इंदिरा प्रियदर्शनीय बैंक घोटाले का अध्ययन कर रही सरकार

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नेशन अलर्ट, रायपुर.

इंदिरा प्रियदर्शनीय सहकारी बैंक में हुए 54 करोड़ रुपए के घोटाले का अध्ययन सरकार द्वारा किया जा रहा है. इसके साथ ही नागरिक आपूर्ति निगम (नान) की भी फाइल तलब की गई है.

उल्लेखनीय है कि दोनों ही मामले मुख्यमंत्री रहे डॉ. रमन सिंह के चेहरे से नकाब हटाते हैं. दोनों ही मामलों में डॉ. सिंह व उनका परिवार फंसा हुआ है.

करुणा ने बनाया था मुद्दा

राजनांदगांव से विधानसभा चुनाव लडऩे के दौरान पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी की भतीजी करुणा शुक्ला ने इन विषयों को गंभीरता पूर्वक उठाया था.

इसी के फलस्वरुप डॉ. रमन सिंह को इस बार वैसी लीड नहीं मिली जैसी वे दो बार से राजनांदगांव विधानसभा से लेते रहे हैं. मतगणना के पहले तो उनके हारने की भी संभावना जताई जा रही थी.

बहरहाल, इंदिरा प्रियदर्शनीय बैंक घोटाले में शामिल रहे पूर्व प्रबंधक उमेश सिन्हा का एक नार्काे टेस्ट के दौरान तैयार की गई सीडी सामने आई थी. इसी सीडी में सिन्हा ने डॉ. रमन सिंह, अमर अग्रवाल, बृजमोहन अग्रवाल, रामविचार नेताम जैसे नेताओं को करोड़ों रुपए पहुंचाने की बात स्वीकारी थी.

अब इधर यह मामला गंभीर हो गया है. सूत्रों के मुताबिक सरकार इसका अध्ययन कर रही है. इसी तरह की खबर नागरिक आपूर्ति निगम घोटाले से भी जुड़ी हुई बताई जा रही है.

बताया जाता है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने मामले को पुन: खोलने को कहा है. हालांकि कोर्ट में चालान पेश कर दिया गया है जबकि सरकार मानती है कि इस मामले के कई तथ्य ऐसे हैं जिसकी जांच ही नहीं हुई.

सरकार द्वारा नान घोटाले की फाईल तलब किए जाने की खबर चल रही है. बघेल ने इस मामले को लेकर कहा है कि नान जैसे घोटाले में जांच के कई तथ्य छुपाये गये हैं, फाइल का अध्ययन करने के बाद जरूरत पड़ी तो नान मामले की और जांच करायी जायेगी.

मुकेश गुप्ता संभालते थे ईओडब्लू-एसीबी
उल्लेखनीय है कि आईपीएस मुकेश गुप्ता वही ईओडब्लू व एसीबी संभालते थे जो कि नान घोटाले की जांच कर रहा था. सरकार बदलते ही गुप्ता को बगैर किसी विभाग का डीजी बनाकर पीएचक्यू भेज दिया गया है.

गुप्ता के समय हुआ यह मामला पिछले तीन साल से एसीबी जांच के दायरे में है. ऐन चुनाव के समय ईओडब्ल्यू ने कोर्ट में सप्लीमेंट्री चार्जशीट दाखिल किया था। इस मामले में दो आईएएस आलोक शुक्ला और अनिल टुटेजा को भी आरोपी बनाया गया है.

आलोक शुक्ला उस वक्त नान के चेयरमैन और टुटेजा एमडी थे. इस मामले में दो दर्जन से ज्यादा लोगों को अभियुक्त बनाया गया था. इनमें से कईयों की गिरफ्तारी हो चुकी है और कुछ लोग जमानत पर बाहर हैं.

टूटेजा ने ही सरकार बदलते ही मुख्यमंत्री को एक पत्र लिखा था जिसमें उन्होंने नान घोटाले की निष्पक्ष जांच कराने की मांग की थी. लगता है वह समय बेहद नजदीक है.

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