राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के राष्ट्र सेवा में बढ़ते कदम- लक्ष्य एक कार्य अनेक

शेयर करें...

कभी अनाम, अंजान, उपेक्षित और घोर विरोध का शिकार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आएसएस) आज भारत ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में चर्चा एवं उत्सुकता का विषय बना हुआ है। संघ की इस यात्रा में ध्यान देने योग्य है कि कांग्रेस सरकार द्वारा तीन-तीन प्रतिबंधों, कभी अत्यंत शक्तिशाली और क्रुर रहे कम्युनिस्टों, ईसाई और इस्लामिक शक्तियों से एक साथ जुझते हुए आगे बढ़ा है।
यह चमत्कार संघ के स्वयंसेवकों की त्याग, तपस्या और बलिदान के चलते ही हो सका है। आज देश- विदेश के अनेक विश्व विद्यालयों में संघ पर शोध हो रहा है। जिस प्रकार गोमुख को देख कर हरिद्वार की विशाल गंगा या छोटे से बीज को देखकर विराट वटवृक्ष की कल्पना भी कठिन होती है वैसे ही विजयादशमी सन् 1925 को नागपुर में डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार के साधारण से घर में 15-20 लोगों से प्रारंभ हुए संघ से आज के विशाल जनांदोलन या राष्ट्रभक्ति के महाअभियान का रूप धारण कर चुके संघ की कल्पना करना भी कठिन है। आज संघ देशभक्तों की आशा तथा देश विरोधियों के लिए उनके रास्ते का रोड़ा बन गया है।

अवधेश ठाकुर, कानपुर

साधारण सी दिखती शाखा
संघ की साधारण सी दिखने वाली शाखा से अदभुत व्यक्तित्व पैदा हुए हैं। शाखा से प्रेरणा प्राप्त स्वयंसेवकों पर संघ को ही नहीं तो पूरे देश को गर्व है। सामान्य किसान- मजदूर, क्लर्क से लेकर प्रशासनिक अधिकारी हो, सेना -पुलिस में उच्च अधिकारी हों या इतना ही नहीं तो न्यायधीश से लेकर प्रधानमंत्री तक स्वयंसेवक अपनी सेवाएं राष्ट्र को समर्पित कर रहे हैं। कहने की जरूरत नहीं कि स्वयंसेवक अपनी प्रतिभा, कठोर परिश्रम एवं ईमानदारी के चलते लोगों के प्रेरणा स्रोत बने हुए हैं।
संघ संस्थापक डॉ. हेडगेवार कहते थे कि संघ कुछ नहीं करेगा अर्थात केवल शाखा चलाएगा लेकिन स्वयंसेवक कुछ नहीं छोड़ेगा अर्थात देश और समाज के लिए आवश्यक हर कार्य करेगा। संघ की शाखा से देशभक्ति, अनुशासन तथा अपने समाज के प्रति अपनेपन का पाठ पढ़ कर स्वयंसेवक समाज जीवन के लगभग प्रत्येक क्षेत्र में सक्रिय हैं। यहां उन संगठनों की संक्षिप्त जानकारी दी जा रही है ताकि हम भी अपनी रूचि और क्षमता के अनुसार राष्ट्र सेवा में संघ के प्रत्यक्ष शाखा कार्य या फिर किसी संगठन में सक्रिय हो कर अपनी आहुति दे सकें।
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद
