आईपीएस मुकेश गुप्ता – रजनेश सिंह ने फाड़ दी एफआईआर!
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रायपुर.
स्पेशल डीजी मुकेश गुप्ता के बाद अब नारायणपुर एसपी रजनेश सिंह भी विवादों में घिर गए हैं. दरअसल पहले दोनों जब ईओडब्लू में पदस्थ हुआ करते थे तब के मामले की शिकायत वीरेंद्र पांडे ने की है.
वीरेंद्र पांडे प्रदेश में एक जाना-पहचाना नाम है. कभी भाजपाई रहे वीरेंद्र पांडे की राह इन दिनों भाजपा से अलग हो गई है. उन्होंने मय तथ्य आईपीएस मुकेश गुप्ता और रजनेश सिंह की शिकायत मुख्यमंत्री से की है. मुख्यमंत्री ने इसे जांच के लिए भेज दिया है.
अभियुक्तों को बचाने, निर्दाेषों को फंसाने का आरोप
तीन पेज में वीरेंद्र पांडे ने गुप्ता-सिंह का काला चिठ्ठा अपनी शिकायत में खोल दिया है. वीरेंद्र पांडे ने ईओडब्लू थाने में दर्ज अपराधों का वर्णन करते हुए लिखा है कि अभियुक्तों को बचाने व निर्दाेेषों को फंसाने का खेल दोनों अधिकारी खेल रहे थे.
पांडे आगे लिखते हैं कि विजय सिंह ठाकुर, गोविंद राम देवांगन, अबरार बेग, बीडीएस नरबरिया के पास से करोड़ों रुपए की संपत्ति जब्त हुई थी. इनके विरुद्ध कंप्यूटर से फर्जी एफआईआर की गई. जबकि नियमत: प्रथम इत्तला पुस्तक में एफआईआर की जाती है.
शिकायत के मुताबिक जब इन लोगों ने रिश्वत पहुंचा दी तो कंप्यूटर की सादे कागज की फर्जी एफआईआर फाड़ दी गई. इसी तरह के मामले में फर्जी एफआईआर आलोक अग्रवाल के विरुद्ध की गई. प्रथम इत्तला पुस्तक के पृष्ठ क्रमांक 43, 44 व 45 में लेख न कर सादे कागज में कंप्यूटर से लेख की गई. पांडे के मुताबिक इस बात की पुष्टि के लिए ईओडब्लू के कंप्यूटर की एफएसएल से जांच कराई जा सकती है.
आईपीएस मुकेश गुप्ता व रजनेश सिंह ने अधिकारियों व जनता में फर्जी मुकदमे का भय दिखाकर लूट मचा दी थी. दोनों अफसरों को राजनीतिक संरक्षण भी प्राप्त था. वर्ष 2015 में ईओडब्लू में संधारित प्रथम इत्तला पुस्तक के पृष्ठ क्रमांक एक से पांच तक एक झूठा मुकदमा मुकेश गुप्ता व रजनेश सिंह ने कायम करवाया.
अपनी शिकायत में आगे वह बताते हैं कि कथित अभियुक्त से रिश्वत प्राप्त होने के बाद एफआईआर बुक को फाड़ दिया गया. 2015 की एक जनवरी को अपराध क्रमांक 1/2015 में पृष्ठ क्रमांक 6, 7, 8, 9 व 10, अपराध क्रमांक 2/2015 के पृष्ठ क्रमांक 12, 13, 14 व 15, अपराध क्रमांक 3/2015 में पृष्ठ क्रमांक 16, 17, 18, अपराध क्रमांक 4/2015 में पृष्ठ क्रमांक 19, 20, 21 व 22, अपराध क्रमांक 6/2015 में पृष्ठ क्रमांक 23, 24, 25, अपराध क्रमांक 7/2015 में पृष्ठ क्रमांक 26, 27, 28 व 29, अपराध क्रमांक 8/2015 में पृष्ठ क्रमांक 30, 31, 32 व 33 को संलग्र किया है.
इसी तरह अपराध 5/2015 में प्रथम इत्तला पुस्तिका में लेख नहीं किया गया. शिकायत के मुताबिक कंप्यूटर में सादे कागज में लेख किया गया. आलोक अग्रवाल से रिश्वत की मांग की गई. उन्होंने देने से साफ इंकार कर दिया.
पांडे की शिकायत बताती है कि अबरार बेग, गोविंद राम, विजय सिंह ठाकुर, बीडीएस नरबरिया जिनके पास से करोड़ो रुपए बरामद हुए थे उन पर रिश्वत देने का आरोप है. उनके मुताबिक रिश्वत प्राप्त कर कंप्यूटर में लेख की गई प्रथम सूचना पत्र को फाड़कर फेंक दिया गया. बाद में पुन: कंप्यूटर से अपराध क्रमांक 2015 की एफआईआर सादे कागज में लिखी गई.
कूटरचित दस्तावेज तैयार किए
अपनी शिकायत में पांडे लिखते हैं कि आईपीएस मुकेश गुप्ता व रजनेश सिंह ने अधीनस्थ कर्मचारियों को डरा-धमकाकर ईओडब्लू थाने में संधारित प्रथम इत्तला पुस्तिका में सूचना दर्ज नहीं कराई. कूटरचित दस्तावेज तैयार करवाए. जबकि वह यह जानते थे कि दस्तावेज कूटरचित हैं अत: माननीय न्यायालय से अभियुक्तगण निर्दोष साबित हो जाएंगे.
इसकी पुष्टि के लिए उन्होंने अपराध क्रमांक 53/2014 व 54, 55, 56, 57/2014, अपराध क्रमांक 1/2015 व 2, 3, 4, 5, 6, 7 व 8/2015 की फोटोकॉपी मुख्यमंत्री के समक्ष प्रस्तुत की है.
उन्होंने आग्रह किया है कि सूक्ष्मता से अनुसंधान कराए जाने सहित एफएसएल से परीक्षण कराने पर यह प्रमाणित हो जाएगा कि उनके द्वारा की गई शिकायत न्यायोचित है.