डीजीपी : क्या विधानसभा अध्यक्ष की पसंद महत्वपूर्ण होगी ?
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रायपुर.
छत्तीसगढ़ के नए पुलिस महानिदेशक ( डीजीपी ) चुनने की प्रक्रिया में क्या विधानसभा अध्यक्ष की पसंद नापसंद का ख्याल रखा जाएगा ? आला नौकरशाहों के बीच यह सवाल इसलिए तैर रहा है क्यूं कि डा. रमन सिंह अभी भी छत्तीसगढ़ की राजनीति के केंद्र बिंदु बने हुए हैं.
अमूमन देखने में यह आता है कि जब कभी भी किसी भी राज्य की सरकार बदलती है तो वहाँ सबसे पहले ब्यूरोक्रेसी के चेहरे इधर से उधर कर दिए जाते हैं. मुख्य सचिव ( सीएस ) से लेकर पुलिस महानिदेशक ( डीजीपी ) अपनी पसंद का बैठाने में प्रदेश के नए मुखिया तत्पर नजर आते रहे हैं.
लेकिन इस बार छत्तीसगढ़ में ऐसा कुछ नहीं हुआ. दिसंबर 2023 में विष्णुदेव साय के नेतृत्व में नई सरकार बनीं थी. इसके बावजूद पुराने सीएस (आईएएस अमिताभ जैन) और डीजीपी (आईपीएस अशोक जुनेजा) काम करते रहे. इन्हें नहीं बदला गया.
ऐसा क्यूं कर हुआ … ?
दरअसल, इसके पीछे डा. रमन सिंह की भूमिका बताई जाती है. सीएस जैन और डीजीपी जुनेजा दोनों ही अफसर रमन सरकार में “अति महत्वपूर्ण” जिम्मेदारी संभाल चुके हैं (थे).
भले ही डा. रमन चौथी बार मुख्यमंत्री नहीं बनाए गए लेकिन विधानसभा अध्यक्ष की जिम्मेदारी दिलवाते हुए भाजपा ने उन्हें छत्तीसगढ़ की राजनीति का केंद्र बिंदु बनाए रखा है. छत्तीसगढ़ के संदर्भ में पार्टी आलाकमान आज भी डा. सिंह की किंतु परंतु को महत्व देता है.
तभी तो उसने और नए मुख्यमंत्री ने प्रदेश के दोनों शीर्षस्थ अधिकारियों को लगातार उनके पुराने पदों पर बनाए रखा है. रमन सिंह अधिकारियों पर भरोसा जताने वाले राजनेता माने जाते हैं. उन्हीं के, उसी भरोसे के बूते जैन-जुनेजा की जोडी़ राज्य में बनी रही.
अब जबकि राज्य में नया डीजीपी चुनने का समय नजदीक आ रहा है तो पूर्व मुख्यमंत्री, वर्तमान विस अध्यक्ष डा. सिंह की किंतु परंतु पर नौकरशाहों की निगाह टिक गई है.
बताया जाता है कि अंदरखाने चल रही उठापटक के बीच केंद्र की भी नज़रें डा. सिंह पर आकर टिक जा रही हैं.उनकी राय के बिना कम से कम इस मर्तबा तो नया डीजीपी चुने जाने से रहा.