क्यूं दिग्विजय सिंह को कांग्रेस बनाए राष्ट्रीय अध्यक्ष ?
नेशन अलर्ट/भोपाल.
मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह का नाम अचानक ही कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के लिए उभरा है। दिग्विजय समर्थक इससे न केवल खुश हैं बल्कि कारण गिनाते हुए बताते हैं कि क्यूं दिग्विजय सिंह कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के काबिल हैं। दरअसल, दिग्विजय सिंह का नाम राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के साथ जुड़े विवाद के बीच यूं ही नहीं अचानक उभरा है। इसके पीछे वर्षों की मेहनत और तपस्या को जोड़कर देखा जा रहा है।
दिग्विजय सिंह मध्यप्रदेश के दो पंचवर्षीय कार्यकाल में मुख्यमंत्री रह चुके हैं। उनका पहला कार्यकाल 7 दिसंबर 1993 से 1 दिसंबर 1998 तक का था। जब मध्यप्रदेश में दिग्विजय सिंह सरकार नहीं रहेगी ऐसी संभावना जताई जा रही थी तब उन्होंने 1 दिसंबर 1998 से 8 दिसंबर 2003 तक दूसरी मर्तबा मुख्यमंत्री पद संभालकर राजनीतिक पंडितों को सोचने समझने मजबूर कर दिया था। दुर्भाग्य से उसी समय तब की अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने छत्तीसगढ़ को पृथक राज्य घोषित कर दिया। यहां दुर्भाग्य इसलिए लिखा जा रहा है क्यूंकि छत्तीसगढ़ के अलग होती ही मध्यप्रदेश बहुत से मसलों पर संकटों से घिर गया।
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भाजपा ने इसका उस समय भरपूर फायदा उठाया। तब उसने मिस्टर बंटाधार नामक अभियान चलाकर दिग्विजय सिंह को मध्यप्रदेश की गई गुजरी स्थिति के लिए जिम्मेदार ठहराया था। उस समय दिग्विजय सिंह ने प्रण लिया था कि वह दस वर्षों तक राजनीतिक जीवन में कोई भी पद नहीं संभालेंगे। दिग्विजय यहां जुबान के सच्चे निकले और उन्होंने अपनी तपस्या पूरी की। बाद में उन्हें कांग्रेस का राष्ट्रीय महासचिव बना दिया गया।
तब नर्मदा परिक्रमा की थी
30 सितंबर… वर्ष 2017… उम्र लगभग 70 साल… अपने गुरू द्वारका-शारदा पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती का आशीर्वाद प्राप्त कर दिग्विजय सिंह नर्मदा परिक्रमा पर सैकड़ों साथियों के साथ निकल पड़े थे। तकरीबन 3300 किमी लंबी इस यात्रा को उन्होंने 6 माह में पूरा किया था। भले ही दिग्विजय सिंह ने अपनी नर्मदा परिक्रमा यात्रा को धार्मिक और आध्यात्मिक बताया था लेकिन मध्यप्रदेश में इस विषय पर राजनीति होती रही।
मध्यप्रदेश से गुजरने वाली नर्मदा किनारे के 110 विधानसभा क्षेत्रों से दिग्विजय सिंह परिक्रमा करते हुए गुजरे थे। तब उन्होंने कहा था कि नर्मदा नदी में बड़े पैमाने पर होने वाले अवैध रेत खनन के साथ वह तब मुख्यमंत्री रहे शिवराज सिंह सरकार द्वारा नमामी देवी नर्मदा सेवा यात्रा के दौरान पवित्र नदी के किनारों पर रोपे गए पौधों के संबंध में जानकारी एकत्र करेंगे। नर्मदा परिक्रमा करने निकले दिग्विजय सिंह ने बगैर कुछ किए तब मध्यप्रदेश की भाजपा सरकार को हिला कर रख दिया था।