विद्यार्थियों की अथाह ऊर्जा को क्षुुद्र स्वार्थों की हल्की राजनीति से हटा कर राष्ट्र की सर्वांगिण उन्नति और राष्ट्रीय पुनर्निर्माण के मार्ग पर अग्रसर करने के लिए 23 जून 1948 के दिन कुछ चिन्तन मननशील स्वयंसेवकों ने विद्यार्थी परिषद की स्थापना की। आज यह देश का सबसे बड़ा गैर राजनीतिक छात्र संगठन है। विद्यार्थी परिषद अपने अनुशासन, दायित्वबोध, नैतिक्ताबोध, सक्रियता और रचनात्मक कार्यों के लिए विख्यात है।
राष्ट्र सेविका समिति
देश की महिला शक्ति के मनोबौद्धिक, शारीरिक एवं सामाजिक सांस्कृतिक उत्थान की योजना करते हुए उन्हें भी राष्ट्रीय पुनर्निर्माण की प्रक्रिया में सहभागी बनाने के उद्देश्य से श्रीमती लक्ष्मीबाई केलकर ने संघ संस्थापक डॉ. हेडगेवार से परामर्श कर 1936 की विजयदशमी को राष्ट्र सेविका समिति की स्थापना की। इस समय समिति की देश-विदेश में 500 से अधिक शाखाएं है तथा लाखों सेविकाएं हैं।
विद्या भारती
भारतीयता एवं राष्ट्र भक्ति से ओतप्रोत सर्वांगीण शिक्षा देने के लिए 1951 में प्रथम सरस्वती शिशु मंदिर की स्थापना गोरखपुर में की गयी। प्रांत में अन्य विद्यालयों के संचालन के लिए 1958 में उत्तर प्रदेश की शिशु शिक्षा प्रबंध समिति का गठन हुआ। इसी प्रकार अन्य प्रांतों में भी कार्य प्रारंभ हुआ। अखिल भारतीय स्तर पर सभी प्रांतीय समितियों के मार्गदर्शन करने के लिए विद्या भारती की 1977 में स्थापना हुई। आज विद्या भारती में शिशु वाटिकाओं एवं संस्कार केंद्रों सहित 25 हजार से अधिक शिक्षण संस्थाएं, 2,50,000 आचार्य और 25 लाख से अधिक विद्यार्थी हैं। सरकार के बाद यह देश का सबसे बड़ा शिक्षा संगठन है।
अखिल भारतीय शिक्षण मंडल
शिक्षा के क्षेत्र में भारतीय जीवन मूल्यों की स्थापना और राष्ट्र विरोधी प्रवृतियों के प्रतिरोध के लिए गठित शिक्षक संगठन। भारतीय परिवेश में आवश्यक शिक्षा के लिए शिक्षक और सरकार की भूमिका को लेकर अनेक सेमिनार, गोष्ठियों तथा शोध कार्य का संचालन।
अखिल भारतीय साहित्य परिषद
साहित्यिक क्षेत्र में भारतीय अस्मिता और सांस्कृतिक चेतना को प्रोत्साहन देकर राष्ट्रीय विचारधारा को प्रभावी भूमिका में लाने 1996 में अखिल भारतीय साहित्य परिषद की स्थापना हुई। साहित्य परिषद भारतीय भाषाओं के साहित्यकारों के लिए संयुक्त मंच प्रदान करता है। आज साहित्य परिषद से उदीयमान साहित्यकार से लेकर अनेक प्रसिद्ध साहित्यकार जुड़े हैं।
संस्कृत भारती
देववाणी संस्कृत को फिर से जन जन की भाषा बनाने के लिए संस्कृत भारती कार्य कर रही है। संस्कृत संभाषण शिविर, पत्राचार द्वारा संस्कृत प्रशिक्षण तथा संस्कृत ललित साहित्य सृजन आदि माध्यमों से निरंतर प्रगति के पथ पर अग्रेसर है।
भारत विकास परिषद
