भोपाल में ढाई लाख कर्मचारी मत किसे मिलेंगे?
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भोपाल.
मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में तकरीबन ढाई लाख ऐसे मतदाता हैं जो कि शासकीय सेवा से जुड़े हुए हैं. ये मतदाता किस ओर करवट लेंगे इस पर चुनावी पंडितों की नजर लगी हुई है.
भोपाल से कांग्रेस ने मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को अपना प्रत्याशी बनाया है. हालांकि भाजपा ने अभी तक अपने प्रत्याशी की घोषणा नहीं की है लेकिन वह कर्मचारियों को दस साल के दिग्विजय सिंह के कार्यकाल को याद दिला रही है.
दिग्गी मांग चुके हैं माफी
दिग्विजय सिंह ने मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री रहते हुए कुछ गलत फैसले किए थे. इन फैसलों से कर्मचारी संगठन बेहद नाराज हो गया था. चूंकि अब दिग्गी लोकसभा चुनाव के मैदान में हैं इसके चलते उन्होंने कर्मचारियों से सार्वजनिक तौर पर माफी मांग ली है.
इधर भाजपा है कि दिग्विजय सिंह के कार्यकाल को याद दिलाने अपने कर्मचारी नेताओं को सक्रिय कर रही है. वह प्रदेश में दिग्विजय सिंह शासनकाल के दौरान कर्मचारी वर्ग में उपजी नाराजगी को भुनाने की तैयारी कर रही है.
कांग्रेस ने भी अपने कर्मचारी नेताओं को तैयार कर दिया है. स्वयं दिग्विजय सिंह कर्मचारी संगठनों से लगातार संपर्क में है. और तो और उन्होंने कमलनाथ सरकार में अपने विश्वसनीय मंत्री पीसी शर्मा को कर्मचारियों को मनाने की जिम्मेदारी सौंपी है.
दिग्गी और शिवराज से कितने संतुष्ट कर्मचारी
दरअसल भोपाल लोकसभा सीट पर 19 लाख 36 हजार मतदाता है. इनमें से तकरीबन ढाई लाख कर्मचारी वर्ग से जुड़े हुए हैं. दिग्विजय के साथ शिवराज के कार्यकाल की भी तुलना होने लगी है.
दिग्गी के शासनकाल में नीति निर्णयों का जमकर विरोध कर्मचारी-अधिकारियों ने किया था. इसे ही वर्ष 2003 में सत्ता परिवर्तन का कारण माना जाता है.
शिवराज सिंह सरकार बनी तो 20 हजार से ज्यादा दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी घर बैठा दिए गए. निगम मंडल बंद कर दिए गए. सेवानिवृत्ति पॉलिसी में भी बदलाव हुआ.
इन सब के चलते शिवराज सिंह सरकार के तीसरे शासनकाल में कर्मचारी संगठनों ने जमकर आंदोलन किया. मंचो से सार्वजनित तौर पर भाजपा को वोट न देने की अपील भी की गई.
भोपाल की आठ विधानसभाओं में सर्वाधिक कर्मचारी मतदाता दक्षिणी-पश्चिमी विधानसभा क्षेत्र में है. दोनों दल विधानसभावार कर्मचारियों का डाटा जुगाडऩे में लगे हुए हैं.
बूथ स्तर पर प्रबंधन के साथ-साथ घर घर संपर्क कर अभियान चलाने की तैयारी दोनों दलों ने की है. चूंकि विधानसभा चुनाव में दक्षिण-पश्चिमी सीट पर उमाशंकर गुप्ता की हार को कर्मचारियों की नाराजगी से जोड़ कर देखा जा रहा है इसके चलते कोई भी दल अब कर्मचारियों को नाराज करता नजर नहीं आना चाहता है.