मुश्किल में सतीशचँद्र वर्मा !
नेशन अलर्ट/9770656789
रायपुर. जिसके आगे पीछे कभी अधिवक्ताओं की फौज दौडा़ करती थी वही आज मुश्किलों में घिरा हुआ है. बात सतीशचँद्र वर्मा नाम के उस शख्स की जो कभी राज्य का महाधिवक्ता हुआ करता था और आज एक मामले में आरोपी है.
राजधानी रायपुर की सारी नज़र आज प्रदेश की न्यायधानी बिलासपुर पर लगी रही. पूर्व महाधिवक्ता वर्मा की उस याचिका पर छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय में सुनवाई होनी थी जो उन्होंने निचली अदालत से खारिज होने के बाद लगाई थी.
लेकिन वर्मा को बिलासपुर हाईकोर्ट से भी राहत नहीं मिली. मामले में हाईकोर्ट ने निचली अदालत के अग्रिम जमानत नहीं देने के फैसले को बरकरार रखा है. इसे सतीशचँद्र वर्मा के लिए झटका माना जा सकता है.
इतना जरूर है कि हाईकोर्ट ने प्रदेश के एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) से जवाब तलब किया है. एक सप्ताह के बाद होने वाली अगली सुनवाई तक मामला टल गया है.
हाईकोर्ट में क्या हुआ . . ?
हाईकोर्ट में गुरूवार को जस्टिस रविंद्र अग्रवाल के सिंगल बेंच में सुनवाई हुई. पूर्व महाधिवक्ता वर्मा की ओर से मामले में ईओडब्ल्यू पर झूठे आपराधिक केस में फंसाने का आरोप लगाया गया था.
इसी बिला पर उन्होंने अग्रिम जमानत याचिका लगाई थी. इसकी सुनवाई करते हुए जस्टिस अग्रवाल ने एफआईआर पर स्टे देने से इंकार कर दिया. उन्होंने एसीबी – ईओडब्ल्यू से जबाव तलब किया है.
दरअसल, आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (ईओडब्ल्यू) ने सेवानिवृत्त आईएएसद्वय डॉ. आलोक शुक्ला व अनिल टुटेजा के साथ ही सतीशचँद्र वर्मा और अन्य पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम का अपराध दर्ज किया था. सभी को 2018 की धाराओं 7, 7 क, 8, और 13(2) सहित भारतीय दँड सँहिता की धाराओं 182, 211, 193, 195 – ए, 166 – ए और 120 बी के तहत आरोपी बनाया गया था.
ईओडब्ल्यू की ओर से दर्ज एफआईआर के अनुसार, पूर्व आईएएस डॉ. शुक्ला और टुटेजा ने तत्कालीन महाधिवक्ता वर्मा से पद का दुरूपयोग करते हुए लाभ लिया. दोनों अफसरों ने तत्कालीन महाअधिवक्ता वर्मा को लोक कर्तव्य को गलत तरीके से करने के लिए प्रेरित किया था.
ईओडब्ल्यू का आरोप है कि इसके बाद तीनों ने मिलकर एजेंसी (ईओडब्ल्यू) में काम करने वाले उच्चाधिकारियों से प्रक्रियात्मक दस्तावेज और विभागीय जानकारी में बदलाव करवाया, ताकि नागरिक आपूर्ति निगम के खिलाफ 2015 में दर्ज एक मामले में अपने पक्ष में जवाब तैयार कर हाईकोर्ट में अपना पक्ष मजबूती से रख सकें. ऐसा उन्होंने उन्हें अग्रिम जमानत मिल सके के उद्देश्य से किया था ऐसा ईओडब्यू मानती है.