क्या विधानसभा अध्यक्ष की फटकार से घबरा गए हैं कलेक्टर?
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रायपुर. विधानसभा अध्यक्ष डा. रमन सिंह जिन्हें शांत चेहरे के लिए जाना जाता यदि किसी बात पर अकस्मात नाराज़ हो उठे तो मामला गंभीर ही है. एक तरह से फटकारते हुए शब्दों में उन्होंने जिला प्रशासन की लापरवाही कार्यशैली को लेकर जो कुछ कहा उससे कलेक्टर, लगता है घबरा से गए हैं.
नेशन अलर्ट की टीम और पूर्व मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह की राजनीतिक पारी का सफर आगेपीछे ही शुरू हुआ था. शुरूआती समय से यह दिखाई दिया कि डा.रमन कभी उत्तेजित नहीं होते हैं.
उनके शब्दों का भी चयन नापतौल कर होता है. क्या केंद्रीय राज्य मंत्री . . . क्या प्रदेश भाजपा अध्यक्ष और क्या 15 साल मुख्यमंत्री का सफर . . . शायद ही कभी रमन की सार्वजनिक कार्यशैली में कोई मीनमेख निकालने को मिली हो.
. . . फिर क्यूं नाराज़ हुए विधानसभा अध्यक्ष ?
अब बात उनकी नई पारी की . . . पूर्ववर्ती सरकार को कुकर्मी बताते हुए प्रदेश की सत्ता पर जब भाजपा फिर से काबिज हुई तो आलाकमान ने डा. रमन सिंह की नई भूमिका तय कर दी.
इस बार वह विधानसभा अध्यक्ष चुने गए. सत्ता पक्ष, विपक्ष को एकसाथ लेकर चलने में भी उन्होंने कोई गड़बडी़ अथवा हड़बड़ी नहीं की.
हँसते मुस्कराते चेहरे वाले रमन कभी विपक्ष के विधायक की प्रशंसा करते नज़र आए तो कभी उन्होंने नए नवेले मंत्री को विपक्ष के घाघ विधायकों के हमले से बचा लिया.
. . . लेकिन मानसून सत्र के अंतिम दिन शुक्रवार को एक तरह से उनका रोद्ररुप देखने को मिला. हमेशा नकारात्मक व्यवहार, बातचीत से दूर रहने वाले शख्स को कोई बात टीस पहुँचा जाए तो वह जो कुछ कहेगा उसे फटकार ही कहा जा सकता है.
दरअसल, मामला गंभीर है. जिला प्रशासन की लापरवाह कार्यशैली का प्रत्यक्ष उदाहरण भी है.ऐसा उदाहरण जिससे भाजपा के पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर से लेकर नेता प्रतिपक्ष डा.चरणदास तो नाराज़ होते ही है बल्कि डा.रमन भी तकरीबन उखड़ते हुए नजर आते है.
छत्तीसगढ़ में कोरिया जिले को विभाजित करके नया जिला महेन्द्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर (एमसीबी) बनाया गया है. यह 9 सितंबर 2022 को छत्तीसगढ़ राज्य के 32वें जिले के रूप में अस्तित्व में आया था. मामला यही से जुडा़ हुआ है.
जब मध्यप्रदेश का विभाजन नहीं हुआ था तब महेन्द्रगढ़ के दो मर्तबा विधायक विजय सिंह रह चुके थे. यही विजय सिंह हाल ही में 17 जुलाई को स्वर्ग सिधार गए. 22 जुलाई को छत्तीसगढ़ विधानसभा का मानसून सत्र प्रारंभ हुआ था.
. . . लेकिन विजय सिंह को श्रद्धांजलि नहीं दी जा सकी क्यूं कि सूचना ही नहीं मिली थी. दिगर दिवंगत नेताओं को याद किया गया लेकिन विजय सिंह पर कोई बात नहीं हुई.
सूचना मिली भी तो सत्र के अंतिम दिन उन्हें दी गई श्रद्धांजलि से ज्यादा चर्चा विधानसभा अध्यक्ष सिंह की नाराजगी पर जाकर टिक गई. अधिकारियों की ऐसी लापरवाही पर वह यह कहते हुए नज़र आए थे कि यह है प्रदेश के हालात.
विधानसभा अध्यक्ष सिंह ने कहा कि सांसद-विधायक की मृत्यु पर तत्काल विधानसभा को सूचित करने के निर्देश सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा सभी कलेक्टर्स को दिए गए है. इसके बाद भी इतने विलंब से यह जानकारी विधानसभा सचिवालय को भेजी गई.
कौन है एमसीबी कलेक्टर ?
एमसीबी कलेक्टर राहुल वेंकट छत्तीसगढ़ कैडर के आईएएस हैं. उनका पूरा नाम डी राहुल वेंकट है. वे मूलतः तेलंगाना के रहने वाले है. यूपीएससी उन्होंने 386 वीं रैंक के साथ क्रैक की है. पूर्व में वह सारंगढ़– बिलाईगढ कलेक्टर थे.
फिलहाल वह विधानसभा की नाराजगी झेलते हुए दिखाई पड़ रहे हैं. नेशन अलर्ट ने सूचना में विलंब और विधानसभा अध्यक्ष सहित सदस्यों की नाराजगी को लेकर प्रशासनिक पक्ष जानने उनसे संपर्क किया था.
कलेक्टर के मोबाइल 96660 .* .* . पर रिंग दी गई लेकिन संभवत प्रशासनिक कार्यों में व्यस्तता के चलते वह मोबाइल नहीं उठा पाए. इस पर उन्हें वाट्सऐप पर संदेश भी दिया गया लेकिन जवाब नहीं आया.
बहरहाल, मामले से प्रशासनिक तंत्र की सक्रियता समझी जा सकती है. साथ ही विधानसभा अध्यक्ष के तेवर देखकर उनकी शांतचित्त मुद्रा को हल्के में लेना, नहीं लेना के बीच के विरोधाभास को भी समझा जा सकता है.
(यह खबर टीम नेशन अलर्ट द्वारा संपादित नहीं की गई है. जैसी मिली वैसी प्रकाशित हुई है. अत: नेशन अलर्ट किसी भी तरह की गल्ती के लिए जिम्मेदार नहीं है.)