वक्फ बोर्ड का खेल : खोखले दावे, शैतानी मंशा

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संजीव कुमार

भारत सरकार ने कुछ समय पहले लोकसभा में वक्फ संशोधन (विधेयक)-2024 प्रस्तुत किया, तो विपक्ष ने खूब हंगामा किया। इस कारण उस विधेयक को संयुक्त संसदीय समिति (जे.पी.सी.) के पास भेज दिया गया है। भाजपा सांसद जगदम्बिका पाल की अध्यक्षता में अब यह समिति इस विधेयक पर चर्चा कर रही है।

समिति की पहली बैठक में भी विपक्षी नेताओं ने विधेयक का विरोध किया और कहा, ‘‘केंद्र सरकार वक्फ बोर्ड की संपत्ति पर कब्जा करना चाहती है। इसलिए यह विधेयक लाया गया है।’’

यानी विपक्षी नेताओं ने जानबूझकर इस विधेयक को लेकर झूठ फैलाया और मुसलमानों को भड़काया। इसका दुष्परिणाम भी दिखने लगा है। अनेक स्थानों पर मुसलमानों ने वक्फ संपत्ति के नाम पर हिंदुओं को घर-द्वार खाली करने को कहा है।

इसका एक बड़ा उदाहरण है पटना जिले के फतुहा के पास स्थित गोविंदपुर गांव। नाम से ही पता चल रहा है कि इस गांव का नामकरण विष्णु भगवान या गोविंद के नाम पर किया गया है।

गांव में 95 प्रतिशत हिंदू हैं। इसके बावजूद सुन्नी वक्फ बोर्ड ने गांव को वक्फ संपत्ति बताते हुए हिंदुओं से कहा कि एक महीने के अंदर गांव खाली कर दो।

वक्फ बोर्ड के इस तुगलकी फरमान से ग्रामवासी स्तब्ध रह गए। गांव के पीछे एक छोटी-सी मजार है। वक्फ बोर्ड का मानना है कि मजार से शुरू होकर आसपास की पूरी जमीन कब्रिस्तान की है।

इसलिए उसने हिंदुओं को गांव खाली करने को कहा है। स्थानीय लोगों ने बताया कि कुछ समय पहले गोविंदपुर के पास बाजार समिति के लिए भवन बन रहा था। इसके लिए सरकार ने जमीन का अधिग्रहण किया।

इसमें इस गांव की जमीन का भी कुछ हिस्सा अधिग्रहित किया गया था, जिस पर वक्फ बोर्ड ने दावा ठोका है। सरकार ने जमीन अधिग्रहण के एवज में उसका मुआवजा भी स्थानीय लोगों को दिया था।

वक्फ के दावे के बाद गोविंदपुर के लोगों ने जमीन के मालिकाना हक की जांच के लिए पटना के जिलाधिकारी कार्यालय में आवेदन दिया। इसके जवाब में जिलाधिकारी ने लिखित जवाब दिया है कि जमीन रैयती है।

इसका तात्पर्य है कि जमीन का मालिकाना हक वक्फ बोर्ड के पास नहीं है, बल्कि जमीन वहां रहने वालों की है। इसके बाद यह मामला पटना उच्च न्यायालय पहुंचा।

जब पटना उच्च न्यायालय ने वक्फ बोर्ड से जमीन के कागजात मांगे तो उसने बहुत ही बचकाना तर्क दिया। सुन्नी वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष मो. इरशादुल्लाह का कहना है कि पहले मौखिक जमीन का भी वक्फ होता था। बिहार में वक्फ की बहुत बड़ी संपत्ति है। ऐसे में हर जमीन का कागज प्रस्तुत करना संभव नहीं है।

वक्फ बोर्ड की इस मनमानी को देखते हुए पटना उच्च न्यायालय के वरीय अधिवक्ता ब्रजेश पांडे कहते हैं कि वक्फ कानून में संशोधन जरूरी है। उन्होंने यह भी कहा कि उम्मीद है कि केंद्र सरकार द्वारा लाया गया वक्फ संशोधन विधेयक-2024 संसद से पारित होगा। इससे लोगों को बड़ी राहत मिलेगी, नहीं तो वक्फ संपत्ति के नाम पर पूरे देश में बदमाशी और बढ़ेगी।
(साभार पाञ्चजन्य)

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