देश के उद्यमी और संपन्न वर्ग को राष्ट्र सेवा कार्य से जोडऩे और भारतीय जीवन मूल्यों की रक्षा में प्रवृत करने के लिए 1963 में डॉ. सूरज प्रकाश और लाला हंसराज गुप्त ने भारत विकास परिषद की स्थापना की। संपर्क, सहयोग, संस्कार, सेवा और समर्पण ऐसे पांच सूत्रों पर आधारित परिषद की आज 1200 शाखाएं, 54 हजार परिवार और एक लाख 8 हजार सदस्य हैं।
राष्ट्रीय सेवा भारती
वंचित बस्तियों में रहने वाले आर्थिक दृष्टि से पिछड़े और उपेक्षित बंधुओं की सेवा और उत्थान के लिए संघ में सेवा विभाग बनाया गया है। स्वयंसेवकों के प्रयास से सेवा भारती के द्वारा एक लाख के लगभग सेवा कार्य चलाये जा रहे हैं। बाल संस्कार केंद्र, सिलाई केंद्र, नियमित स्वास्थ्य सेवा के लिए मोबाईल वैन, कम्प्यूटर प्रशिक्षण केंद्र आदि के द्वारा इस वर्ग में आर्थिक स्वालंबन और संस्कार देने का महत्वपूर्ण कार्य किया जा रहा। कुंवारी माताओं द्वारा छोड़ दिए बच्चों के लिए मातरी छाया के जैसे कई अभिनव प्रकल्प चलायें जा रहे हैं। इन सेवा कार्यों के परिणामस्वरूप लाखों ईसाई बन चुके हिंदू दोबारा अपने धर्म में वापसी कर चुके हैं और करोड़ों जाने से बच गए हैं।
दीनदयाल शोध संस्थान
स्वर्गीय दीनदयाल की पुण्य स्मृति में वर्ष 1972 में स्व. नाना जी देशमुख ने दीनदयाल शोध संस्थान की स्थापना की। बौद्धिक क्रिया-कलापों के आलावा ग्राम विकास के कार्य इस संस्थान की प्रमुख गतिविधि है। उत्तर प्रदेश के गोंडा, चित्रकूट उड़ीसा, बिहार के भी एक एक जिले में समग्र ग्राम विकास के प्रकल्प चल रहे हैं। मध्य प्रदेश में चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय इस संस्थान का विशिष्ट प्रकल्प है।
विश्व हिंदू परिषद (विहिप)
हिंदू समाज के विश्व भर में फैले सभी मत-संप्रदायों में एकता स्थापित कर संपूर्ण समाज को सुसंगठित, एकात्म और वास्तविक अर्थ में धर्म प्रवण बनाने के उदेश्य से संघ के द्वितीय सरसंघचालक श्री गुरु जी की प्रेरणा से वर्ष 1965 को जन्माष्टमी के अवसर पर अनेक महाविभुतियों के सानिध्य में स्थापना हुई। श्री रामजन्मभूमि के आंदोलन का सफल नेतृत्व कर यह संगठन अपनी छाप छोड़ चुका है। विश्व हिंदू परिषद, ईसाई, मुसलमान बन चुके अपने लाखों बंधुओं की हिन्दू धर्म में वापसी के अलावा हजारों सेवा कार्य भी चला रहा है।
वनवासी कल्याण परिषद
दुर्गम वनों और पर्वतों में आधुनिक विकास से दूर, साधनहीन जीवन जी रहे वनवासियों की सेवा करते हुए उन्हें उन्नति के मार्ग पर अग्रेसर करते हुए देश की मुख्यधारा से जोडऩे के उद्देश्य से वर्ष 1952 में वनवासी कल्याण आश्रम की स्थापना की गयी। देश के कोने-कोने में 12000 के लगभग सेवा कार्यों के द्वारा वनवासी कल्याण आश्रम आज वनवासियों की आशा का केंद्र बन चुका है। वनवासी क्षेत्र से भी समाज सेवा के लिए जीवन अर्पित करने वाले युवकों को तैयार कर कार्य में लगा लेना वनवासी कल्याण आश्रम की बड़ी उपलब्धि कही जा सकती है।
