चिकनगुनिया : राजधानी में कहर बनकर टूट रहा
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रायपुर.
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में इन दिनों वायरल फीवर ने एक तरह से पाँव फैला रखा है. कसेरपारा, सत्तीबाजार जैसे इलाके तो चिकनगुनिया जैसे बुखार से बुरी तरह से पीडि़त हैं. ऐसा कोई घर नहीं होगा जहाँ कोई न कोई ग्रसित न हो.
स्वास्थ्य के जानकार बताते हैं कि चिकनगुनिया एक वायरल बीमारी है जो मच्छरों के ज़रिए इंसानों में फैल सकती है. ‘चिकनगुनिया’ नाम इस बात से आया है कि मरीज़ अक्सर दर्द से झुक जाते हैं.
सबसे आम लक्षण बुखार, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द और दाने हैं. ज़्यादातर लोग ठीक हो जाते हैं, लेकिन प्रभावित लोगों में से 30 – 40 फीसद मरीजों को क्रोनिक गठिया हो सकता है जो महीनों या सालों तक रह सकता है.
संक्रमित होने के बाद लक्षण दिखने में लगने वाला समय अलग-अलग हो सकता है. इसमें 12 दिन तक का समय लग सकता है. औसतन 3 से 7 दिन में यह बीमारी असर करती है.
कुछ कारक बीमारी के अधिक गंभीर रूप से होने के जोखिम को बढ़ा सकते हैं. इनमें शामिल हैं :
- गर्भावस्था के अंतिम सप्ताह में होना (प्रसव के दौरान उजागर हुए शिशुओं के लिए).
- 65 वर्ष से अधिक उम्र का होना.
- अन्य स्वास्थ्य समस्याएं (सह-रुग्णताएं) होना.
- वृद्ध लोगों में जोड़ों का दर्द लंबे समय तक चलने वाली रुमेटीइड गठिया की स्थिति में बदल सकता है.
- नवजात शिशुओं में मेनिंगोएन्सेफेलाइटिस हो सकता है, जो मस्तिष्क को प्रभावित करता है.
मेडिकल एक्सपर्टस के अनुसार चिकनगुनिया वायरस रोग मच्छरों द्वारा फैलता है. विशेष रूप से एडीज़ मच्छरों द्वारा, जो मुख्य रूप से लोगों को बाहर काटते हैं.
चूंकि चिकनगुनिया के लिए कोई विशिष्ट एंटीवायरल दवा नहीं है, इसलिए उपचार लक्षणों के प्रबंधन पर केंद्रित है. इसमें दर्द निवारक और सूजन-रोधी दवाओं का उपयोग शामिल है.
चिकनगुनिया से ठीक होने के बाद, व्यक्ति में भविष्य में चिकनगुनिया वायरस के संक्रमण के विरुद्ध आजीवन प्रतिरक्षा विकसित हो जाती है तथा भविष्य में उसे दोबारा चिकनगुनिया होने की संभावना कम हो जाती है. चिकनगुनिया वायरस रोग के विरुद्ध टीके का विकास किया जा रहा है.
व्यक्तियों के लिए सुरक्षात्मक उपायों में निम्नलिखित शामिल हैं :
- मच्छर भगाने वाली क्रीम का उपयोग करना.
- मच्छरदानी का उपयोग.
- शयन कक्ष या स्क्रीनयुक्त या वातानुकूलित कमरों में
शरीर के अधिकांश भाग को ढकने वाले कपड़े पहनना.
निवारक उपायों में वायरस फैलाने वाले मच्छरों को नियंत्रित करने पर भी ध्यान केंद्रित किया जाता है.
मच्छरों के प्रजनन स्थलों को कम करने के कुछ तरीके इस प्रकार हैं :
खुले बर्तनों में रुके हुए पानी को नियमित रूप से हटाते रहें या उसका उपचार करते रहें, जैसे फूलदान, टायर, पेड़ों के गड्ढे और पत्थर के गड्ढे.
यह सुनिश्चित करना कि पानी के कंटेनर, बैरल, कुएं और भंडारण टैंक अच्छी तरह से ढके हुए हों.
प्रकोप के दौरान, वयस्क मच्छरों से छुटकारा पाने और रोग के प्रसार को कम करने के लिए कीटनाशकों का हवाई छिड़काव किया जा सकता है.
मुख्य स्वास्थ्य एवँ चिकित्सा अधिकारी ( सीएमएचओ ) डाक्टर मिथलेश चौधरी से बात करने का प्रयास किया गया था. चूंकि डा. चौधरी ने मोबाइल नहीं उठाया इस कारण इस बीमारी की रोकधाम के लिए विभागीय प्रयास की जानकारी नहीं मिल पाई.