खड़गे के प्रचार के लिए दे दिया इस्तीफा
नेशन अलर्ट/नई दिल्ली.
कांग्रेस तमाम झंझावतों से जूझते हुए अंतत: अपने नए अध्यक्ष के चुनाव के लिए बढ़ने लगी है। अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष रहे मल्लिकार्जुन खड़गे का मुकाबला आज की तारीख में तिरूवनंतपुरम (केरल) से पार्टी के सांसद शशि थरूर के साथ संभावित है। इधर निष्पक्ष चुनाव की इच्छा जताते हुए पार्टी के तीन प्रवक्ताओं ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है क्यूंकि ये खड़गे का चुनाव प्रचार करेंगे।
वर्षों के बाद कांग्रेस में सीधे चुनाव से अध्यक्ष चुना जा सकता है। पहले श्रीमति सोनिया गांधी और बाद में उनके सुपुत्र राहुल गांधी को चुनाव नहीं लड़े बगैर अध्यक्ष चुन लिया गया था। अब जबकि इस बार प्रत्यक्ष चुनाव की उम्मीद जगी है तो पार्टी में प्रचार प्रसार पर भी जोर दिया जा रहा है। कांग्रेस अभी अंतरिम अध्यक्ष श्रीमति गांधी के नेतृत्व में काम कर रही है। राहुल गांधी ने वर्ष 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद पार्टी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था।
क्या खड़गे हैं गांधी परिवार की पसंद ?
माना जा रहा है कि खड़गे गांधी परिवार की पसंद हैं। हो भी क्यों न… क्यूंकि खड़गे ने 80 साल की उम्र में आज दिनांक तक कभी गांधी परिवार अथवा पार्टी के बनाए नियम कायदे कानून से बाहर जाकर कोई काम नहीं किया। गौरव वल्लभ जिन्होंने पार्टी के प्रवक्ता पद से त्यागपत्र दिया है बताते हैं कि चुनाव स्वतंत्र और निष्पक्ष हो इसकारण उन्होंने इस्तीफा सौंप दिया है।
वल्लभ इस्तीफा देने वाले इकलौते प्रवक्ता नहीं हैं। दरअसल, उनके अलावा दो और प्रवक्ताओं दीपेंद्र हुड्डा और डॉ.सैय्यद नसीर हुसैन ने भी वल्लभ के साथ यह कहते हुए त्यागपत्र सौंपा है कि वह खड़गे के चुनाव प्रचार में लगना चाहते हैं इसकारण इस पद पर बने रहना नैतिक रूप से सही नहीं है।
दूसरी ओर शशि थरूर के अध्यक्ष पद के चुनाव लड़ने और नहीं लड़ने को लेकर स्थिति साफ होती जा रही है। आज थरूर ने खुद अपनी ओर से यह कहते हुए स्थिति स्पष्ट कर दी है कि वह चुनाव से पीछे किसी भी सूरत में नहीं हटेंगे। थरूर कहते हैं कि चुनाव लड़ने से पीछे हटना यह उन लोगों के साथ विश्वासघात होगा जिन्होंने उनका समर्थन किया है।
बहरहाल, यदि अध्यक्ष पद के दोनों दावेदार मुकाबले में बने रहते हैं तो चुनाव तय है। तब मतगणना बाद ही कांग्रेस के नए अध्यक्ष का फैसला हो पाएगा। लेकिन राजनीति के जानकार इसमें थरूर की अपेक्षा खड़गे की जीत की संभावना ज्यादा बता रहे हैं क्योंकि उन्हें भी लगता है कि खड़गे को गांधी परिवार का प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष समर्थन मिल सकता है अथवा मिल रहा है।