छापे से खुला राज ; चोरी की सागौन से बन रहा है शासकीय विश्राम गृह

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पेंड्रा.

आप और हम यदि बिना अनुमति सागौन का उपयोग करते पाए जाते हैं तो कार्रवाई होती है लेकिन जब लोक निर्माण विभाग का निर्माणाधीन विश्राम गृह ही चोरी की सागौन से बनाया जा रहा है तो क्या कुछ किया जा सकता है यह अब तक स्पष्ट नहीं हुआ है. दरअसल, सारा मामला वन विभाग के उस छापे से जुडा़ हुआ है जिसने यह राज खोल दिया है.

उल्लेखनीय है कि गौरेला पेंड्रा मरवाही जिला चूंकि नया बना है इस कारण यहाँ बहुत से विभागों के शासकीय दफ्तरों के निर्माण चल रहे हैं. इसी कडी़ में लोक निर्माण विभाग (लोनिवि) का विश्राम गृह भी बनवाया जा रहा है.

इसका निर्माण इन दिनों जारी है. यह गौरेला गुरुकुल के पास निर्माणाधीन है. इसी शासकीय भवन में मरवाही वन मंडल के गौरेला वन परिक्षेत्र की टीम ने छापा डाला था. छापे में वन विभाग ने बड़ी मात्रा में कीमती लकड़ी जब्त की थी.

यह कार्रवाई मुखबिर से प्राप्त सूचना के आधार पर विभाग ने की थी. छापे के दौरान उसे रेस्ट हाउस में सागौन की लकड़ी के फर्नीचर, दरवाजे, खिड़की और अन्य सामान मिले हैं. इनकी जब्ती बना ली गई है.

गौरतलब तथ्य यह है कि वन विभाग की इस कार्रवाई के दौरान लोक निर्माण विभाग का कोई भी अधिकारी, अभियँता और ठेकेदार मौके पर मौजूद नहीं था. छापा मारने वाली टीम का दावा है कि सागौन की इमारती लकड़ी बिना किसी दस्तावेज के लगाई जा रही है.

अब जांच के बाद ही तय हो पाएगा कि लोक निर्माण विभाग के नए बन रहे इस रेस्ट हाउस में इतनी बड़ी मात्रा में कीमती लकड़िया कहां से आई ? अनुमान के मुताबिक अब तक रेस्ट हाउस में लगभग 12 से 15 लाख की अवैध लकड़ियों के खिड़की, दरवाजे और अन्य फर्नीचर बनाए जा चुके हैं.

गौरेला रेंजर बताते हैं कि लगभग 4.8 घन मीटर कुल लकड़ी जब्त की गई है. 3.4 घन मीटर की लकड़ियों से दरवाजे बना कर लगाए जा चुके हैं, जिस पर कार्रवाई की जाएगी. गौरेला रेंजर के अनुसार प्रथम दृष्टया ये सारी सागौन की लकड़ियां अवैध है.

छापामार कार्रवाई के दौरान लोनिवि के अधिकारी और ठेकेदार बुलाने पर भी नहीं आए. उनका टालमटोल भरा जवाब और सँदेह पैदा करता है. ज्ञात हो कि गौरेला गुरुकुल परिसर में लगभग 2 करोड़ 90 लाख रुपए लागत से यह विश्राम गृह बनते बनते विवादों में घिर गया है.

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