झारखँड चुनाव में ईडी की उपस्थिति क्या गुल खिलाएगी ?
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राँची. राज्य के विधानसभा चुनाव में इस बार सर्वाधिक चर्चा प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की होते रही है. बीते कुछ समय से उसकी सक्रियता राज्य में बढी़ है. ईडी की यही सक्रियता क्या गुल खिलाएगी देखना होगा.
इन्फोर्समेंट डायरेक्टोरेट नामक एजेंसी को राष्ट्रीय
जाँच एजेंसी का रूतबा हासिल है. यह सामान्य बोलचाल की भाषा में ईडी के प्रचलित नाम से जानी जाती है.
554 में से 320 करोड़ की सँपत्ति अस्थायी रूप से अटैच की . . .
झारखँड को आदिवासी राज्य माना जाता है. राज्य की राजनीति भी आदिवासी नेताओं के इर्दगिर्द होते रही है. नेताओं के बीच ईडी का शोर तब मचा जब उसकी आमद प्राँत में हुई.
समय था . . . 6 मई 2022 का जब ईडी ने झारखँड में पहली बडी़ कार्रवाई की थी. चूँकि मामला मनरेगा से जुडा़ हुआ था इस कारण इसे मनरेगा घोटाला के नाम से जाना जाने लगा.
जमीन से जुडे़ इस घोटाले में सबसे अधिक 320 करोड़ की संपत्ति को अस्थाई रूप से अटैच किया गया है. इसके बाद ईडी की जांच का दायरा बढ़ता चले गया.
ईडी के सामने एक के बाद एक कई मामले उजागर होते गए. बीते ढाई साल में ईडी ने झारखँड में नौ बड़े मामले जाँच में लिए हैं.
इनसे जुडे़ 282 ठिकानों पर ईडी ने छापा मारा था. कुलजमा 554 करोड़ की संपत्ति जब्त की है.
बहरहाल, झारखँड के बच्चे बच्चे की जुबान पर ईडी का नाम है. क्या आईएएस – आईपीएस और मिनिस्टर . . . ईडी ने किसी को भी नहीं छोडा़.
जल जीवन मिशन शुरू हुआ उसका कार्रवाई का दायरा मनरेगा घोटाला, अवैध खनन, शराब घोटाला, टेंडर कमीशन घोटाला, जमीन घोटाला, बाँग्लादेशी घुसपैठ मामला तक पहुँच गया. देखना है यह मुद्दा क्या चुनावी रँग दिखाता है.