उस समय शिवराज सिंह चौहान पर साधु संतों के साथ ही पवित्र नर्मदा नदी की अनदेखी के भी आरोप लगते रहे थे। इसी दौरान 2018 में जब विधानसभा चुनाव हुए तो दिग्विजय सिंह की परिक्रमा ने असर दिखाया और 15 साल बाद कांग्रेस राज्य की सत्ता में वापस लौटी। उस समय कमलनाथ प्रदेश अध्यक्ष थे। इस हिसाब से वही मुख्यमंत्री भी बनें। कमलनाथ और दिग्विजय सिंह से पटरी नहीं बैठने के चलते ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस से बगावत कर दी। ज्योतिरादित्य खेमे के विधायकों के सामुहिक इस्तीफे के चलते कमलनाथ सरकार अल्प मत में आ गई।
अंतत: कमलनाथ जिन्होंने 17 दिसंबर 2018 से 20 मार्च 2020 तक मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री का दायित्व संभाला था इस्तीफा देने को मजबूर हुए। एक बार फिर से मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह सरकार काबिज हो गई… लेकिन दिग्विजय सिंह अपना काम कर गए थे। उन्होंने नर्मदा परिक्रमा करके प्रदेश में कांग्रेस को न केवल पुनर्जीवित किया था बल्कि सरकार बनाने में भी सहयोग किया था। अब वही दिग्विजय सिंह कांग्रेस को देशभर में पुनर्जीवित करने के अभियान में लगे हुए हैं।
76 साल के हो जाएंगे
दिग्विजय सिंह का जन्म 28 फरवरी 1947 को हुआ था। अगले साल वह 76 साल की उम्र पूरी कर लेंगे। इस उम्र में भी दिग्विजय सिंह की सक्रियता राजनीति की सड़कों पर अनवरत देखी जा सकती है। वह राहुल गांधी की भारत जोड़ो पदयात्रा के राष्ट्रीय संयोजक का दायित्व सड़क नापकर निभा रहे हैं। राहुल की पदयात्रा किस हद तक सफल हुई है यह तो आने वाले दिनों में ही पता चलेगा लेकिन इतना तय है कि इससे भाजपा से कहीं ज्यादा चिंतित राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ नजर आ रहा है।
दिग्विजय सिंह राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सबसे बड़े प्रबल विरोधी रहे हैं। वह संघ को लेकर तार्किक मुद्दे ऐसे उछालते हैं कि उसकी काट न तो संघ के नेताओं के पास होती है और न ही भाजपा के प्रवक्ताओं को कुछ बोलने सूझता है। अब जबकि राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनना असंभव नजर आ रहा है तो दिग्विजय सिंह का नाम सुनाई देने लगा है।
दिग्विजय सिंह जिन्हें लोग प्यार से दिग्गी राजा कहकर पुकारते हैं यदि कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष बन जाते हैं तो वह भाजपा का डटकर मुकाबला करेंगे। साथ ही साथ वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजयी रथ को रोकने एक चक्रव्यूह बिछाने में भी काम कर सकते हैं। चूंकि वह हिन्दी पट्टी के राज्य मध्यप्रदेश से आते हैं इसकारण भाजपा के कोर वोटर्स वाले राज्यों जैसे कि गुजरात, मध्यप्रदेश, राजस्थान, नई दिल्ली, उत्तरप्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में कांग्रेस के लिए चमत्कार कर सकते हैं।
वर्तमान में भाजपा और आरएसएस को सोते उठते यदि कहीं से चुनौती मिलती है तो वह दिग्विजय सिंह ही हैं। कांग्रेस को अब चाहिए कि वह दिग्विजय के नाम पर भरोसा करे। 76 साल के होने जा रहे दिग्विजय सिंह अपनी अंतिम लड़ाई भाजपा के खिलाफ इस मुस्तैदी से लड़ेंगे कि कांग्रेस को फायदा ही होगा। साथ ही साथ उसे हिंदी पट्टी के राज्यों में जहां से वह इन दिनों पिछड़ी हुई नजर आती है वहां एक बार फिर से अपने पैर जमाने में मदद मिलने लगेगी…तो क्या दिग्विजय सिंह कांग्रेस के अगले राष्ट्रीय अध्यक्ष होंगे ?