क्या कलेक्टर की नहीं सुनते हैं अधीनस्थ अधिकारी ?
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राजनांदगाँव.
जिला शिक्षा अधिकारी के एक कृत्य ने राजनांदगाँव के प्रशासन और मुखिया की कलई खोल कर रख दी है. क्या वाकई राजनांदगाँव का प्रशासनिक तंत्र बेलगाम हो गया है ? क्या वाकई अधीनस्थ अधिकारी अपने ही कलेक्टर की नहीं सुनते हैं ?
दरअसल, ये सवाल इसलिए हो रहे हैं क्यूं कि जिला शिक्षा अधिकारी (डीईओ) की कुर्सी पर बैठे अधिकारी ने जिस भाषाशैली का इस्तेमाल मासूम विद्यार्थियों के समक्ष किया उससे उनकी ही शिक्षा दीक्षा पर सवालिया निशान लग गए हैं. अब भले ही मीडिया में मुद्दा उछलने के बाद वह माफी माँग रहे हों लेकिन कमान से निकला तीर और मुँह से निकली बात फिर नहीं आती.
क्या कहा था डीईओ ने ?
बताया जाता है कि ग्राम आलीवारा स्थित हायर सेकंडरी स्कूल के विद्यार्थी शिक्षकों की कमी से परेशान हैं. इस परेशानी से विद्यार्थी अपने विधायक (सर्वश्री दलेश्वर साहूजी, काँग्रेस विधायक डोंगरगाँव) को भी अवगत करा चुके थे.
आश्वासन के बावजूद जब हल नहीं निकला तो विद्यार्थियों ने जनदर्शन का रूख किया. यहाँ पहुँच कर उन्होंने कलेक्टर को अपनी पीडा़ बताई थी.
कलेक्टर साहब ने भी उन्हें डीईओ के पास भेजकर अपने कर्त्तव्यों की इतिश्री कर ली. कलेक्टर के निर्देश पर विद्यार्थी डीईओ के पास पहुँचे ही थे कि वह उन पर एक तरह से बरस पडे़ थे.
तब कथित तौर पर डीईओ ने आलीवारा के विद्यार्थियों को जेल भेज देने की बात कही थी. मामला मीडिया में उझला भी लेकिन कार्रवाई के नाम पर कुछ हुआ नहीं.
हुआ तो बस इतना कि कलेक्टर और डीईओ दोनों आलीवारा होकर आ गए. वहाँ पर डीईओ ने कठोर शब्दों के लिए माफी माँग ली. कलेक्टर ने भी कह दिया कि डीईओ ने गुस्से में ऐसी बात कही थी.
लेकिन मामला अभी भी शाँत नहीं हुआ है. राजनैतिक दलों से जुडे़ छात्र सँगठन कार्रवाई की माँग कर ही रहे हैं. इधर, कलेक्टर राजनांदगाँव का कहना है कि उन्होंने किसी भी तरह की कार्रवाई के लिए शासन को कोई पत्र नहीं लिखा है.
डीईओ एक तरह से चुप्पी साधे बैठे हैं. प्रतिक्रिया लेने उनसे सँपर्क करने का प्रयास भी किया गया था. चूँकि मोबाइल व्यस्त था इस कारण बात नहीं हो पाई. फ्री होकर उल्टे उन्होंने मोबाइल पर फोन भी नहीं लगाया.
बहरहाल, मामले को छत्तीसगढ़ छात्र पालक संघ के राजनांदगाँव जिला प्रभारी
सँजय अग्रवाल बेहद गँभीर बताते हैं. वे कहते हैं कि समस्या का निदान करने के स्थान पर किसी को भी जेल भेज देना जैसी बात करना ही असंवैधानिक है.
अग्रवाल के मुताबिक कलेक्टर की भले ही मामले में कोई गल्ती न रही हो लेकिन उन्हें बदजुबानी वाले डीईओ पर कार्रवाई करनी चाहिए थी. उन्होंने शासन से भी डीईओ पर उचित कार्रवाई करने की माँग की है.