धन्यवाद मुख्यमंत्री जी, पत्रकारों की सुध ली
नेशन अलर्ट/रायपुर.
संकल्प पत्र में लिखी गई बात अंतत: सही साबित हो रही है. दरअसल पत्रकारों की सुरक्षा का कांग्रेस ने ख्याल किया है. इसके लिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल धन्यवाद के पात्र हैं.
छत्तीसगढ़ देश का पहला राज्य होगा जहां पत्रकारों की सुरक्षा के लिए सरकार कानून बनाएगी. राज्य के पत्रकारों की समस्या को देखते हुए मुख्यमंत्री बघेल ने इस तरह की पहल की है.
अध्ययन के बाद बनेगा कानून
सीएम का पद संभालने के तीसरे ही दिन मुख्यमंत्री ने पत्रकार सुरक्षा कानून को लेकर एक आदेश प्रसारित किया है. दिगर राज्यों में किस तरह का कानून इस संबंध में बनाया गया है इसका अध्ययन किया जाएगा.
अध्ययन के बाद कानून बनाया जाएगा. विधि विशेषज्ञों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के अलावा इसमें पत्रकार भी शामिल किए जाएंगे.
संभाग स्तर पर बने समिति
सरकार के इस तरह के फैसले से पत्रकार बिरादरी प्रसन्न है. श्रमजीवी पत्रकार संघ बस्तर के संभागीय अध्यक्ष सुधीर जैन इस विषय पर खुलकर बोलते हैं.
जैन बताते हैं कि बस्तर में तकरीबन सभी पत्रकारों को बंदूक की नोंक पर काम करना पड़ता है. उनके अनुसार कई मर्तबा बड़े अधिकारियों के खिलाफ यदि सही खबर भी लिख दी जाती है तो पत्रकारों को नक्सली समर्थक ठहरा दिया जाता है.
जैन ने कहा कि सरकार का फैसला सहीं हैं. लेकिन इसका क्रियान्वयन कैसे हो इस पर ध्यान देना जरुरी है. वह बताते हैं कि संभाग स्तर पर वरिष्ठ अधिकारियों, पुलिस अधिकारियों के अलावा मानवाधिकार कार्यकर्ताओं सहित वरिष्ठ पत्रकारों को लेकर एक समिति बनानी चाहिए.
उनके मुताबिक यदि समिति किसी भी विषय पर एक राय होती है तभी पत्रकारों पर कार्रवाई की जानी चाहिए. ऐसा न हो कि एफआईआर हो और गिरफ्तार कर लिया जाए. अभी तक ऐसा ही होते रहा है.
फिर भी वह आशा रखते हैं कि सरकार ने अब जाकर पत्रकारों की सुध ली है. खनकती हुई आवाज में वह कहते हैं कि इससे बस्तर जैसे युद्ध के क्षेत्र में काम करने वाले पत्रकारों को वाकई सुकून मिलेगा.
केंद्र में नहीं है कानून का प्रस्ताव
गौरतलब है केंद्र सरकार ने मंगलवार को ही कहा था कि पत्रकारों/मीडियाकर्मियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कानून बनाने का फिलहाल कोई प्रस्ताव नहीं है.
लोकसभा में बदरूज्जमां खान और मोहम्मद सलीम के प्रश्न के लिखित उत्तर में गृह राज्य मंत्री किरेन रिजिजू ने यह जानकारी दी.
उन्होंने कहा कि पत्रकारों/मीडियाकर्मियों पर हमले के संदर्भ में विभिन्न धाराओं के तहत 2016 में 47 मामले, 2015 में 28 और 2014 में 114 मामले दर्ज किए गए.
यह पूछे जाने पर कि क्या पत्रकारों की सुरक्षा के लिए कोई विधेयक लाने का प्रस्ताव है तो रिजिजू ने कहा कि फिलहाल ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं है.