विज्ञान भारती
भारतीय ज्ञान विज्ञान की पुन: प्रतिष्ठा और स्वदेशी विज्ञान एवं प्रोद्यौगिकी के विकास के लिए वैज्ञानिकों की संस्था। प्रसिद्ध वैज्ञानिक सुपर कम्प्यूटर के खोजकर्ता डॉ. विजय भाटकर वर्तमान में विज्ञान भारती के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं।
पूर्व सैनिक सेवा परिषद
पूर्व सैनिकों के पुनर्वसन में सहायता करने तथा उनकी देशभक्ति, अनुशासन और दक्षता का उपयोग देश व समाज सेवा में करने को समर्पित संगठन।
क्रीड़ा भारती
अगर आप खेल में रूचि रखते हैं तो आपके लिए समाज सेवा के लिए क्रीडा भारती एक अच्छा विकल्प हो सकता है। 3 दिसंबर 1992 को पुणे में स्थापित क्रीडा भारती का उदेश्य खेल संस्कृति का विकास, खेल संगठनों में समन्वय, भारतीय खेलों, सूर्य नमस्कार, योगासन, भारतीय व्यायाम पद्धति को प्रोत्साहन देने के साथ साथ खिलाडिय़ों में राष्ट्रीय भावना जगाना है।
अखिल भारतीय अधिवक्ता परिषद
देश की न्याय-प्रणाली में भारतीय संस्कृति के अनुरूप सुधार करवाने और प्रभावी न्याय-प्रक्रिया के निर्माण का कार्य करने के लिए बना विधिवेताओं का संगठन है अखिल भारतीय अधिवक्ता परिषद।
अखिल भारतीय सहकार भारती
उत्पादक, वितरक और ग्राहक के संबंधों का समन्वय कर सहकारिता के द्वारा अर्थ व्यवस्था को पुष्ट करने के लिए बनाई गयी संस्था।
अखिल भारतीय ग्राहक पंचायत
ग्राहकों का प्रबोधन और संगठन कर अर्थ व्यवस्था में सुधार के लिए बनाई गयी संस्था।
लघु उद्योग भारती
भारतीय अर्थ आवश्यकताओं के लिए उपयुक्त लघु उद्योगों की कठिनाइयों को दूर कर उन्हें सफल बनाने में सहायता देने के लिए लघु उद्योग भारती की स्थापना की गयी।
प्रज्ञा प्रवाह
वैचारिक आंदोलन को राष्ट्रीय रंग में रंगने के लिए बुद्धिजीवियों के लिए एक प्रभावी मंच है। प्रज्ञा प्रवाह के मार्गदर्शन में देश में अलग अलग नामों से मंच सक्रिय है। पंजाब में पंचनद शोध संस्थान कार्य कर रहा है।
सीमा जागरण
राजस्थान में वर्ष 1985 में सीमावर्ती क्षेत्र के ग्रामों में जन जागरण से प्रारंभ। वर्ष 2000 में अखिल भारतीय स्वरूप। नाम सीमा जागरण। सीमा क्षेत्र में रहने वाले लोगों में राष्ट्र की सुरक्षा हेतु जन जागरण करना सीमा जागरण का प्रमुख कार्य है। पंजाब में सरहदी लोक सेवा समिति के नाम से चल रहा है।
स्वदेशी जागरण मंच
वैश्वीकरण के नाम पर आर्थिक साम्राज्यवाद थोपने के विदेशी षडय़ंत्रों से राष्ट्र समाज को सचेत करके स्वदेशी के प्रति प्रेम जागृत करने वाला मंच है।
भारतीय मजदूर संघ
