बुटाटी धाम : कल हरिकीर्तन का आयोजन

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नेशन अलर्ट/9770656789

नागौर.

श्री तुलसी विवाह के अवसर पर बुटाटीधाम में मँगलवार को हरिकीर्तन सँग जागरण होगा. बुधवार को मेले का आयोजन रखा गया है.

बुटाटीधाम में श्री चतुरदासजी महराज का मँदिर है. सांजु तहसील अंतर्गत ग्राम बुटाटी में स्थित यह मँदिर लगवा पीडि़तों के उपचार के देश विदेश में चर्चित है.

क्या है कार्यक्रम . . ?

बुटाटीधाम की देखरेख श्री चतुरदासजी महराज मँदिर विकास समिति द्वारा की जाती है. इस समिति के प्रमुख फिलहाल देवेंद्र सिंह बताए जाते हैं.

उन्होंने कार्यक्रम के सँबँध में “नेशन अलर्ट” से बातचीत की थी. उन्होंने बताया कि सारे कार्यक्रम 48 वें महोत्सव के उपलक्ष्य में हो रहे हैं.

कार्तिक सुदी ग्यारस यानिकि मँगलवार को सँध्या 7 बजे से मँदिर प्राँगण में भजन का कार्यक्रम प्रारँभ होगा. भक्ति सँध्या के ही दौरान सँतों के प्रवचन का भी कार्यक्रम होगा.

प्रवचन देने विभिन्न सँत पधार रहे हैं. इनमें नरेनाधाम जयपुर के आचार्य 1008 श्री ओमप्रकाश जी महराज शामिल हैं. उन्हें अखिल भारतीय दादू सँप्रदाय से जुडा़ बताया जाता है.

उनके अलावा रेणधाम के आचार्य सज्जनराम जी महराज पधारेंगे. उन्हें श्री रामस्नेही सँप्रदाय से जुडा़ बताया जाता है.

कार्यक्रम में पौहधाम के महँत श्री 108 श्री रामनिवास दास महराज, रामनाम त्यागी सँतश्री हेतमराम महराज, भादवासी के नेमीराम महराज भी आशीर्वाद देंगे. अन्य साधु सँतों का भी आगमन होगा.

पहले दिन भजन सँध्या के दौरान प्रसादी वितरण होगा. दूसरे दिन 13 नवंबर को मेले का आयोजन होगा. बुधवार को मेले में आए श्रद्धालुओं के लिए दोपहर में महाप्रसादी का वितरण होगा.

कहाँ स्थित है बुटाटीधाम . . ?

राजस्थान के एक जिले का नाम नागौर है. नागौर से 52 किलोमीटर दूर अजमेर मार्ग पर कुचेरा क़स्बे के पास बुटाटीधाम स्थित है.

इसे यहाँ चतुरदास जी महाराज के मंदिर के नाम से भी जाना जाता है. यह मंदिर वस्तुतः चतुरदास जी की समाधि है. मान्यता है कि लगभग पांच सौ साल पहले सँत चतुरदास जी का यहाँ पर निवास था.

चारण कुल में जन्में वे एक महान सिद्ध योगी थे. अपनी सिद्धियों से लकवा के रोगियों को रोगमुक्त कर देते थे. आज भी लोग लकवा से मुक्त होने के लिए इनकी समाधि पर सात फेरी लगाते हैं.

यहाँ पर देश विदेश से प्रतिवर्ष लाखों लकवा मरीज एवं अन्य श्रद्धालु आते हैं. विशेष रूप से एकादशी एवं द्वादशी के दिन आते है.

यहाँ हर माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी को मेला लगता है. इसके अतिरिक्त वैशाख,भादो और माघ महीने में पूरे महीने के विशेष मेलों का आयोजन होता है.

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