किसानों को हजार करोड़ के नुकसान की आशंका, 5 को चक्काजाम
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रायपुर.
छत्तीसगढ़ किसान सभा ने राज्य सरकार से 10 नवंबर से सोसाइटियों के जरिये धान खरीदने की मांग की है, ताकि कम समयावधि में पकने वाले धान की खेती करने वाले लघु व सीमांत किसानों को बाजार की लूट से बचाया जा सके।
आज यहां जारी एक बयान में छग किसान सभा के राज्य अध्यक्ष संजय पराते और महासचिव ऋषि गुप्ता ने कहा है कि नवंबर माह में धान खरीदी न होने से किसान कम-से-कम 10 लाख टन धान का उचित मूल्य प्राप्त करने से वंचित हो जाएंगे, क्योंकि कटाई के बाद छोटा किसान घर में धान जमा करके रखने की स्थिति में ही नहीं होता। इस समय खुले बाजार में उसे 1200 रुपये क्विंटल से कम कीमत मिल रही है। इससे किसानों को 1000 करोड़ रुपयों से अधिक का नुकसान होने जा रहा है।
किसान सभा ने मंडियों में समर्थन मूल्य से नीचे धान बिकने पर भी कड़ी आपत्ति जताई है। कहा है कि मंडी प्रशासन की नाक के नीचे किसानों की लूट हो रही है और राज्य सरकार मूकदर्शक बनी हुई है। मंडियों में धान का समर्थन मूल्य सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी राज्य सरकार की है। किसान सभा नेताओं ने मांग की है कि जहां समर्थन मूल्य से नीचे धान बिक रहा है, उस मंडी प्रशासन के विरूद्ध सरकार कार्यवाही करें।
उन्होंने कहा कि राज्य में मंडी अधिनियम में संशोधन के बाद भी मंडियों में किसानों की लूट जारी है, क्योंकि इस अधिनियम में न्यूनतम समर्थन मूल्य देने की बात ही नहीं की गई है और वास्तव में यह कृषि क्षेत्र के निजीकरण की राह आसान करता है। इसलिए यह अधिनियम प्रदेश के किसानों के साथ सरासर धोखाधड़ी है।
उन्होंने बताया कि मोदी सरकार की कृषि विरोधी नीतियों के खिलाफ 5 नवंबर को पूरे देश में चक्का जाम किया जा रहा है। छत्तीसगढ़ में भी छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन से जुड़े घटक संगठनों तथा छत्तीसगढ़ किसान सभा और आदिवासी एकता महासभा द्वारा पूरे प्रदेश में रास्ते रोके जाएंगे तथा पुतले जलाए जाएंगे।
राज्यव्यापी आंदोलन में 10 नवंबर से धान खरीदी करने और मंडियों में समर्थन मूल्य सुनिश्चित करने की मांग को केंद्र में रखा जा रहा है। इसके अलावा केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के दुष्परिणामों से किसानों को बचाने के लिए पंजाब की तर्ज़ पर एक सर्वसमावेशी कानून बनाने की भी मांग की जा रही है।