बँद कराए गए ठेले खोमचे लेकिन खुले रहे मॉल

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रायपुर.

आरक्षण में क्रीमी लेयर का नियम लागू करने के संबंध में उच्चतम न्यायालय (सुप्रीम कोर्ट) के एक आदेश से नाराज़ सँगठनों ने आज बँद का आह्वान किया था. बँद कुछेक जिलों में सफल, कुछेक में असफल तो शेष जिलों में आँशिक रूप से सफल नज़र आया. बँद के आह्वान का लब्बोलुआब यही रहा कि अधिकतर जगहों पर ठेले खोमचे (जो खुले थे) बँद कराए गए लेकिन उन्हीं जगहों पर माल खुले नज़र आए.

कई स्थानों पर तो स्कूल – कालेज भी बाजार के साथ साथ बँद ही रहे. चैंबर आफ कामर्स की बस्तर इकाई ने जहाँ समर्थन दिया था वहीं राजधानी रायपुर में ऐसा हो नहीं पाया.

इसका दुष्परिणाम यह निकला कि रायपुर चैंबर आफ कामर्स से वो व्यापारी रूष्ट नज़र आए जोकि बँद का आह्वान करने वाली जमात में आते हैं. सर्व समाज सँगठन के प्रदेश सचिव विनोद नागवंशी यह कहते हुए नज़र आए कि मूल निवासियों के साथ नहीं होने का सबूत आज चैंबर ने दे दिया है.

बहरहाल, गरियाबंद इलाके में सुबह से दुकानें खुली ही नहीं. यही दृश्य पथरिया, सरगाँव, लोरमी (मुँगेली), बिलासपुर में भी दिखाई पडा़. दुकानों के ताले लटकते दिखाई दिए जबकि शाला – महाविद्यालय प्रभावित नहीं हुए.

काँकेर में शालाओं को बँद कराने में प्रदर्शनकारी सफल रहे. और तो और प्रदर्शनकारियों ने हरेभरे पेड़ को काटकर जहाँ पर्यावरण को नुकसान पहुँचाया वहीं उन्होंने सड़क जाम कर परेशानी भी खडी़ की.

राजनांदगाँव में जहाँ आँशिक बँद सफल रहा वहीं जय भीम के नारे लगाते हुए प्रदर्शनकारी रैली में बढ़ चढ़कर दिखाई दिए. धमतरी में बँद का व्यापक असर रहा.

कोंडागाँव में जहाँ प्रदर्शनकारियों की भीड़ में शामिल हजारों लोग बैरिकेट तोड़ कलेक्टोरेट में घुसते नज़र आए वहीं रैली में शामिल होने निकले 17 सदस्य काँकेर में पिकअप पलटने से घायल भी हुए हैं.

बहरहाल, प्रदेश में कहीं पर से भी हिंसा अथवा किसी भी तरह के जानमाल के नुकसान की कोई खबर नहीं बताई जा रही है. यह सरकार के लिए बडी़ राहत वाली खबर है क्यूं कि बलौदाबाजार – भाटापारा जिले में हुए एक हिंसक प्रदर्शन के बाद सरकार की छवि पर बन आई है.
(फोटो सहयोग : विकास गजभिए)

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