मुख्यमंत्री निवास का कहकर बीच रास्ते में मांगा ज्ञापन, किसान प्रतिनिधि मंडल ने किया इनकार, कहा-ये तो धोखा है

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राजनांदगांव। प्रदेश किसान संघ के तत्वावधान में बुधवार को चार सूत्रीय मांगों को लेकर मुख्यमंत्री का ब्यानार्षित करने के उद्देश्य से 6 नवंबर को आयोजित मुख्यमंत्री ध्यानाकर्षण यात्रा राजनांदगांव से रायपुर में भाग लेने हजारों की संख्या में किसान बसों एवं चार पहिया वाहनों से कृषि उपज मंडी पहुंचे थे।
एक दिन पूर्व मंगलवार को किसान संघ के प्रतिनिधियों की कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक की उपस्थिति में यात्रा एवं चारों मांगों पर विस्तृत चर्चा हुई थी। चार मांगों में से तीन मांगे राजीव गांधी किसान न्याय योजना की चौथी किश्त 117 रुपये समर्थन मूल्य का लाभ देते हुए, 3217 रूपये की दर से धान खरीदी, धान खरीदी 13 फरवरी तक चलाने की मांग नीति विषयक है और यह जिला प्रशासन के अधिकार क्षेत्र से बाहर का विषय बताया गया एवं चौथी मांग रबी फसल धान की उपज को हतोत्साहित नहीं करने की मांग की जा रही है, पर कलेक्टर ने विस्तार से बात रखी एवं धान बोने पर आर्थिक दंड की बात को निराधार एवं भ्रामक बताया। किसान प्रतिनिधियों के आग्रह पर इस संबंध में निर्देश जारी करने सहमति जताई एवं तत्काल निर्देश निकलवाया भी एवं यात्रा से पहले किसानों से चर्चा की इच्छा भी जताई, कृषि उपज मंडी या जिला कार्यालय में मिलने की बात कही। यात्रा शुरू करने के पहले किसानों ने आपस में चर्चा की एवं कलेक्टर के आमंत्रण के मद्देनजर जिला कर्यालय होते हुए यात्रा आगे बढ़ाने का तय कर एडीएम के माध्यम से सूचना दी गई। कलेक्टर स्वयं कृषि उपज मंडी पहुंचे, किसानों को अपनी बातें विस्तार से बताई एवं कहा कोई आर्थिक दंड का निर्देश जारी नहीं हुआ है, हम कम पानी चाहने वाली अधिक आमदानी की फसल लेने किसानों से अपील कर रहे है। कौन सी फसल लेना है ये तो किसान को ही तय करना है।
आगे यात्रा को लेकर प्रशासन और किसानों में लंबे संवाद के बाद तय हुआ कि मुख्यंत्री ध्यानाकर्षण यात्रा अंजोरा तक निकाली जावेगी एवं वहां से दस सदस्यीय प्रतिनिधि मंडल प्रशासन के साथ मुख्यमंत्री निवास पहुंचकर उपलब्ध प्रतिनिधि को ज्ञापन सौंपेगा।
मुख्यमंत्री ध्यानाकर्षण यात्रा कृषि उपज मंडी से प्रारंभ होकर अंजोरा में संपन्न हुई। आगे प्रतिनिधि मंडल को कुम्हारी टोल नाका पर रोका गया। बड़ी संख्या में पुलिस तैनात थी। यहां पर उपस्थित एक अधिकारी को ज्ञापन सौंपने कहा गया, जिन्हें मुख्यमंत्री निवास का प्रतिनिधि बताते हुए मुख्यमंत्री तक बात पहुंचाने का आश्वासन दिया गया। प्रतिनिधि मंडल ने बार-बार निवेदन किया कि किसानों ने हमें मुख्यमंत्री निवास तक ज्ञापन पहुंचाने भेजा है, वहां पर हम किसी विशिष्ट व्यक्ति या अधिकारी को ज्ञापन देन की बात नहीं कर रहे, हम किसी भी स्टॉफ को ज्ञापन सौंपने तैयार है, पर बहुत सारे नियम कायदों का हवाला देते हुए कहा गया कि आप लोग वहां नहीं जा सकते। ऐसे में बिना ज्ञापन दिए ही प्रतिनिधि मंडल वहां से वापस लौट आया।
प्रदेश किसान संघ ने इसे किसानों के साथ धोखा करार दिया है। पहले बताया गया होता कि मुख्यमंत्री निवास के बजाए बीच रास्ते में ज्ञापन दिया जाना है, तो हम उनके साथ जाते ही क्यों, अपनी यात्रा अंजोरा तक सीमित करने की बात भी नहीं मानते। प्रशासन को इस तरह की चालाकियों से बचना चाहिए, इससे न सिर्फ उनकी विश्वसनीयता खत्म होती है, बल्कि सरकार के खिलाफ भी आप आक्रोश पैदा करते है।
मानपुर के किसानों को भी रोका गया। मुख्यमत्री ध्यानाकर्षण यात्रा में भाग लेने आ रहे किसाना को मानपुर पुलिस ने नहीं। आने दिया तय कार्यक्रम के अनुसार दूरी को देखते हुए मोहला मानपुर के किसानों को 5 नवंबर मंगलवार की रात तक राजनांदगाव पहुंचना था। एक-एक कर आ रही गाड़ियों को पुलिस भगाते गई देर रात कुछ गाड़ियों को रोकने पर पुलिस को कार्यक्रम का अनुमति पत्र भी वाट्सएप के माध्यम से भेजा गया, ज्ञापन की प्रति मांगी गई वो भी भेजी गई बाद में अधिकारी फोन पर बात करने से इंकार कर दिए और 30 हजार का चालान काटने की धमकी किसानों को दिए। फिर विवश होकर किसानों को वापस होना पड़ा। प्रदेश किसान संघ पुलिस एवं प्रशासन के इस तरह के रवैय्ये की निंदा करता है।
प्रशासन एवं पुलिस गैर जिम्मेदार व अलोकतांत्रिक रवैय्ये से जनता में आक्रोश सरकार के खिलाफ भड़कता है। हमें पूरा भरोसा है कि सरकार अधिकारियों के ऐसे रवैय्ये से सहमत नहीं होगी। अतः हम मांग करते हैं कि प्रतिनिधि मंडल धोखा प्रकरण एवं मानपुर प्रकरण पर कार्यवाही कर कड़ा संदेश देते हुए मूल विषय तीन नीतिगत मांगों का संज्ञान ले। जल्द ही किसान संघ की बैठक कर ज्ञापनों एवं आगे की रणनीति पर चर्चा की जायेगी।

(यह खबर टीम नेशन अलर्ट द्वारा संपादित नहीं की गई है. जैसी मिली वैसी प्रकाशित हुई है. अत: नेशन अलर्ट किसी भी तरह की गल्ती के लिए जिम्मेदार नहीं है.)

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