सरकार झुकी : 22 दिनों के बाद होगा अँतिम सँस्कार, विधवा को नौकरी और 25 लाख का मुआवजा

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अंबिकापुर.

अंततः प्रदेश सरकार को सँदीप लकड़ा हत्याकाँड़ मामले में आदिवासी समाज के तेवरों के सामने झुकना पडा़. अब सरकार विधवा को शासकीय नौकरी और मुआवजा बतौर 25 लाख देने को सहमत हो गई है. इसके बाद आदिवासी समाज ने अपने आंदोलन को विराम देते हुए रविवार दोपहर अंतिम सँस्कार किए जाने सहमति जताई है. सनद रहे कि, बीते 22 दिनों से मृतक का शव अंतिम क्रिया की राह तक रहा था.

प्रदेश के स्वास्थ्य मँत्री श्यामबिहारी जायसवाल की मौजूदगी में आज पीड़ित परिवार और सर्व आदिवासी समाज के बीच वार्ता हुई. वार्ता में सीएम के प्रतिनिधि के रूप में मँत्री जायसवाल शामिल थे.

निशुल्क शिक्षा की व्यवस्था भी . . .

स्वास्थ्य मँत्री ने मृतक के बच्चों की हायर सेकंडरी स्कूल तक निशुल्क पढ़ाई की व्यवस्था किए जाने की बात नाराज समाज से कही. इसके साथ ही संविदा के रूप में मृतक की पत्नी को नौकरी का नियुक्ति पत्र भी दिया.

सीएम मद से मुख्यमंत्री की ओर से स्वास्थ्य मँत्री ने 25 लाख का मुआवजा देने की घोषणा की. उन्होंने मामले की बारीकी से जांच किए जाने का आश्वासन दिया.

इन सबके बाद आदिवासी समाज ने भी फिलहाल आंदोलन समाप्त करने की घोषणा करते हुए रविवार दोपहर को मृतक संदीप लकड़ा के अंतिम संस्कार किए जाने को लेकर सहमति जताई है. फिलहाल, बीते 22 दिनों से मृतक का शव अंतिम सँस्कार के इंतजार में रखा हुआ था.

अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल के मरचुरी में यह शव रखा हुआ था. इसके बाद आदिवासी समाज ने आंदोलन छेड़ रखा था.

ज्ञात हो कि सीतापुर के संदीप लकड़ा हत्याकांड मामले में सरगुजा रेंज आईजी अंकित गर्ग ने भी बड़ी कार्रवाई की थी. आईपीएस गर्ग ने निरीक्षक प्रदीप जाॅन लकड़ा को निलंबित कर दिया था. तकरीबन दस रोज पूर्व ही टीआई को थाने से हटाकर लाइन अटैच किया गया था.

इधर, संदीप लकड़ा मर्डर केस में अब तक निरीक्षक सहित सब इंस्पेक्टर और एक आरक्षक के खिलाफ निलंबन की कार्रवाई की जा चुकी है. उधर, आईजी के निर्देश पर विभागीय जांच तेज हो गई है. इस मामले के मुख्य आरोपी तक पुलिस अब तक नहीं पहुँच पाई है.

संदीप की पत्नी शालीमा ने राष्ट्रपति के नाम एसडीएम को ज्ञापन भी सौंपा था. न्याय की गुहार लगाते हुए उन्होंने प्रकरण
नहीं सुलझने पर दो बच्चों के साथ आत्मदाह की चेतावनी दे चुकी थी.

पाठकों को बताते चलें कि सीतापुर थाना क्षेत्र के ग्राम बेलजोरा में रहने वाला आदिवासी युवक संदीप लकड़ा तीन महीने से लापता था. उसके परिजनों ने हत्या करने की आशंका जताते हुए थाने में शिकायत भी दर्ज कराई थी.

आदिवासी समाज के विरोध प्रदर्शन के बाद मामला दर्ज किया गया था. इस बीच लगभग तीन महीने के बाद संदीप लकड़ा के शव को मैनपाट के ग्राम लुरैना में पानी टंकी के नीचे बरामद किया गया था.

पुलिस ने कार्रवाई करते हुए पांच लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेजा था. पुलिस पर कई तरह के आरोप भी लगने लगे थे. अंततः इस मामले में आईजी सरगुजा ने निरीक्षक, उप निरीक्षक और एक आरक्षक के खिलाफ निलंबन की कार्रवाई कर दी थी.

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