पूंजीपतियों के स्वार्थ पर आधारित व्यवस्था के विरोध में खड़े श्रमिकों और उनके नेताओं के स्वार्थ पर ही केंद्रित संगठनों के स्थान पर, उद्योग से जुड़े सभी लोगों के संयुक्त ओद्यौगिक परिवार के हितों व राष्ट्रहित को समर्पित श्रमिक संगठन भारतीय मजदूर संगठन की स्थापना 23 जुलाई 1955 को हुई। संघ के वरिष्ठ प्रचारक एवं चिंतक दत्तोपंत ठेंगडी इस संगठन के संस्थापक थे। अधिकार के साथ कर्तव्य को भी जोडऩे वाला, लाल झंडे के स्थान पर भगवा झंडा को अपनाने वाला और मई के स्थान पर विश्वकर्मा जयंती को श्रमिक जयंती मानने वाला भारतीय मजदूर संघ देश का सबसे बड़ा श्रमिक संगठन है। इसकी सदस्य संख्या एक करोड़ से भी अधिक है।
भारतीय किसान संघ
राष्ट्रहित के साथ किसान हित की रक्षा और कृषक संगठन के स्थापित संस्था जो किसानों के सर्वांगीण विकास के लिए प्रयत्नशील है। इस समय इसके 8 लाख सदस्य हैं।
भारतीय इतिहास संकलन योजना
बाबा साहिब आप्टे स्मारक समिति द्वारा संचालित प्रकल्प ‘भारतीय इतिहास संकलन योजनाÓ भारत के गत 5000 वर्ष के तथ्यपरक इतिहास के शोधन एवं लेखन को समर्पित है। महाभारत की कालगणना और सरस्वती नदी के विलुप्त प्रवाह का अनुसंधान समिति के विशेष कार्यों में से एक है।
राष्ट्रीय सिख संगत
दशम गुरु श्री गुरु गोबिंद सिंह जी की भावना- जगे धर्म हिंदू, सकल भंड भाजे.. के अनुरूप सिख समुदाय की शेष हिंदू समाज से एकता-एकात्मता पुष्ट करके विधर्मी षडय़ंत्रों को विफल करने को समर्पित संगठन।
विवेकानंद केंद्र
कन्याकुमारी के पास समुद्र के बीच विवेकानंद शिला पर स्वामी विवेकानंद का भव्य स्मारक बनाने के लिए गठित विवेकानंद जन्म शताब्दी समारोह समिति से ही विवेकानंद केंद्र की स्थापना की वर्ष 1963 में प्रक्रिया शुरू हो गयी थी। इसके संस्थापक संघ के पूर्व सरकार्यवाह श्री एकनाथ रानाडे थे। विवेकानंद केंद्र देश के कोने-कोने में (विशेषकर उत्तर- पूर्वांचल में ) चरित्र निर्माण, संस्कार जगाने और अनेक प्रकार के रचनात्मक कार्यों में सलंग्न है। सैकड़ों युवक-युवतियां अपना संपूर्ण जीवन राष्ट्र को समर्पित कर केंद्र के माध्यम से सेवा में जुटे हैं।
हिंदू जागरण मंच
राष्ट्र विरोधी तत्वों की घुसपैठ, तोडफ़ोड़, अराजकता, अपहरण उपद्रव और लव जिहाद इत्यादि घटक गतिविधियों पर सतर्क दृष्टि रखने के लिए विभिन्न प्रांतों में अलग-अलग मंच बनाये गये हैं। तमिलनाडु में हिंदू मून्नानी, दिल्ली में हिन्दू जागरण मंच और महाराष्ट्र में हिन्दू एकजुट मंच आदि-आदि।
आरोग्य भारती
भोपाल में वर्ष 2004 में स्थापना। स्वास्थ्य चेतना जागरण, आरोग्य शिक्षण, आरोग्य संवर्धन, रोग प्रतिबंधन तथा भारत में प्रचलित सभी प्रकार की चिकित्सा पद्धतियों में आरोग्य के भारतीय चिंतन का जागरण।
प्रकाशन
