएस मुकेश गुप्ता विवादों में घिरते चले गए.
फोन टेपिंग सहित नान घोटाले की जांच में सबूतों को नष्ट करने के आरोप में मुकेश गुप्ता पहले ही सरकार की नजर में आरोपी हैं. अब 7 सितंबर 2001 को हुई मिक्की मेहता की मौत के मामले में उन पर गंभीर आरोप लग रहा है.
सोशल मीडिया में इस आशय की खबर जारी की गई है कि डॉ. मिक्की मेहता की जान उनके कथित पति आईपीएस मुकेश गुप्ता ने ली थी. ऐसा खुलासा डीजी जेल गिरधारी नायक की रपट में हुआ है ऐसा बताया जा रहा है.
दुर्ग एसपी हुआ करते थे
प्राप्त जानकारी के मुताबिक उन दिनों मुकेश गुप्ता दुर्ग एसपी हुआ करते थे. रायपुर स्थित सरकारी आवास से कटोरा तालाब स्थित डॉ. सलीम के अस्पताल में डॉ. मिक्की मेहता को ले जाया गया था.
उन दिनों डॉ. सलीम के अस्पताल में न तो गहन चिकित्सा कक्ष था और न ही लाईफ सपोर्टिंग सिस्टम. डॉ. सलीम का बयान था कि डॉ. मेहता अपने लिए वेंटिलेटर की मांग कर रही थी.
इस बयान से ऐसा पता चलता है कि उस समय तक डॉ. मिक्की मेहता जिंदा थी. इसके बावजूद उन्हें रायपुर के ही डीके अस्पताल में भर्ती कराने के स्थान पर सेक्टर 9 हॉस्पिटल भिलाई ले जाया गया.
थोड़ी देर बार ही चिकित्सकों ने डॉ. मेहता को मृत घोषित कर दिया. तब दुर्ग एसपी रहे आईपीएस मुकेश गुप्ता ने अस्पताल को छावनी में तब्दील कर दिया था.
डॉ. मिक्की मेहता के परिजन न तो अस्पताल में दाखिल हो पाए और न ही उन्हें लाश सौंपी गई. इसे भी संदिग्ध माना जाते रहा है.
डीजी जेल नायक ने इस ओर भी इशारा किया है कि सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के मुताबिक संदेहास्पद मौत के मामले में पोस्टमार्टम, मृतक के परिजनों की मौजूदगी में आखिर क्यों नहीं कराया गया?
साथ ही साथ महिला चिकित्सक की उपस्थिति में पोस्टमार्टम की विडियोग्राफी की प्रक्रिया क्यों नहीं अपनाई गई? जांच रपट में इसके अलावा रायपुर से भिलाई ले जाए जाने पर भी सवाल खड़े किए गए हैं.
बताया जाता है कि रपट मुकेश गुप्ता पर अपने प्रभाव और वर्दी के दुरूपयोग की ओर इशारा करती है. आईपीएस मुकेश गुप्ता पर लगे सभी आरोप सिद्ध पाए गए हैं ऐसा रपट में उल्लेखित है यह भी पता चला है.
डीजी जेल गिरधारी नायक ने अपने सेवानिवृत्ति के ठीक पहले जो रपट सौंपी है वह आईपीएस मुकेश गुप्ता पर भारी पड़ सकती है. भूपेश सरकार इस पर क्या कदम उठाती है यह आने वाले दिनों में चर्चा का विषय रहेगा.