जनसंपर्क आयुक्त : क्या हुआ जो आईपीएस भरोसा कायम नहीं रख पाए ?

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रायपुर.

पूरे तीन बरस भले ही लग गए हों लेकिन आईएएस ने आईपीएस को पटखनी दे ही दी. एक बार फिर से जनसंपर्क आयुक्त का पद आईएएस सँभालने जा रहे हैं. ऐसे में सवाल इस बात का है कि आईपीएस राज्य सरकार के भरोसे को क्यूं कायम नहीं रख पाए.

दरअसल, किसी भी राज्य में जनसंपर्क आयुक्त जैसा पद अखिल भारतीय सेवा (आईएएस) के स्तर का माना जाता है. अमूमन राज्यों में इस पद पर आईएएस ही बैठते रहे हैं.

लेकिन कुछेक अपवाद भी हैं. जैसेकि मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़. मध्यप्रदेश में पहले आईपीएस आशुतोष प्रताप सिंह (2010) की नियुक्ति जनसंपर्क में हो चुकी है.

लेकिन आईपीएस आशुतोष मध्यप्रदेश के जनसंपर्क विभाग के आयुक्त नहीं बल्कि सँचालक हुआ करते थे. हालाँकि आईपीएस आशुतोष को मध्य प्रदेश जनसंपर्क विभाग के संचालक पद से हटा दिया गया है.

उनको पुलिस मुख्यालय भोपाल में उप पुलिस महानिरीक्षक (डीआईजी) के पद पर पदस्थ किया गया था. गृह विभाग ने इस वर्ष 22 जनवरी को एक आदेश जारी किया था.

यह आदेश आईपीएस आशुतोष प्रताप सिंह की सेवाएँ गृह विभाग में वापस लौटाए जाने के सँबँध में था. मप्र के गृह विभाग के अपर सचिव अजय गुप्ता के हस्ताक्षर से जारी यह आदेश आईपीएस सिंह की मूल विभाग में वापसी से जुडा़ हुआ था.

उनकी सेवाएं जनसंपर्क विभाग से वापस लेते हुए पुलिस मुख्यालय में पदस्थ किया गया था. उनको छह साल पहले जनसंपर्क विभाग में निदेशक पदस्थ किया गया था.

यह वही समय था जब छग में भी आईपीएस के जिम्मे जनसंपर्क विभाग सौंप दिया गया था. छत्तीसगढ़ में पहली बार आयुक्त जनसंपर्क के पद पर किसी आईपीएस अफसर की तैनाती हुई थी.

पहले काबरा फिर मयंक की नियुक्ति . . .

प्रदेश में जब भूपेश बघेल के नेतृत्व वाली काँग्रेस सरकार हुआ करती थी तब आईपीएस की एंट्री पब्लिक रिलेशन में हुई थी. तब आईपीएस दीपांशु काबरा ने धमाकेदार तरीके से जनसंपर्क विभाग में प्रवेश किया था.

अब तक अपर परिवहन आयुक्त रहे आईपीएस दीपांशु काबरा से जुडे़ 5 अक्टूबर 2021 के एक आदेश ने आईएएस आफिसर्स की नींद उडा़ दी थी. आदेश सामान्य प्रशासन विभाग (जीएडी) के उप सचिव रहे जेएस राजपूत के हस्ताक्षर से जारी हुआ था.

पूर्व मुखिया इस तरह का धमाका करने के शौकीन माने जाते रहे हैं. यह भी एक तरह से धमाका ही था. पहली बार जनसंपर्क की कमान कोई आईपीएस अफसर सँभालने जा रहा था.

अगले ही दिन 1997 बैच के आईएएस एस भारतीदासन आईपीएस काबरा को गुलदस्ता भेंट करते हुए चार्ज सौंपते हुए तस्वीर में नज़र आए थे. दरअसल, आईपीएस काबरा से पहले आईएएस भारतीदासन जनसंपर्क आयुक्त के पद पर विराजमान थे.