किसी समय बिना कागज कलम से कार्य करने वाले स्वयंसेवक आज अनेक बड़े और प्रतिष्ठित प्रकाशन चला रहे हैं। वर्ष 1947 की जुलाई में स्व. दीनदयाल जी ने अटल बिहारी बाजपेयी जी को साथ लेकर मासिक पत्रिका राष्ट्रधर्म का प्रारंभ किया। बाद में पांचजन्य तथा आर्गेनाइजर साप्ताहिक शुरू हुए। इसके अतिरिक्त विभिन्न प्रकार का राष्ट्र उपयोगी साहित्य के प्रकाशन प्रारंभ हुए। सुरुचि प्रकाशन (दिल्ली), लोकहित प्रकाशन(लखनऊ), अर्चना प्रकाशन(भोपाल) एवं भारत भारती प्रकाशन (नागपुर) आदि अनेक प्रकाशन कार्य कर रहे हैं। लगभग 30 से ज्यादा साप्ताहिक व मासिक पत्र पत्रिकाएं निकल रही हैं। देश में रेडियो, टीवी और अख़बार से अधिक इन पत्र- पत्रिकाओं की पहुंच है।
हिन्दूस्थान समाचार
हिंदी व विभिन्न प्रांतीय भाषाओं में समाचार संकलन का पहला संगठन वर्ष 1949 में प्रारंभ हुआ। समाचार जगत में प्रभावी भूमिका निभाने के बाद राजनीतिक षडय़ंत्र का शिकार होकर वर्ष 1975 में आपातकाल के समय बंद हो गया। पुन: सन 2000 में शुरू किया गया।
अखिल भारतीय शैक्षिक महासंघ
हरिद्वार में वर्ष 1992 में स्थापना। शिक्षा के लिए शिक्षक और शिक्षक के लिए शिक्षक संगठन। शिक्षकों की मांगों के लिए संघर्ष करने के साथ साथ उनके सर्वांगीण विकास के लिए अनेक कार्यकर्मों के साथ कार्यरत है।
नेशनल मेडिकोज ऑर्गनाईजेशन
चिकित्सकों को समाज सेवा के लिए प्रेरित करने के लिए वर्ष 1997 में प्रारंभ। सेवा बस्तियों तथा वनवासी क्षेत्रों में चिकित्सा सेवा प्रदान करने के साथ स्वास्थ्य संबंधी मार्गदर्शन करना। आधुनिक चिकित्सा विज्ञान के छात्रों के मन में स्वदेशी भाव जागृत करना। आधुनिक चिकित्सा विज्ञान में हो रहे नवीन अनुसंधानों को चिकित्सा छात्रों तथा चिकित्सकों तक पहुँचाने में सक्रिय।
भारतीय कुष्ठ निवारक संघ
चांपा (छत्तीसगढ़) में वर्ष 1962 में कुष्ठ रोगियों की सेवा एवं पुनर्वसन के लिए प्रारंभ। पंजाब में कोटकपुरा में निरोग बाल आश्रम सेवारत है। कुष्ठ रोग पीडि़तों के अनेक बच्चों को पढ़ा लिखा कर स्वावलंबी बना चुका है।
सक्षम
सक्षम अर्थात समदृष्टि क्षमता विकास एवं अनुसंधान मंडल की मान्यता है कि विकलांग परिवार का अंग है समाज पर बोझ नहीं। अगर उनको अपनी योग्यता, प्रतिभा तथा क्षमता दिखाने का अवसर मिले तो वे भी स्वावलम्बी बन कर राष्ट्र और समाज सेवा में अपना योगदान कर सकते हैं। वर्ष 1997 से दृष्टिहीन कल्याण संघ के नाम से कार्य करने के बाद 20 जून 2008 को सक्षम नाम से नागपुर में स्थापना हुई। उपरोक्त संगठनों के आलावा प्रांत और स्थानीय स्तर पर अनेक संगठनों का सफल संचालन स्वयंसेवक कर रहे हैं। राष्ट्र और समाज के लिए आवश्यक कुछ महत्वपूर्ण कार्य संघ की कुछ गतिविधि के रूप में भी चल रहे हैं।
