क्या स्पेशल डीजी के पद की जरूरत नहीं है ?

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भोपाल.

क्या मध्यप्रदेश पुलिस को स्पेशल डीजी के पद की जरूरत नहीं रह गई है ? यह सवाल इसलिए महत्वपूर्ण है क्यूं कि तकरीबन चार माह से यह पद रिक्त बताया जा रहा है.

उल्लेखनीय है कि डीजीपी सुधीर सक्सेना 30 नवंबर को सेवानिवृत्त होने वाले हैं. सेवानिवृत्ति को नजदीक आता देखकर पुलिस मुख्यालय (पीएचक्यू) में अलग तरह की हलचल देखी जा रही है.

सरकार अगला डीजीपी किसे बना सकती है इसे लेकर पीएचक्यू के अँदर और बाहर अलग अलग तरह की चर्चाएँ छिडी़ हुई हैं. चूँकि डीजीपी की नियुक्ति के साथ ही अमूमन प्रभार में फेरबदल देखा जाता है इस कारण अन्य पदों की भी बात हो रही है.

इसी में स्पेशल डीजी का वह पद भी शामिल हो जोकि कई महीनों से खाली पडा़ है. यह पद पुलिस प्रशिक्षण में स्पेशल डीजी का है.

पुलिस प्रशिक्षण का प्रभार फिलहाल अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (एडीजी) सोनाली मिश्रा के जिम्मे बताया जाता है. पहले डीजी पुलिस ट्रेनिंग का प्रभार आईपीएस अनुराधा शँकर, आईपीएस सँजय झा के पास हुआ करता था.

आईपीएस अनुराधा मई में सेवानिवृत्त हो गईं. जबकि पुलिस ट्रेनिंग में स्पेशल डीजी के पद पर पदस्थ रहे आईपीएस सँजय झा जुलाई में सेवानिवृत्त हो गए.

दरअसल, यह सवाल इसलिए उठ रहा है क्यूं कि केंद्र का नियम ऐसा है. केंद्र छह माह तक पद खाली रहने से यह मान लेता है कि सँबँधित प्रदेश की पुलिस को स्पेशल डीजी के पद की आवश्यकता नहीं रही है.

इन सबके बावजूद प्रदेश में स्पेशल डीजी की एक काडर पोस्ट क्यूं कर खाली है किसी के पास इसका जवाब नहीं है. प्रदेश में डीजी के काडर पोष्ट के कुल छह पद हैं.

इनमें से डीजीपी सहित डीजी जेल, डीजी होमगार्ड, डीजी ईओडब्यू के अलावा डीजी मध्यप्रदेश पुलिस आवास निगम के पदों पर अफसर पदस्थ हैं. पुलिस प्रशिक्षण के डीजी का ही पद खाली है.

बता दें के प्रदेश में स्पेशल डीजी के छह काडर पद और इतने ही नान काडर पद हैं. दो पद अतिरिक्त रूप से शासन ने पुलिस को दिए हैं.

ऐसा नहीं है कि सिर्फ़ प्रशिक्षण में ही प्रभारी के भरोसे काम चल रहा हो बल्कि साइबर क्राइम का भी हाल है.

इस शाखा का प्रभार सँभाल रहे एडीजी योगेश देशमुख को राज्य शासन ने एडीजी इंटेलीजेंस बना दिया. सितंबर में यह आदेश भी निकल गया लेकिन अतिरिक्त प्रभार देशमुख के ही पास है.

ऐसा ही कुछ एडीजी विजिलेंस के साथ है. आईपीएस पवन श्रीवास्तव के पास विजिलेंस के साथ साथ सीआईडी का प्रभार है.

एडीजी अनिल कुमार भी काम के बोझ तले दबे हैं. उनके पास कम्युनिटी पुलिसिंग के साथ ही पुलिस कल्याण और सूचना का अधिकार शाखा का भी दायित्व है.

आदिम जाति कल्याण (एजेके) का प्रभार पूर्व में आईपीएस राजेश गुप्ता सँभाल रहे थे. आईपीएस गुप्ता के एडीजी पद से रिटायर्ड होने के बाद एडीजी, एजेके का पद भी खाली पडा़ है.

इसी तरह सशस्त्र सुरक्षा बल ( एसएएफ ) का एडीजी का पद रिक्त है. पूर्व में इस पद पर साजिद फरीद शापू पदस्थ थे.

हाल फिलहाल वह केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर चले गए हैं. उनके चले जाने से एडीजी एसएएफ सहित एडीजी एजेके के पद जोकि काडर के हैं खाली पडे़ हैं. इन दोनों ही पदों पर डीजीपी के साथ साथ नियुक्ति करनी पड़ सकती है.

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