अब 2023 की सर्दियाँ शुरू हो चुकी थी. ठँडी़ फिजां में राजनीतिक आरोप प्रत्यारोप गरमाहट घोल रहे थे. यह चुनाव का समय था. तमाम तरह के दावों प्रतिदावों के बीच भूपेश, काँग्रेस की सरकार लाज नहीं बचा पाई.

75 + के नारे के बीच हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा के हाथों राज्य में काँग्रेस को सबसे बडी़ हार झेलनी पडी़. इसका असर प्रशासन पर भी हुआ. बडे़ स्तर पर तो कोई फेरबदल नहीं हुआ लेकिन नीचे स्तर पर भारी भरकम परिवर्तन नज़र आया.

भूपेश सरकार के समय एक तरह से लूप लाइन में पडे़ रहे आईपीएस मयंक श्रीवास्तव ने जोरदार तरीके से वापसी की थी. उन्होंने न केवल मुख्य धारा में वापसी की बल्कि बेहद दमदार माने जाने वाले आईपीएस काबरा को खो भी किया.

आईपीएस काबरा के स्थान पर आईपीएस मयंक श्रीवास्तव जनसंपर्क के आयुक्त बना दिए गए. मतलब साय सरकार का चेहरा चमकाने का जिम्मा अब आईपीएस मयंक के हाथों में था.

इसी साल 4 जनवरी को एक आदेश जारी हुआ था. इसी में मयंक के कार्यालय का पता बदल गया था. वह अब फायर एँड सेफ्टी के डीआईजी छग से कमिश्नर, पब्लिक रिलेशन छग हो चुके थे.

. . . लेकिन महज 9 महीने और 18 दिनों के भीतर ही ऐसा क्या कुछ हुआ कि सरकार का भरोसा न केवल मयंक श्रीवास्तव से उठ गया बल्कि आईपीएस पर विश्वास कायम नहीं रहा. तभी तो उसने आयुक्त, जनसंपर्क के पद पर इस बार आईएएस को नियुक्त कर दिया.

लेकिन गौरतलब बात यह रही कि महज एक जिले के कलेक्टर रहे रवि मित्तल की किस्मत चमक चुकी थी. आईएएस मित्तल इससे पहले बगीचा के अनुविभागीय दंडाधिकारी (एसडीएम) रह चुके थे.

साथ ही साथ उन्होंने पूर्व में महासमुंद, रायगढ़ और राजधानी रायपुर के जिला पँचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी (सीईओ) का भी दायित्व निभाया. उन्हें जशपुर का जिलाधीश बनाने का आदेश पूर्ववर्ती काँग्रेस सरकार के समय का था.

जशपुर के 19वें कलेक्टर थे, लाभप्रद रहा अक्तूबर . . .

जशपुर जिला का गठन 25 मई 1998 को हुआ था. मित्तल जशपुर के 19 वें जिलाधीश हुआ करते थे. उन्होंने जशपुर का प्रभार 07 अक्तूबर 2022 को सँभाला था.

एक तरह से यह महीना आईएएस मित्तल के लिए लाभप्रद ही रहा है. पहले उन्हें अक्तूबर में कलेक्टर की पोष्ट मिली और अब अक्तूबर में ही वह आयुक्त, जनसंपर्क बना दिए गए हैं.

बहरहाल, सवाल अब भी कायम है कि ऐसा क्या कुछ हुआ कि न केवल मयंक पर से बल्कि पूरी आईपीएस लाबी से सरकार का भरोसा उठ गया. इस बार उसने जिस आईएएस को कमिश्नर, पब्लिक रिलेशन बनाया है उसमें कुछ तो बात रही होगी कि उसे सरकार की चमक बनाए रखने की जिम्मेवारी सौंपी गई है.

“नेशन अलर्ट : ईमानदारी महँगा शौक है” इस बात की तह तक जाने का हरसंभव प्रयास करेगा. फिलहाल जो अपुष्ट जानकारी पता चल रही है वह कोयले से जुडी़ हुई है. चूंकि मामला गँभीर था इस कारण आईपीएस श्रीवास्तव से मोबाइल पर बात करने की कोशिश की थी जोकि सफल नहीं हो पाई. सँभवत: वह कहीं व्यस्त रहे हों.

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