ग्राम विकास-भारत ग्राम प्रधान देश है। अत: ग्राम का विकास ही सही अर्थ में देश का विकास है। मंदिर व ग्राम देवता के आधार पर आत्मीय और एकरस समाज भाव निर्माण करना, ग्राम के प्रति अपनत्व, मिटटी, जल, पशु-पक्षी आदि के संरक्षण हेतु नागरिक कर्तव्य व प्रकृति के संसाधनों के उपयोग का ज्ञान। ग्राम स्वच्छता और जैविक खेती और गाय को आधार बना कर ग्रामवासियों के द्वारा ग्राम का विकास।
गोसेवा एवं संवर्धन
गाय हमारे समाज में श्रद्धा एवं कृषि व रोजगार का आधार रही है। आधे-अधूरे भारतीय ज्ञान तथा पश्चिम के अंधानुकरण के आधार पर बनी योजनाओं के कारण गाय को हमने लगभग समाप्त ही कर दिया। आज भारत में गाय की बहुत सारी नस्लें ही लुप्त हो गयी हैं। गोपाल के देश में गाय की हत्या निर्बाध रूप से चल रही है। इस परिस्थिति में सब समस्याओं से मुक्ति के लिए जन जागरण और प्रशिक्षण के द्वारा गोभक्त, गोसेवक, गोपालक, गोरक्षक खड़े करना तथा गो आधारित जैविक कृषि, पञ्चगब्य चिकित्सा व रोजगार आदि से स्वावलंबन लेने की दिशा में प्रयत्नशील है।
परिवार प्रबोधन
हिंदू संस्कृति सनातन और शाश्वत है। अपनी संस्कृति के इस अनोखे सामथ्र्य के अनेक कारणों में हमारी परिवार व्यवस्था भी प्रमुख कारण है। परिवार की दिनचर्या, संभाषण, आदतें सही दिशा में विकसित हों। अपने परिवार की व्यवस्था तथा समाज व्यवस्था सक्षम और सुदृढ़ हो इसी उद्येश्य को लेकर यह विभाग सक्रिय है।
सामाजिक समरसता
समाज में शक्ति, सामंजस्य एवं एकात्मता के लिए समरसता की आवश्यकता रहती है। समरसता केवल कानून से नहीं आती। बाल विवाह, अस्पृश्यता आदि कुरीतियों के अनेक कानूनों के बावजूद कम -अधिक आज भी देखी जा सकती हैं। समरसता के लिए सामाजिक मानसिकता, अपनत्व का भाव जागरण तथा हम सब एक भारतमाता के पुत्र होने के कारण सगे भाई-बहन हैं इसकी अनुभूति करना सामाजिक समरसता का प्रमुख कार्य है।
धर्म जागरण विभाग
अपने देश में मतांतरण की समस्या हिंदू समाज के अस्तित्व से जुड़ी है। इस्लाम तथा ईसाई शक्तियों ने मतांतरण कर, हिंदुओं की संख्या घटाई है। हिंदू समाज की संख्या कम होने के कारण देश का अनेक बार विभाजन हो चुका है। संभावित मतांतरण से हिंदू समाज को बचाना, मतांतरित बंधुओं को वापस हिंदू समाज में लाना धर्म जागरण विभाग का उद्देश्य है।
आप अभी बंधु-बहनों से निवेदन है कि राष्ट्र को विश्व गुरु बनाने के पवित्र लक्ष्य की प्राप्ति के लिए चल रहे संघ के इस महा अभियान में हम शामिल हों। अपनी रूचि और क्षमता के अनुसार किसी क्षेत्र और संगठन का चुनाव कर राष्ट्रसेवा में अपनी सेवा अर्पित करें। आज प्रत्येक नागरिक की इस राष्ट्रयज्ञ में आहुति डलना समय की मांग है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *