क्या शनि-मंगल के भयानक योग से एबीस के गोदाम में लगी आग ?
नेशन अलर्ट/9770656789
www.nationalert.in
राजनांदगांव। ग्राम इंदामरा में एबीस गु्रप के माल गोदाम में लगी आग से करोड़ों के नुकसान की आशंका जताई जा रही है। आग इतनी भयानक थी की दोपहर से देर रात तक इसे बुझाने मशक्कत की जाती रही। डोंगरगांव-डोंगरगढ़ से आई एक-एक और दुर्ग से बुलवाई गई दो फायर ब्रिगेड के अतिरिक्त कंपनी और स्थानीय फायर ब्रिगेड की तीन-तीन गाड़ियांे को घंटों मेहनत करनी पड़ी। सवाल अब इस बात का उठ रहा है कि आग क्यों और कैसे लगी ? ज्योतिष के जानकार इसे विनाशकारी योग से जोड़कर देखते हैं।
ज्योतिष के जानकारों के मुताबिक विगत 100 साल के दौरान जून माह में इस तरह का विनाशकारी योग बना है। शनि-मंगल की यही युती पूरी दुनिया भर में आगजनी की घटनाओं के घटने का कारण बताई जा रही है।
भीषण गर्मी वाले माह में सालों बाद बना योग
जानकार बताते हैं कि मंगल-शनि का दुर्याेग प्रत्येक 27 साल के दौरान एक बार बनता है। जब कभी यह योग अगस्त-जनवरी जैसे माह में बनता है तो उस दौरान होने वाली बारिश अथवा पड़ने वाली ठंड के चलते आगजनी की घटनाएं कम हो जाती है।
लेकिन इस बार यह योग जून माह में बना है। जून को सर्वाधिक गर्मी वाला माह माना जाता है और इस बार पूरा देश भीषण गर्मी की चपेट में भी है। 15 जून के बाद इस तरह की घटनाओं में कमी देखी जाने का अंदाजा ज्योतिष के जानकार लगा रहे हैं। जानकार बताते हैं कि फिर भी 30 जून तक आग लगने का खतरा बना रहेगा।
उनके अनुसार माह की शुरूआत से मंगल मेष राशि में विराजमान है। 30 जून तक वह स्वराशि में ही गोचर करेगा। अग्नि तत्व के कारक माने जाने वाले मंगल को तामसी प्रवृत्ति का ग्रह होने का दर्जा प्राप्त है। आग का सीधा संबंध मंगल से है।
1 जून से ही शनि अपनी मूल त्रिकोण राशि कुम्भ में बैठकर मेष राशि पर तीसरी दृष्टि डाल रहे हैं। शनि की तीसरी दृष्टि को नीच दृष्टि माना जाता है। शनि और मंगल अमूमन शत्रुग्रह माने गए हैं। शनि यदि लकड़ी है तो मंगल आग है।
जब आग और लकड़ी का मिलन होगा तो क्या होगा ? यही सबकुछ इन दिनों शनि और मंगल के एकसाथ आने से हो रहा है। शनि की दृष्टि नीच की है इस कारण 1 जून से ऐसी घातक घटनाएं घट रही हैं। कुवैत की एक इमारत में आगजनी के बाद 40 भारतीय जिंदा जल गए थे।
बहरहाल, आईबी गु्रप में हुई आगजनी में करोड़ों के नुकसान का अंदेशा है। जिस स्थान पर आग लगी है वहां तेल पैकेट के पैकिंग का काम किया जाता था। सैकड़ों के संख्या में तेल के टिन भी गोदाम में पड़े हुए थे। आग लगने के बाद उसे भीषण होने में इस कारण समय नहीं लगा क्योंकि तेल ने उसे बढ़ाने में सहयोग किया।