अंतागढ़ टेपकांड : आरोपियों की जमानत रोक न पाई सरकार

शेयर करें...

नेशन अलर्ट, 97706-56789

बिलासपुर/रायपुर.

प्रदेश के बहुचर्चित अंतागढ़ टेपकांड के आरोपियों को आज बिलासपुर उच्च न्यायालय से अग्रिम जमानत मिल गई है. जस्टिस गौतम भादुड़ी की एकल पीठ ने इस हाईप्रोफाइल केस के हाईप्रोफाइल आरोपियों को अग्रिम जमानत दे दी है.

अग्रिम जमानत मिलने से पूर्व मंत्री राजेश मूणत, डॉ. पुनीत गुप्ता, मंतूराम पवार ने राहत की सांस ली है. इन सभी ने पूर्व में जिला न्यायालय रायपुर में जमानत की याचिका दायर की थी.

रायपुर जिला न्यायालय से जमानत याचिका खारिज होने के बाद इन्होंने बिलासपुर हाईकोर्ट का रूख किया था. आरोपियों का तर्क था कि उन्हें राजनीतिक द्वेषवश झूठे मामले में फंसाया जा रहा है.

पंडरी में हुई थी एफआईआर

दरअसल मामला वर्षों पुराना है. प्रदेश में जब भाजपा की सरकार हुआ करती थी तब अंतागढ़ विधानसभा का उपचुनाव हुआ था. उपचुनाव में कांग्रेस ने मंतूराम पवार को प्रत्याशी घोषित किया था.

अचानक पवार ने नामांकन वापसी के अंतिम दिन के अंतिम क्षणों में नाम वापस ले लिया था. कांग्रेस इस पर कुछ नहीं कर पाई थी. तब उपचुनाव भाजपा ने जीत लिया था.

इसके कुछ समय बाद अंग्रेजी के अखबार इंडियन एक्सप्रेस ने एक टेप जारी कर कथित तौर पर अंतागढ़ में हुई लेनदेन को उजागर किया था.

मामले में फिरोज सिद्दीकी, मंतूराम पवार सहित पूर्व विधायक अमित जोगी, पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के दामाद डॉ. पुनीत गुप्ता की आवाज होने का दावा अखबार की ओर से किया गया था.

इसके बाद मामले में जांच के नाम पर कोई बहुत बड़ी कार्यवाही नहीं हुई थी. भाजपा पर आरोप कांग्रेस लगाते रही और 2018 के विधानसभा चुनाव आ गए.

2018 में प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी है तो यह मुद्दा फिर गरमाया. कांग्रेस सरकार ने मामले की एसआईटी जांच की घोषणा की. मामले को रायपुर पुलिस के सुपुर्द किया गया.

उस वक्त रायपुर की पूर्व महापौर कांग्रेस नेत्री डॉ. किरणमयी नायक ने पंडरी थाने में शिकायत दर्ज कराई थी. आईपीसी की धारा 406, 420, 171 ई, 171 एफ,120 बी के तहत अपराध दर्ज किया गया.

भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा 9 और 13 के तहत भी मामला दर्ज हुआ था. हालांकि 2016 में भी किरणमयी नायक ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी. इस पर जब कार्रवाई नहीं हुई तो उन्होंने 2017 में रिमाइंडर दिया था.

मामले में किरणमयी नायक की शिकायत पर पंडरी पुलिस ने मंतूराम पवार, अजीत जोगी, अमित जोगी, राजेश मूणत सहित डॉ. पुनीत गुप्ता को आरोपी बना लिया था.

चार आईपीएस लगे हुए थे

प्रदेश में बनी कांग्रेस सरकार ने भाजपा सरकार के समय हुए अंतागढ़ फोन टेपकांड की जांच के लिए राजधानी रायपुर के एसपी को जांच अधिकारी नियुक्त करते हुए एसआईटी गठित की थी.

जिस समय जांच घोषित की गई थी उस समय रायपुर की एसपी नीथू कमल हुआ करती थी. बाद में उन्हें अचानक हटा दिया गया और शेख आरिफ रायपुर के एसपी बनाए गए.

इसी तरह रायपुर आईजी डॉ. आनंद छाबड़ा के पर्यवेक्षण में एसआईटी काम कर रही थी. उन्हें भी अचानक मामले से हटा दिया गया और आईजी जीपी सिंह को अंतागढ़ टेपकांड की जांच का प्रभारी अधिकारी बनाया गया.

इस तरह से प्रदेश के चार आईपीएस अफसर मामले की जांच से जुड़े हुए थे. इन सब के बावजूद हाईकोर्ट ने आरोपी बनाए गए प्रदेश के नामी गिरामी व्यक्तियों को अग्रिम जमानत दे दी है.

फिरोज ने कहा जमानत मिलनी ही थी

इधर इस मामले में नेशन अलर्ट ने फिरोज सिद्दीकी से बात की. फिरोज ने स्पष्ट कहा कि सरकार के खिलाफ यह फैसला है.

उन्होंने कहा कि आरोपियों को जमानत मिलनी ही थी क्योंकि पुलिस ने मामले को लीक किया था. फोरेंसिक लैब से जब टेप यह कहकर वापस किए गए कि कॉपी पेस्ट है तो पुलिस के कहे अनुसार मीडिया में खबर बनी.

इसका फायदा आरोपियों ने उठाया. आरोपियों ने संभवत: लगता है कि हाईकोर्ट में इसके तर्क दिए होंगे. आरोपियों से न तो पूछताछ हुई और न ही उन्हें नोटिस दी गई.

फिरोज आगे कहते हैं कि कांग्रेस नेत्री किरणमयी नायक को अपने आरोप प्रूफ करने थे. शिकायतकर्ता का दायित्व होता है. गवाह सिर्फ गवाही देता है.

इधर रायपुर एसएसपी ने जजमेंट के ऑनलाइन नहीं होने के चलते उसे देख नहीं पाने की बात कही है. वे कहते हैं कि जजमेंट जब देख लूंगा तब ही कुछ कह पाउंगा कि किस ग्राउंड पर जमानत दी गई है. बहरहाल यह,मामला अब रोचक हो गया है.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *