पुलिस को भ्रष्टाचार के मामले में नगरीय प्रशासन व राजस्व विभाग ने पीछे छोड़ा

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जयपुर।

लोकायुक्त ने राज्य के 168 अफसरों के खिलाफ कार्रवाई करने की सरकार से सिफारिश की है। पिछले एक साल के दौरान सबसे अधिक 1057 शिकायतें नगरीय विकास, आसासन एवं स्वायत्त शासन के खिलाफ लोकायुक्त कार्यालय में पहुंची है। राज्यपाल कल्याण सिंह को लोकायुक्त एसएस कोठारी ने राजभवन में 30 वां वार्षिक प्रतिवेदन सौंपा। जिसमें उक्त तथ्य सामने आया है। यह प्रतिवेदन एक अप्रैल 2015 से 31 मार्च 2016 के बीच की है, जिसमें 6485 शिकायतें प्राप्त हुईं। इस दौरान 4990 शिकायतों का निस्तारण किया गया। यह आंकड़े अब तक के सर्वाधिक है।

लोकायुक्त एसएस कोठारी ने बताया कि पूर्व वर्षों की भांति इस अवधि में भी सर्वाधिक नगरीय विकास एवं आवासन स्वायत्त शासन विभाग के खिलाफ 1057 राजस्व विभाग के खिलाफ 1025, पुलिस विभाग के विरुद्ध 929, खान आवंटन जांच में 854 और ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग के विरुद्ध 695 शिकायतें प्राप्त हुईं थी। मीडिया में प्रकाशित खबर के आधार पर जनहित के 39 प्रकरणों में स्वप्रेरणा से प्रसंज्ञान लेकर कार्यवाही प्रारंभ की गयीं।

लोकायुक्त ने राज्यपाल को अवगत कराया कि इस अवधि में लोकायुक्त सचिवालय स्तर पर की गयीं कार्यवाही के पश्चात 500 प्रकरणों में परिवादीगण को राहत दिलाया गया। इनमें माथुर आयोग से अन्तरित 47 प्रकरण भी शामिल हैं। उन्होंने बताया कि इस कालावधि में लोकायुक्त सचिवालय द्वारा कार्यवाही करने के पश्चात 109 प्रकरणों में 168 विभिन्न लोकसेवक के विरुद्ध अनुशासनिक कार्यवाही प्रारंभ एवं निर्णीत की गयीं। इनमें से ग्रामीण विकास एवं पंचायतीराज विभाग के 44, राजस्व विभाग के 29, नगरीय विकास एवं आवासन स्वायत्त शासन विभाग के 24, पुलिस विभाग के 23, माथुर आयोग से अन्तरित प्रकरणों में 09 एवं शेष अन्य विभागों के लोकसेवक शामिल हैं। इस अवसर पर लोकायुक्त सचिवालय के प्रमुख सचिव पदम कुमार जैन, राज्यपाल की सचिव श्रेया गुहा और राज्यपाल के विशेषाधिकारी अजय शंकर पाण्डेय उपस्थित थे।

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