नेशन अलर्ट : तेज़ नहीं, सबसे पुख्ता जानकारी पर है भरोसा
नेशन अलर्ट l रायपुर.
नेशन अलर्ट के संपादकीय समूह के आंकलन हद तक सहीं साबित हुए हैं. कांग्रेस के जीते हुए तीन राज्यों में मुख्यमंत्री के नाम हों या छत्तीसगढ़ में विधानसभा की स्थिति के कयास.. लगभग सारे आंकलन जस के तस नतीजों में देखने को मिले.
नेशन अलर्ट की टीम ने छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव का नजदीकी से आंकलन किया था. प्रत्याशियों, राजनीतिक दलों की स्थिति और जमीन से जुड़े मुद्दों को आगे रखकर ये तौला गया कि आखिर नतीजे क्या हो सकते हैं..?
संपादकीय समूह ने दूसरे चरण के मतदान के बाद अपने आंकलन पर पुख्ता काम किया. जब ये काम पूरा हुआ तो नेशन अलर्ट ने अपने आंकड़ों में राज्य में कांग्रेस को 62-68 सीट दी. उस दौरान इस आंकड़े तक किसी भी अखबार या खबरिया चैनल का ओपनियन पोल नहीं पहुंच पाया था.
कांग्रेस की मुद्दों पर पकड़, प्रत्याशियों का चयन, घोषणा पत्र का असर और भाजपा के खिलाफ आक्रामक रुख ने लोगों पर काफी प्रभाव छोड़ा था. नेशन अलर्ट का आंकलन सतही था. लोगों से बातचीत पर आधारित था. कांग्रेस को 62-68 सीटें (पांच कम या पांच ज्यादा) मिलने का आंकलन सही साबित हुआ.
मुख्यमंत्री के नामों पर भी सही रहा आंकलन
राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में नए मुख्यमंत्री के नाम को लेकर काफी जद्दोजहद हुई. मीडिया में तरह-तरह की खबरें आती रहीं.
इस मसले पर भी नेशन अलर्ट का ओपिनियन सही साबित हुआ. 12 दिसंबर को नेशन अलर्ट ने संभावनाएं जताईं थी कि राजस्थान में अशोक गहलोत, मध्यप्रदेश में कमलनाथ और छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल की ताजपोशी हो सकती है. लगातार बदलते घटनाक्रम के साथ ही नेशन अलर्ट के ये आंकलन भी सही होते चले गए.
कहां हुई चूक
नेशन अलर्ट के संपादकीय समूह के आंकलन और आंकड़ों सही साबित हुए हैं. लेकिन कुछ ऐसा भी है जिसमें चूक हुई.
नेशन अलर्ट का आंकलन यह भी कह रहा था कि पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह अपने निर्वाचन क्षेत्र राजनांदगांव में संभावित रुप से अपनी प्रतिद्वंदी करुणा शुक्ला (अटल बिहारी बाजपेयी की भतीजी) से चुनाव हार सकते हैं.
नतीजे में डॉ. रमन सिंह ने करुणा शुक्ला को लगभग 16 हजार वोटों से चुनाव हराया. लेकिन इसमें भी उन्हें नुकसान उठाना पड़ा. बतौर मुख्यमंत्री चुनाव लडऩे के उनके तीन विधानसभा चुनाव में यह सबसे कम लीड है. इससे पहले 2013 में उन्हें प्रतिद्वंदी पर लगभग 36 हजार वोटों से जीत मिली थी.